राजनीति के साथ हर विषय पर लेख पढने को मिलेंगे....

मंगलवार, जुलाई 13, 2010

भईया आज-कल आप लिखते क्यों नहीं?

कल शाम की बात है हम एक कार्यक्रम में गए थे, वहां पर हमें एक युवक मिला। उसे हम तो नहीं जानते हैं, लेकिन वह हमें जरूर जानता है। उन्होंने अचानक हम पर एक सवाल दागा कि भईया आप आज-कल अंतरराष्ट्रीय खेलों पर क्यों नहीं लिखते हैं। हमें लगा था कि आपका लिखा कुछ तो विश्व कप फुटबॉल के फाइनल पर मिलेगा, पर आपने कुछ नहीं लिखा क्या बात है।
उस युवक ने हमें अपना परिचय राजीव चक्रवर्ती के रूप में देते हुए बताया कि उनके पापा भी उस समय देशबन्धु में थे जब हम वहां काम करते थे। उस युवक ने बताया कि हमारा लिखा वह हमेशा पढ़ते हैं। उन्होंने हमसे पूछा कि भईया आपने विश्व कप फुटबॉल का फाइनल मैच देखा कितना रफ था। हमने उनसे कहा कि नहीं यार हम नहीं देख सके और अब उतनी रूचि भी नहीं रही। पहले जब हम देशबन्धु में थे और लोकल के साथ अंतरराष्ट्रीय खेल के पेज का जिम्मा भी हम पर था। ऐसे में हम वहां पर हर खेल पर लिखते थे। हमारे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लिखने का सिलसिला 20 साल से चल रहा था, लेकिन पिछले तीन सालों से यह करीब बंद ही है। एक तो इसलिए कि अब हम जिस अखबार हरिभूमि में काम करते हैं, वहां हम लोकल खेलों पर ही खबरें बनाते हैं, दूसरे यह कि अब लिखने का मन भी नहीं होता। हम अपनी पत्रिका खेलगढ़ में भी स्थानीय खेलों पर ज्यादा लिखते हैं। अब हमारा मकसद अपने राज्य के खेलों को आगे बढ़ाने का है।
बहरहाल हम यह बात जानते हैं कि हमारा लिखा बहुत लोग पसंद करते थे, और आज भी वे चाहते हैं कि हम लिखें। हमारा क्रिकेट की किसी भी स्पर्धा पर लिखी गई त्वरित टिप्पणी को पढऩे वाले पाठक बहुत ज्यादा रहे हैं। क्रिकेट ही नहीं हमने हर खेल के साथ खेलों की प्रमुख घटनाओं पर टिप्पणियां लगातार अपने अखबार में लिखी हैं जिसको पढऩे वाले पाठक आज भी चाहते हैं कि हम फिर से लिखें। लेकिन हर समय परिस्थितियां एक जैसी नहीं होती हंै। हम सोचते हैं कि अपने ब्लाग में ही कुछ लिखना प्रारंभ करें। लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि हम जिस मैच पर लिख रहे हैं उसको हम देखें तभी ज्यादा अच्छे से लिखा जा सकता है, लेकिन मैच देखने के लिए अब समय नहीं मिलता है। पहले मैचों की खबरें भी बनानी होती थीं इसलिए मैच देखना एक तरह से मजबूरी भी होती थी, लेकिन अब वह मजबूरी नहीं रही तो लिखना भी एक तरह से छूट गया है। खैर हमें इस बात की हमेशा खुशी होती है कि हमारे लेखन के चाहने वाले पाठक अब भी हैं और वे चाहते हैं कि हम लिखें। अगर समय मिला तो जरूर अपने ब्लाग में लिखेंगे। वैसे हम जानते हैं कि हमारे लेखन को चाहने वाले हर पाठक के बस में ब्लाग तक पहुंचना संभव नहीं है, फिर भी कुछ पाठकों को जरूर संतुष्ट कर पाएंगे।

4 टिप्पणियाँ:

Smart Indian मंगल जुल॰ 13, 08:18:00 am 2010  

अच्छा लेखन तो पाठकों को याद रहना ही है।

बेनामी,  मंगल जुल॰ 13, 10:40:00 am 2010  
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
36solutions मंगल जुल॰ 13, 09:31:00 pm 2010  

यद्धपि खेल संबंधी लेखों में हमारी ज्‍यादा रूचि नहीं है फिर भी आपके इस ब्‍लॉग के पोस्‍टों के हम भी दीवाने हैं भाई जी.

Related Posts with Thumbnails

ब्लाग चर्चा

Blog Archive

मेरी ब्लॉग सूची

  © Blogger templates The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP