राजनीति के साथ हर विषय पर लेख पढने को मिलेंगे....

बुधवार, जुलाई 14, 2010

अरमानों की चिता हमें जलाने दो


कर दो अंधेरा तन्हाई में हमें रोने दो
दिल के रिस्ते जख्मों को अश्कों से भिगोने दो।।
हुए अकेले उनके जुदा होने पर
कोई नहीं अपना ये अहसास करने दो।।
बदकिस्मती अपनी जो वो दूर हुए
दिल की ख्लाहिशों को अब मरने दो।।
उन्हें तो अब सब अपनी की फिक्र है
गम के सागर में हमें डुबने दो।।
टूट गया दिल, उजड़ गया आशियाना
अरमनों की चिता हमें अब जलाने दो।।
 

(यह कविता भी हमारी 20 साल पुरानी डायरी की है)

7 टिप्पणियाँ:

सूर्यकान्त गुप्ता बुध जुल॰ 14, 08:39:00 am 2010  

अब पुरानी यादों को इसी तरह संजोने दो। अपने सुविचारों से, भावनाओं से सरित प्रवाह होने दो। बहुत सुन्दर कविता राज भाई।

Udan Tashtari बुध जुल॰ 14, 08:41:00 am 2010  

बहुत उम्दा रचना...आनन्द आ गया.

girish pankaj बुध जुल॰ 14, 10:06:00 am 2010  

sundar...puranaa ''maal'' bhi samane aane do. taza bhi taiyar karo. tum kavitaa likh sakate ho.

शिवम् मिश्रा गुरु जुल॰ 15, 07:43:00 am 2010  

एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
आपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं

संगीता स्वरुप ( गीत ) गुरु जुल॰ 15, 10:59:00 am 2010  

भावपूर्ण रचना...२० साल बाद अवश्य परिवर्तन आया होगा

Dr. Zakir Ali Rajnish गुरु जुल॰ 15, 11:26:00 am 2010  

20 साल पुरानी रचना भी दिल पर सीधे असर कर गयी, इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।
--------
पॉल बाबा की जादुई शक्ति के राज़।
सावधान, आपकी प्रोफाइल आपके कमेंट्स खा रही है।

Related Posts with Thumbnails

ब्लाग चर्चा

Blog Archive

मेरी ब्लॉग सूची

  © Blogger templates The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP