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गुरुवार, मार्च 25, 2010

अपने राज्य की सफलता बताना क्या क्षेत्रवाद है?

हमें लगता है कि ब्लागिंग में लोगों को बिना वजह विवाद खड़ा करने में मजा आता है, तभी तो एक साधारण पोस्ट पर भी विवादस्पद टिप्पणी करके विवाद खड़ा करने का प्रयास करते हैं। क्या अपनी और अपने राज्य की सफलता बताने का मतलब क्षेत्रवाद होता है। हमें तो नहीं लगता है। अगर आप किसी भी क्षेत्र में सफल होते हैं तो सबसे पहले आपके शहर और अपने राज्य का नाम आता है, ऐसे में अगर हमने यह लिख दिया कि चिट्ठा जगत के टॉप 40 में चार ब्लागर छत्तीसगढ़ के हैं, तो इसमें गलत क्या है? क्या ऐसा लिखने का मलतब क्षेत्रवाद फैलाना है? हमें लगता है ऐसी बात करने वाले सिवाए विवाद पैदा करने के और कुछ नहीं करते हैं। हमारी पोस्ट को एक साधारण रूप में लेने की बजाए इसे विवादित बनाने का प्रयास करने वाले मित्रों से आग्रह है कि वे इस पर गंभीरता से सोचे कि वे क्या कर रहे हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है हम सभी भारतीय हैं, लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हम जिस राज्य में रहते हैं और जहां पैदा होते हैं, उसका भी कुछ अस्त्वि होता है।

हमने कल एक पोस्ट लिखी थी कि चिट्ठा जगत के टॉप 40 में चार ब्लागर छत्तीसगढ़ के। इस पोस्ट पर एक ब्लागर मित्र ने एक टिप्पणी की है कि ब्लागिंग में भी क्षेत्रवाद, एक और मित्र ने लिखा है मुझे लगता था कि सभी 40 के 40 भारतीय हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि सभी 40 भारतीय हैं, लेकिन भारतीय होने के साथ-साथ हर कोई किसी न किसी राज्य का है। किसी भी इंसान को जब किसी भी क्षेत्र में सफलता मिलती है तो यह बात तय है कि उनके साथ उनके राज्य का नाम पहले आता है। फिर इस बात को क्यों नहीं समझा जाता है। कोई बताए कि हम में से ऐसे कितने लोग हैं जो यह कहते हैं कि हम भारत में रहते हैं। अगर आप से पूछा जाए कि आप कहां रहते हैं? तो निश्चित ही आपका पहला जवाब होगा कि मैं उस राज्य के उस शहर में रहता हूं।

हम अगर किसी भी प्रतिस्पर्धा की बात करें तो जब कोई भी प्रतिस्पर्धा होती है तो उसमें सफल होने वाले इंसान के साथ उसके राज्य का नाम आता है। अगर राष्ट्रीय स्तर पर खेल से लेकर सांस्कृतिक या और किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा होती है तो उसमें जीतने वाले के साथ उनके राज्य का नाम जरूर बताया जाता है, तो क्या यह सब क्षेत्रवाद है? ठीक उसी तरह से ब्लाग लेखन में भी एक स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा है। आप इस बात से इंकार नहीं कर सकते हैं कि इसमें प्रतिस्पर्धा है। अगर ऐसा नहीं होता तो चिट्ठा जगत वाले कभी सक्रियता क्रमांक नहीं बताते। अगर किसी भी काम में नंबर मिल रहे हैं और रेटिंग तय हो रही है तो इसका सीधा मतलब है कि वहां प्रतिस्पर्धा है, और अगर कहीं प्रतिस्पर्धा है तो वहां पर रेटिंग में आने वालों को उनके राज्यों के नाम से ही जाना जाएगा, इसमें न तो कोई बुराई है और न ही इसमें क्षेत्रवाद जैसी कोई बात है। अगर इसको क्षेत्रवाद समझा जा रहा है तो अपने देश में होने वाली हर तरह की प्रतिस्पर्धा क्षेत्रवाद के दायरे में आती है, फिर इन सबको या तो बंद करवा दिया जाए, या फिर यह कहा जाए कि अगर किसी प्रतिस्पर्धा में उप्र, मप्र, हरियाणा, छत्तीसगढ़ या किसी भी राज्य को कोई स्वर्ण पदक मिलता है या कोई राज्य पहले स्थान पर आता है तो उस राज्य का नाम न लेकर यह कहा जाए कि भारत पहले स्थान पर आया है। लेकिन क्या यह संभव है? यह तभी संभव है जब किसी प्रतिस्पर्धा में कई देशों के लोग शामिल हों।

