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शुक्रवार, जुलाई 02, 2010

विश्व कप फुटबॉल में भारत का खेलना संभव नहीं

इस समय पूरी दुनिया पर विश्व कप फुटबॉल का नशा चढ़ा हुआ है। जब भी विश्व कप का समय आता है तो हर भारतीय के मन में एक ही सवाल  आता है कि हमारे देश की टीम इसमें क्यों नहीं खेल पाती है। विश्व कप में भारत के लिए खेलना कभी संभव ही नहीं होगा ऐसा फुटबॉल का पिछले चार दशक से प्रशिक्षण देने वाले मुश्ताक अली प्रधान का मानना है। भारत के लिए विश्व कप का सफर क्यों संभव नहीं है इस बात का खुलासा उनसे हुई बातचीत में हुआ है। प्रस्तुत है बातचीत के अंश
० विश्व कप में भारतीय टीम क्यों नहीं जा पाती है?
०० भारतीय खिलाडिय़ों में इतना दम ही नहीं है कि वे वहां तक पहुंच सके।  विश्व कप तो दूर हमारी टीम पात्रता चक्र में ही नहीं टिक पाती है। एशिया में भारत का स्थान पहुंच नीचे है। भारत में फुटबॉल के लिए सरकार पैसे ही खर्च नहीं करती है।
० कितने पैसे खर्च करने चाहिए?
०० एक-एक खिलाड़ी के पीछे करोड़ों लग जाते हैं। यहां तो खिलाडिय़ों को खाने के पैसे नहीं मिल पाते हैं। विदेशों में ८ से १० साल के खिलाडिय़ों को चुन कर उनको तैयार किया जाता है। दीर्घकालीन योजना से ही किसी भी खेल में सफलता मिलती है।
० फीफा की फुटबॉल को बढ़ाने की योजना का लाभ मिल सकता है?
०० फीफा ने ऐसे देशों को चुना है जिन देशों में फुटबॉल का स्तर खराब है। ऐसे देशों में भारत भी शामिल है। फीफा से एक पेय बनाने वाली कंपनी के साथ अनुबंध करके भारत में स्कूल स्तर से फुटबॉल को बढ़ाने की योजना बनाई है। इस योजना का लाभ अभी नहीं लेकिन १०-१५ साल बाद मिल सकता है। लेकिन इसी योजना के भरोसे भारत को विश्व कप में खेलने का रास्ता नहीं मिलने वाला है।
० क्या होना चाहिए?
०० इसमें कोई दो मत नहीं है कि हर खेल के प्रतिभावान खिलाड़ी गांवों में रहते हैं। सरकार को गांवों पर ध्यान देना चाहिए। चाइना ने भी यही किया था।
० चाइना ने क्या किया था?
०० चाइना में जब ओलंपिक हुए तो चाइना ने ओलंपिक के हर खेल का प्रसारण गांवों में करने के लिए बड़े-बड़े स्क्रीन लगवाएं। चाइना सरकार को भी मालूम है कि असली खिलाड़ी गांवों निकलते हंै।
० भारत में क्या होना चाहिए?
०० भारत की मेजबानी में इस साल दिल्ली में कामनवेल्थ खेल हो रहे हैं। यही मौका है भारत को हर गांव में चाइना की तर्ज पर बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगाकर सभी खेलों का प्रसारण करना चाहिए।
० गांवों से खिलाड़ी निकालने और क्या हो?
०० गांवों में साई के हास्टल बनाने चाहिए। इसी के साथ स्कूल स्तर के खिलाडिय़ों पर ध्यान दिया जाए। स्कूलों में सबसे ज्यादा बजट रखना चाहिए। स्कूल के खेल शिक्षकों से खेल का काम लेना चाहिए।
० अभी स्कूल के खेल शिक्षक क्या करते हैं?
०० एक तो स्कूलों में इनसे क्लर्क का काम लिया जाता है, दूसरे ये महज टीमें ले जाने का काम करते हैं। खेल शिक्षकों को खिलाड़ी तैयार करने के काम पर लगाना चाहिए।
० छत्तीसगढ़ में फुटबॉल की क्या स्थिति है?
०० छत्तीसगढ़ की टीमों में दम नहीं है। यहां की टीमें राष्ट्रीय स्पर्धाओं में गोल पर गोल खाती है।
० छत्तीसगढ़ में फुटबॉल का स्तर बढ़ाने क्या हो?
०० पहले तो मैदानों की कमी पूरी की जाए। राजधानी में ही फुटबॉल का एक भी मैदान नहीं है। गांवों में मैदान के साथ वहां पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षकों की सुविधाएं दिलाई जाए।

2 टिप्पणियाँ:

अन्तर सोहिल शुक्र जुल॰ 02, 12:09:00 pm 2010  

सही सवाल उठायें हैं जी आपने
मुश्ताक अली जी का आभार
शायद सरकार उनके सुझावों और समस्याओं की तरफ भी ध्यान दे
पहले एक गाडी गांवों में घूमती थी जिसपर बडी सी स्क्रीन और प्रोजेक्टर होता था, उसपर ओलम्पिक खेलों को दिखाया जाता था। अब तो कई सालों से उसे देखा ही नहीं।

प्रणाम

arvind शुक्र जुल॰ 02, 02:13:00 pm 2010  

सही सवाल उठायें आपने .
मुश्ताक अली जी का आभार

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