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रविवार, जुलाई 19, 2009

दिल से उनकी याद ही न जाए तो क्या करें?


चाहा उन्हें हमने दिल से पर
रास न आई उसे हमारी मोहब्बत तो क्या करें।

दुवाओं में मेरी असर तो है प्रिंस
पर उन पर असर न हो तो क्या करें।

बात एक दिन की हो तो रास्ता बदल लें
पर वो रोज रास्ते में आए तो क्या करें।


याद में उनकी तारे गिना किए रात भर
अब दिन में भी तारे नजर आए तो क्या करें।

नींदे बहुत की खराब उनकी खातिर
पर उनको रहम न आए तो क्या करें।

नींद तो किसी तरह आ ही जाती है प्रिंस
पर वो ख्वाबों में भी आए जाए तो क्या करें।

हमने तो वफाएं ही की थी प्रिंस
पर वफा के बदले वेवफाई मिले तो क्या करें।

रोए बहुत हम याद में उनकी
पर उनको तरस न आए तो क्या करें।


बहुत सोचा भूलाकर देखें उन्हें
पर दिल से उनकी याद ही न जाए तो क्या करें।

5 टिप्पणियाँ:

Unknown रवि जुल॰ 19, 08:45:00 am 2009  

रोए बहुत हम याद में उनकी
पर उनको तरस न आए तो क्या करें।
बहुत सोचा भूलाकर देखें उन्हें
पर दिल से उनकी याद ही न जाए तो क्या करें।
बहुत खूब...

Unknown रवि जुल॰ 19, 08:49:00 am 2009  

हर युवा दिल की बात कह दी है आपने, बधाई

asif ali,  रवि जुल॰ 19, 09:16:00 am 2009  

वाह... वाह.. शुभानअल्ला

Unknown रवि जुल॰ 19, 09:38:00 am 2009  

अच्छी रचना है

Unknown रवि जुल॰ 19, 10:01:00 am 2009  

सुंदर अभिव्यक्ति

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