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शनिवार, मई 15, 2010

पहचान कौन....

बस्तर यात्रा में हमें तीरथगढ़ के गेट पर एक बंदा बैठा मिला। जब हम कार रखने के बाद गेट के पास गए तो मालूम हुआ कि वह बंदा असली नहीं नकली था। वास्तव में बस्तर की कलाकारी का जवाब नहीं है। इस कलाकारी का एक नमूना है ये तस्वीर।

11 टिप्पणियाँ:

नरेश सोनी शनि मई 15, 10:45:00 am 2010  

इस बंदे से दो साल पहले अपन भी मिले थे। पास में खड़े होकर फोटो भी खिचंवाई थी।

सूर्यकान्त गुप्ता शनि मई 15, 11:06:00 am 2010  

अरे जो विविध रूप मे दिखाई पड़ता है जैसे लाठी पकड़े महात्मा गान्धी आदि आदि। वैसे आप ही बता दीजियेगा जरूर्।

सूर्यकान्त गुप्ता शनि मई 15, 11:09:00 am 2010  

इसी को कह्ते हैं जल्दी मे लद्दी। हम पूरा पढे नही चटका दिये टिप्पणी। बस्तर की कलाकारी तो जगजाहिर है।

अन्तर सोहिल शनि मई 15, 11:18:00 am 2010  

सचमुच लाजवाब कलाकारी है जी
अगर पैरों की तरफ ना देखता तो मैं यही समझता कि कोई पेंट के ड्रम में नहा कर बैठा है।

प्रणाम स्वीकार करें

Rajeysha शनि मई 15, 02:39:00 pm 2010  

भोपाल में राजा भोज की प्रति‍मा बनाने हेतु एक सि‍द्धहस्‍त कलाकार की आवश्‍यकता है मेरे ख्‍याल से यह कलाकार उपर्युक्‍त रहेगा। म प्र पर्यटन भोपाल से सम्‍पर्क करें।

Udan Tashtari शनि मई 15, 06:18:00 pm 2010  

अरे, नाम दिमाग से उतर गया. खैर, याद आयेगा तो लौटते हैं.

DR. ANWER JAMAL शनि मई 15, 06:45:00 pm 2010  

ग़ज़ल


आदमी आदमी को क्या देगा


जो भी देगा ख़ुदा देगा ।


मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिफ़ है


क्या मेरे हक़ में फ़ैसला देगा ।


ज़िन्दगी को क़रीब से देखो


इसका चेहरा तुम्हें रूला देगा ।


हमसे पूछो दोस्त क्या सिला देगा


दुश्मनों का भी दिल हिला देगा ।


इश्क़ का ज़हर पी लिया ‘फ़ाक़िर‘


अब मसीहा भी क्या दवा देगा ।

http://vedquran.blogspot.com/2010/05/hell-n-heaven-in-holy-scriptures.html

अविनाश वाचस्पति रवि मई 16, 07:00:00 am 2010  

अरे भाई
उसे कहिए हमारी तरफ करे चेहरा
तो पहचानने का करें प्रयास
अब इतना भी रूबरू नहीं हुए हैं
कि वो उधर साईकिल के पास
मुंह फेर कर बैठ जाए उदास
और मैं लूं उसे पहचान।

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