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गुरुवार, मई 06, 2010

कुर्सी का मोह भारी पड़ेगा

प्रदेश के खेल संघों के अध्यक्ष और सचिव ने अगर अपनी कुर्सी का मोह नहीं छोड़ा तो यह बात तय है कि केन्द्र सरकार का नया कानून यहां लागू होते ही उनको इस मोह का भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। खेल विभाग ऐसे संघों की नियमानुसार मान्यता समाप्त कर देगा और इसी के साथ उनको मिलने वाला अनुदान बंद हो जाएगा। भले केन्द्र के नए कानून का राष्ट्रीय स्तर के खेल संघ विरोध कर रहे हैं, पर केन्द्र सरकार के कदम को कई खेल संघों के पदाधिकारियों के साथ खेल विभाग के अधिकारी भी सही कदम मानते हैं। केन्द्र के नियम को राज्य में लागू करने के लिए प्रदेश सरकार को पत्र भी लिखा जा चुका है।
प्रदेश के खेल संघों के पदाधिकारियों में इस समय केन्द्र सरकार के नए नियम के कारण दहशत का माहौल है। यह दशहत इसलिए है कि प्रदेश के खेल विभाग ने भी इस नियम को राज्य में लागू करने का मन बना लिया है। वैसे तो यह नियम वैसे भी राज्य में लागू माना जाना चाहिए क्योंकि जानकारों का ऐसा कहना है कि राष्ट्रीय स्तर के खेल संघों को मान्यता देने के जो मापदंड हैं वही राज्य के खेल संघों पर लागू होते हैं। लेकिन खेल संचालक जीपी सिंह किसी भी तरह का कोई संशय रखना नहीं चाहते हैं ऐसे में उन्होंने प्रदेश सरकार के पास नए कानून को लागू करने के लिए पत्र भेज दिया है।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि राज्य में केन्द्र सरकार का नया कानून लागू हो जाएगा। इस कानून के बारे में खेल संघों द्वारा यह गलतफहमी फैलाने का प्रयास किया जा रहा है कि यह ओलंपिक चार्टर का उल्लंघन है। इस बारे में खेल विभाग के एक जानकार आला अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक तो यह किसी भी तरह से अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ के चार्टर का उल्लंघन नहीं है। दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार किसी भी खेल संघ को इसके लिए बाध्य नहीं कर रही है कि वे अपने संघ में अध्यक्ष को १२ साल और सचिव को ८ साल से ज्यादा समय के लिए न रखे। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह नियम बनाया है तो इस नियम को मानने वाले खेल संघों को ही सरकार से मान्यता मिलेगी। जो खेल संघ इस नियम का पालन नहीं करेंगे उनको मान्यता नहीं दी जाएगी। अगर संघ की मान्यता नहीं होगी तो उनको किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं मिलेगी और उनका अनुदान बंद कर दिया जाएगा। इस अधिकारी का कहना है कि हमारे राज्य के मान्यता नियमों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि सरकार द्वारा तय किए गए नियमों को खेल संघों का मानना होगा जो खेल संघ ऐेसा नहीं करेंगे उनको मान्यता नहीं मिल पाएगी। उन्होंने बताया कि किसी भी खेल संघ को मान्यता देने से पहले आवेदन में इस को लिखित में लिया जाता है कि वे खेल विभाग के नियम और शर्तों को मानेंगे।
लाखों का खर्च कैसे करेंगे
अगर खेल विभाग ऐसे संघों की मान्यता समाप्त कर देता है जिनके अध्यक्ष और सचिव कुर्सी छोडऩे के लिए तैयार नहीं होते हैं तो ऐसे खेल संघों का खर्च कैसे चलेगा। एक अनुमान के मुताबिक राज्य का हर मान्यता प्राप्त खेल संघ खेल विभाग से साल भर में तीन से पांच लाख का अनुदान लेते हैं। कुछ खेल संघों को उद्योगों ने भी गोद ले रखा है।
खेल संघ भी पब्लिक अथार्टी
प्रदेश में तो वैसे भी खेल संघों को पब्लिक अथार्टी के दायरे में लाया जा चुका है। प्रदेश के सभी खेल संघों को खेल विभाग ने सूचना के अधिकार के तहत सूचना अधिकारी रखने के लिए कई बार पत्र लिखे हैं। ओलंपिक संघ को भी एक बार फिर से खेल विभाग पत्र लिख रहा है। केन्द्र सरकार ने भी अब राष्ट्रीय खेल संघों को पब्लिक अथार्टी के दायरे में लाने का काम किया है और इसकी सूचना जारी कर दी है।

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