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शनिवार, मई 29, 2010

मत करो टांग खिंचाई-होती है जग हंसाई


हम ब्लाग बिरादरी में पिछले एक साल से ज्यादा समय से देख रहे हैं कि यहां भी टांग खिंचाई हो रही है। ब्लाग जगत में टांग खिंचाई हो रही है  तो उसके पीछे कारण यही है कि लोग एक-दूजे को भाई जैसा नहीं मानते हैं। हमारा मानना है कि अगर भाई-चारे से रहा जाए तो न होगी टांग खिंचाई और न ही होगी जग हंसाई। यहां लोग आग लगाकर तमाशा देखने का काम करते हैं। ऐसे में एक परिवार की तरह रहने की जरूरत है। एकता में ही ताकत होती है यह बात बताने की जरूरत नहीं है।
हम भी जब से ब्लाग बिरादरी से जुड़े हैं तभी से देख रहे हैं कि यहां भी कम टांग खिंचाई नहीं होती है। हालांकि हम यह बात बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारे लिखने से कुछ ज्यादा होने वाला नहीं है लेकिन फिर भी एक उम्मीद है कि अगर हमारे कुछ लिखने से कोई एक भी अपना भाई यह सोचता है कि वास्तव में यार टांग खिंचाई से क्या हासिल होता है तो यह हमारे लिए खुशी की बात होगी।
हम अगर कुछ लिख रहे हैं तो जरूरी नहीं है कि वह हर किसी को पसंद आए। क्योंकि सबकी अपनी-अपनी पसंद होती है। ऐसे में जबकि हमें किसी का लिखा पसंद नहीं आता है और पढऩे के बाद अगर बहुत ज्यादा खराब भी लगता है तो अपना विरोध दर्ज कराने के लिए हमें शालीन भाषा और शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। अगर हमारी भाषा में शालीनता होगी और शब्दों में कोई गलत बात नहीं होगी तो संभव है कि उन गलत लिखने वाले अपने भाई को कुछ समझ आ जाए और उन्हें अहसास हो जाए कि उन्होंने कुछ तो ऐसा लिखा है जिससे किसी के दिल को चोट लगी है। ऐसा अहसास अगर उन लिखने वाले को हो जाए तो मानकर चलिए कि आपके शब्दों ने जादू कर दिया है। इसके विपरीत अगर आप कड़े शब्दों में विरोध करते हैं तो हो सकता है उन शब्दों का असर उन लिखने वाले पर भी ठीक वैसा हो जैसा असर आप पर उनकी लिखी किसी बात से हुआ है।
हमारे कहने का मलतब यह है कि यहां पर लिखने की स्वतंत्रता सभी को है तो किसी के लिखने का किसी भी तरह से गलत विरोध क्यों करना। विरोध भी ऐसा कि जिससे लगे कि टांग खिंचाई हो रही है। अपना हिन्दी ब्लाग परिवार छोटा सा परिवार है, इस परिवार में प्यार और स्नेह से रहने की जरूरत है। अगर परिवार का कोई छोटा गलती करें तो उसे बड़े प्यार से समझा सकते हैं और कोई बड़ा गलती करें तो उसे छोटे भी ससम्मान समझा सकते हैं। इसके बाद भी अगर कोई नहीं समझता है तो उसे परिवार से बाहर मान लिया जाए, ठीक उसी तरह से जिस तरह से एक परिवार अपने कपूत को अपने से अलग मान लेता है।
अगर ऐसा हो जाए तो फिर क्यों कर होगी किसी की टांग खिंचाई और फिर कभी नहीं होगी अपने हिन्दी ब्लाग परिवार की जग हंसाई। तो आईए मित्रों आज एक संकल्प लें कि किसी की लिखी बात का विरोध हम शालीनता से करेंगे।
अगर आप हमारी बातों से सहमत हों तो अपने विचारों से जरूर अवगत करवाएं।

12 टिप्पणियाँ:

राजकुमार सोनी शनि मई 29, 08:43:00 am 2010  

आपके विचारों से मैं सहमत हूं लेकिन क्या करें जब तक लोगों की टांग मौजूद है वे ऐसा करेंगे ही। यदि किसी टांग कट गई तो भी भाई लोग उसे खींचकर देखेंगे कि वाकई कटी है या नहीं।
ग्वालानीजी सहमति-असहमति का नाम ही विवाद है और यह विवाद हर जगह है। साहित्य में, संस्कृति में फिल्म लाइन में, राजनीति में और तो और दलालों के बीच भी। आपकी पोस्ट अच्छी है। अब देखे कितने लोग इसे अपनाते हैं।

Arvind Mishra शनि मई 29, 08:43:00 am 2010  

टांग खिचाई तो टांगो वाला ही करेगा न ? गनीमत हैं हम सांप न हुए नहीं तो रेंगते रेंगते डस भी लेते -एक से एक नाग नागिनियाँ यहाँ विचरण करती -खुदा का शुक्र मनाईये !

36solutions शनि मई 29, 08:50:00 am 2010  

सही कह रहे हैं आप अगर कोई नहीं समझता है तो उसे परिवार से बाहर मान लिया जाए आखिर आभासी तो है ये दुनिया :)

कडुवासच शनि मई 29, 09:04:00 am 2010  

.... चलो ठीक है ये तो हुई टांग खींचने की बात ... पर जो लोग अपना पूरा का पूरा सिर घुसेड देते हैं उनका क्या ?????

ब्लॉ.ललित शर्मा शनि मई 29, 09:08:00 am 2010  

सत्यवचन भात्रा श्री

सूर्यकान्त गुप्ता शनि मई 29, 10:47:00 am 2010  

अरे लोग टांग खिंचाई छोड़ टांग बचाई "नाक" बचाई की बातें करें तो फिर क्या बात है? अच्छा मेटर रखा है आपने।

अन्तर सोहिल शनि मई 29, 11:22:00 am 2010  

आपकी बात से पूर्णत: सहमत

प्रणाम

drsatyajitsahu.blogspot.in शनि मई 29, 12:03:00 pm 2010  

ऐसा अहसास अगर उन लिखने वाले को हो जाए तो मानकर चलिए कि आपके शब्दों ने जादू कर दिया है

मिलकर रहिए शनि मई 29, 07:24:00 pm 2010  

http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/05/blog-post.html जिस्‍म पर आंख।
मैंने अपना ब्‍लोग बनाया है। कृपया मुझे मार्गदर्शन दीजिए।

राजकुमार ग्वालानी शनि मई 29, 09:59:00 pm 2010  

पलक जी
आप किस तरह का मार्गदर्शन चाहती है जरूर बताएं मदद करेंगे

मनोज कुमार रवि मई 30, 05:29:00 pm 2010  

आपके विचारों से मैं सहमत हूं!

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