हम जानते हैं कि ब्लाग में भी कई देशों के मित्र लिखते हैं, लेकिन यह कोई अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा नहीं है. हिन्दी ब्लागिंग में लिखने वाले सभी भारतीय हैं, ऐसे में इसको अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा मानना उचित नहीं है। टिप्पणी करने वाले मित्र अगर इसको अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा मानते हैं तो जरूर फिर सभी टॉप 40 ब्लागर भारतीय होंगे। लेकिन हमने इसको एक राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा मानते हुए लिखा है कि टॉप 40 में चार ब्लागर छत्तीसगढ़ के। अगर इसको लेकर किसी को लगता है कि हम क्षेत्रवाद की बात कर रहे हैं तो बिलकुल गलत है। हमें विवाद पैदा करने का कोई शौक नहीं है, हम सबसे पहले भारतीय हैं, फिर कुछ और। लेकिन हमारे साथ अपने राज्य का नाम भी जुड़ा है जिसे कम से कम हम तो नकारा नहीं सकते हैं। तो मित्रों किसी भी बात को लेकर बिना वजह विवाद खड़ा करने से कोई फायदा नहीं होता है। लिखने वाले की भावनाओं को समझने की जरूरत होती है। किसी भी बात का सबसे पहले सकारात्मक पक्ष देखना चाहिए।  अगर लगता है कि इसमें कोई नकारात्मक पक्ष है तो उसको शालीनता से भी बताया जा सकता है क्योंकि ब्लागिंग से जुड़ा हर आदमी ब्लाग बिरादरी का हिस्सा है, संभव है कि किसी बड़े या छोटे भाई से कोई गलती हो गई हो तो उसे बताने का एक सरल तरीका भी होता है। अगर कोई गलत तरीके से बताएगा को कोई भी इसको क्यों कर बर्दाश्त करेगा, फिर तो हर इंसान अपने-अपने स्थान पर स्वंतत्र है।

अंत में जय हिन्द, जय भारत, जय छत्तीसगढ़

7 टिप्पणियाँ:

Anil Pusadkar गुरु मार्च 25, 09:56:00 am 2010  

कर्म किये जा राजकुमार कर्म।ध्यान मत दो इधर-उधर,बस लिखते चलो।

Arshad Ali गुरु मार्च 25, 11:24:00 am 2010  

kuchh to log kahenge...
logon ka kaam hay kahna..
chhodo bekar ki baaton me..
kahin bit na jaaye raina..

संगीता पुरी गुरु मार्च 25, 11:51:00 am 2010  

हमें स्‍वयं की, अपने परिवार की, अपने समाज की, अपने जाति की, अपने धर्म की और अपने क्षेत्र की अच्‍छाइयों और बुराइयों का आत्‍ममंथन करते ही रहना चाहिए .. अच्‍छी बातों पर गर्व और बुरी बातों पर शर्म करना ही होगा .. किसी भी राष्‍ट्र का निर्माण उसकी छोटी छोटी इकाइयों के मजबूत होने से ही हो सकता है .. अर्थ का अनर्थ करनेवालों को अपनी मानसिकता को बदलने की आवश्‍यकता है !!

drsatyajitsahu.blogspot.in गुरु मार्च 25, 01:30:00 pm 2010  

जिस दिए में दम होगा वो बाकि रह जायेगा
जय मोर छतीस गड महतारी

Ravish Tiwari (रविश तिवारी ) गुरु मार्च 25, 06:43:00 pm 2010  

एक ठे कहावत हवये, "हाथी चालीस बाजार कुकुर भुंके हजार", अगर हर कोई के बात पर कान लगबे त, कैसे काम चलही?
नहीं हो पढ़ी ना?
Arshaad ji ne bilkul sahi kaha hai
"कुछ तो लोग कहेंगे, लोगो का काम है कहना"

मै बहुत दिनों से देख रहा हु के लोगो ने ब्लॉग जगत को, विचारो की अभिव्यक्ति के स्थान पर रणभूमि बना लिया है, जो गलत है.`

ब्लॉ.ललित शर्मा शुक्र मार्च 26, 12:33:00 am 2010  

जय छ्त्तीसगढ महतारी
जय हिंद
वन्दे मातरम्

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