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सोमवार, मार्च 02, 2009

कम कपड़ों से फिल्में नहीं चलती- उपासना सिंह

फिल्म अभिनेत्री उपासना सिंह का कहना है कि आज की नायिकाएं फिल्मों में कम कपड़े पहन कर अगर यह सोचती हैं कि इससे उनकी फिल्में चल जाएंगी तो यह गलत है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में आज भी यह बात है कि दर्शक ऐसी फिल्में देखना पसंद करते हैं जो फिल्में परिवार के साथ बैठ कर देखी जा सके ।
अभिनेत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि यह बात सच है कि आज की नायिकाओं के बदन पर कपड़े कम होते जा रहे हैं। लेकि न यह बात भी सच है कि ऐसी फिल्मों को देखने वाले दर्शको की संख्या भी कम है। उन्होंने कहा कि आज भी दर्शक ऐसी फिल्में देखना चाहते हैं जिनमें कुछ संदेश हो जिनको परिवार के साथ बैठकर देखा जा सके । उन्होंने यह भी माना कि आज की नायिकाएं कुछ फिल्मों में काम करके अपने को स्थापित करके शादी करने के लिए फिल्मों में आती हैं। आज की नायिकाओं में लगन और मेहनत करने की क्षमता कम है। उन्होंने पुराने जमाने की नायिकाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि माधुरी दीक्षित तक तो जमाना ठीक था, लेकिन आज जो भी नायिकाएं आ रही हैं, सब कुछ फिल्मों के बाद गायब हो जाती हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि फिल्मों में नई कलाकारों का शोषण होता है। उन्होंने कहा कि हकीकत तो यह है कि कोई किसी के साथ जोर-जबरदस्ती नहीं करता है। लड़कि यां खुद ही अगर निर्माता-निर्देशको के कमरों में जाती हैं तो क्या किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिनमें क्षमता होती है उनको किसी भी तरह का समझौता करने की जरूरत नहीं होती है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि आज टीवी का छोटा पर्दा छोटा काफी बड़ा हो गया है। आज इस पर्दे से फिल्मी कलाकारों को ज्यादा पहचान मिल रही है। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि फिल्मों में असफल होने वाले ही टीवी में जाते हैं। उन्होंने कहा कि वैसे देखा जाए तो टीवी में कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का ज्यादा मौका मिलता है। एक फिल्म में कलाकार को 4-5 सीन ही करने को मिलते हैं लेकिन टीवी सीरियल में काफी लंबा सीन और समय मिलता है। उन्होंने बताया कि उनको टीवी सीरियलों से भी काफी लोकप्रियता मिली है।
एकता कपूर के सीरियलों के बारे में उन्होंने कहा कि इससे समाज में गलत संदेश जा रहा है। ऐसे सीरियल नहीं बनने चाहिए। उन्होंने कहा कि टीवी के लिए भी अब सेंसर जरूरी है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो टीवी सीरियल समाज को प्रदूषित कर देंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनका अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का सपना तो पूरा हो चुका है, अब एक ही सपना है कि सदमा में श्रीदेवी ने जैसा रोल किया था वैसा रोल मुझे करने को मिले। उन्होंने पूछने पर कहा कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों में काम करने का मौका मिलेगा तो जरूर करूंगी। उन्होंने पूछने पर कहा कि उनकी राजनीति में कोई रूचि नहीं है।

10 टिप्पणियाँ:

MANVINDER BHIMBER सोम मार्च 02, 09:45:00 am 2009  

inka bad chalr to saari ki saari bachat kar le....

अनिल कान्त सोम मार्च 02, 10:13:00 am 2009  

ये कौन सी कम हैं इन्हें मौका मिले तो अच्छे रोल की खातिर ये भी पीछे ना हटे

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

इष्ट देव सांकृत्यायन सोम मार्च 02, 12:56:00 pm 2009  

आजकल खाली बैठी हैं न, इसीलिए इतने सद्विचार आ रहे हैं.

बेनामी,  सोम मार्च 02, 10:28:00 pm 2009  

हिंदी ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है।

दिल दुखता है... मंगल मार्च 03, 12:17:00 am 2009  

बात तो सही है. पर पालन कितने करते है.....
हिंदी ब्लॉग के लिए आपको शुभकामनाये

बेनामी,  मंगल मार्च 03, 01:21:00 am 2009  

In film walon ki 'Kathani aur karani 'mein farak hota hai.
yah sahi hai ki achchee filmon ki darkaar hamesha rahi hai aur rahegi.

शब्दकार-डॉo कुमारेन्द्र सिंह सेंगर बुध मार्च 04, 09:21:00 am 2009  

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