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मंगलवार, फ़रवरी 09, 2010

महफूज और समीर भाई से हो गई फोन पर मुलाकात अजय कुमार झा से चैटिंग पर हो गई बात

कल अचानक करीब 10.10 को हमारे मोबाइल की घंटी बजी। देखा महफूज अली की काल थी। हमने तुरंत कहा बोलिया महफूज भाई। इसके बाद बातों का सिलसिला चला, पर ज्यादा नहीं चला, क्योंकि हमें प्रेस जाना था, और समय की कमी थी। हमने महफूज भाई से फिर बात करने का वादा किया।

महफूज भाई ने तीन दिन पहले बात करने की इच्छा जताई थी और हमारा मोबाइल नंबर मांगा था। उनके नंबर मांगने के बाद हमने रूपचंद शास्त्री जी के ब्लाग से ब्लागरों की डायरेक्ट्री से महफूज भाई का मोबाइल नंबर लेकर नोट कर लिया था। हमने शास्त्री जी के ब्लाग की डायरेक्ट्री से कई ब्लागरों के नंबर लिए हैं और सोचा है कि रोज किसी न किसी से बात करेंगे। हमने सोचा था कि महफूज भाई फोन करें इसके पहले ही हम उनको फोन कर लेंगे। लेकिन हम चूक गए, काम के कारण हम उनसे बात नहीं कर पाएं और उन्होंने कल सुबह फोन लगा लिया। जब उनका फोन आया उसके ठीक 10 मिनट पहले ही हमने अजय कुमार झा जी से चैटिंग पर चर्चा की थी। उनसे जहां दिल्ली की ब्लागर मीट के बारे में चर्चा की, वहीं उनसे फिर से पूछा कि वे कब आ रहे हैं जादू की झप्पी लेने। उन्होंने फिर से एक बार कहा कि अब ज्यादा इंतजार करना नहीं पड़ेगा।

बहरहाल महफूज भाई से बात करके बहुत अच्छा लगा। उन्होंने भी कहा कि उनको भी हमसे बात करके अच्छा लगा। हमें महफूज भाई से बात करके लगा ही नहीं है कि हम लोग पहली बार बात कर रहे हैं। उन्होंने हमें कार लेने की बधाई दी और बताया कि आपकी कार लेने वाली पोस्ट देखी है।

वास्तव में जिस तरह ही आत्मीयता ब्लागरों में नजर आ रही है, वह इस बात का सबूत है कि हर कोई अपनेपन की आश रखता है। ब्लाग बिरादरी में जिस तरह का प्यार है वह इस साबित करता है कि यह दुनिया वास्तव में कितनी अच्छी है। हम तो चाहते हैं कि सभी ब्लागर इसी तरह से एक-दूसरे से बातें करें और मिलते भी रहे। जो मजा प्यार में है वह तकरार में नहीं है। तकरार से किसी को क्या हासिल हुआ है जो ऐसा करने वालों को अब हासिल हो जाएगा। हम सोचते हैं कि हर ब्लागर को तकरार से किनारा करके प्यार की भाषा का प्रयोग करना चाहिए। प्यार से सारी दुनिया को जीता जा सकता है।

कल हमारी महफूज भाई से बात हुई। इसके दो दिन पहले समीर लाल जी ने हमें फोन करके शादी की सालगिरह की बधाई दी थी। जब उनका फोन आया उस समय हम प्रेस में थे। हमारे मोबाइल में जब मात्र 501 नंबर ही दिखा तो हमें समझ आ गया था कि दूसरी दुनिया से अपने समीर भाई ने याद किया है। उन्होंने हमें जैसे ही शादी की सालगिरह की बधाई दी, हम पहचान गए कि ये अपने समीर भाई हैं। इतनी दूर होकर भी समीर भाई हमारे ही नहीं सभी के दिलों के पास लगते हैं। हम तो ऐसा सोचते हैं कि सभी को भगवान समीर भाई जैसे दिल दें जिनके दिल में सभी के लिए प्यार है।

10 टिप्पणियाँ:

Udan Tashtari मंगल फ़र॰ 09, 05:55:00 am 2010  

आपसी स्नेह ही तो है जो खींच लेता है.

रानीविशाल मंगल फ़र॰ 09, 06:03:00 am 2010  

आपने एक दम सहि कहा है ..ब्लोग जगत मे सभी ब्लोगर मीलकर एक नइ दुनिया क निर्मान कर रहे है जहा बस प्रेम और आत्मियता है .....!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/

स्वप्न मञ्जूषा मंगल फ़र॰ 09, 06:17:00 am 2010  

ismein kya shaq ki glag jagat mein jo sauhadr-prem hai ek misaal hai..
sameer ji aur mehfooz bahut hi mazboot stambh hai..blog jagat ke..
bahut accha laga jaan kar ..aise bhai-chaare ke baare mein..
shubhkaamna..

अविनाश वाचस्पति मंगल फ़र॰ 09, 07:39:00 am 2010  

समीर, अजय,मयंक भी
कम नहीं हैं महफूज जी
सब दिल के अच्‍छे हैं
अच्‍छे वे भी हैं जो
रोज विवाद करते हैं
विवादों में भी संवाद
के बीज पलते हैं
पर हम विवाद से परे
संवाद घर में रहते हैं
और संवाद में जुड़ते हैं।

जानना पहचानना सदा
हम विचार का अच्‍छा
लगता है
यह मेरा ही नहीं
सभी ब्‍लॉगरों का
सच्‍चा सपना सबके
मन में पलता है।

ताऊ रामपुरिया मंगल फ़र॰ 09, 09:35:00 am 2010  

हां अब तो यह एक परिवार जैसा ही लाग्ने लगा है.

रामराम.

निर्मला कपिला मंगल फ़र॰ 09, 09:43:00 am 2010  

ये आभासी दुनिया अब एक मजबूत परिवार है शायद सब एक दूसरे का सुख दुख बाँटते हुये बहुत करीब आ गये हैं मुझे तो ये बिलकुल अपने परिवार की तरह ही लगता है। ये प्यार बना रहे शुभकामनायें

बेनामी,  मंगल फ़र॰ 09, 09:53:00 am 2010  

ये हुई ना बात!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) मंगल फ़र॰ 09, 10:28:00 am 2010  

आपके स्नेह से अभिभूत हूँ.....

Arshad Ali मंगल फ़र॰ 09, 11:55:00 am 2010  

itna izzat pratistha ek blogger dusre blogger ko deta hay to hma naye blog likhne walon ka hosla buland na ho aisa ho hin nahi sakta..

Ek pariwar me tu-tu mai-mai ke shor sharaba ke baad ek apne pan ki khamoshi agle tu-tu mai-mai ki rah kholti hay magar mai samir,mai mahfuz se uper uthkar ham sab pahle insan hay phir bloger,ki baat ko janm de jati hay.
Maine padha tha
ek post ki life ek din...
ek blog ki life blogger ke marji par..
aur ek blogger ki life Iswar ki marji par..hoti hay magar

ek insaniyat apnapan lambe samay tak ek duje ke man par chhap chod jati hay.. Aur dekhiye ek pratha pyar baatne ka shuru ho gaya hay...

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