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बुधवार, अक्तूबर 20, 2010

कांग्रेस का काला चेहरा

कांग्रेसियों का काला चहेरा एक बार फिर छत्तीसगढ़ की राजधानी में तब सामने आया जब कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने अपने ही केन्द्रीय मंत्री नारायण सामी के चेहरे पर कालिख लगाने का काम किया। इस मामले  के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर प्रारंभ हो गया है। अब तो यहां तक कहा जाने लगा है कि यह कारनामा करने वाले न तो कांग्रेसी हैं और न ही नेता हैं। भले ये कांग्रेसी न हों और नेता भी न हों, लेकिन कारनामा तो किसी कांग्रेसी के इशारे पर ही किया गया होगा। ऐसा तो नहीं हो सकता है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए आए सामी पर भाजपा के नेताओं ने हमला करवा दिया होगा। अगर कांग्रेसियों का बस चलेगा ेतो ऐसा भी कह सकते हैं। कल यहां जो घटना हुई वह कांग्रेस में ही संभव है। ऐसी घटना पहली बार नहीं हुई है, ऐसा यहां पहले भी हो चुका है। यहां तो पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के फार्म हाउस में मप्र के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पिट भी चुके हैं। वास्तव में कांग्रेस का चेहरा ही काला है।
राजधानी रायपुर में कल सुबह को जब कांग्रेस भवन में 11 बजे प्रदेश के प्रतिनिधियोंं की बैठक लेने नारायण सामी पहुंचे तो उन पर एक युवक  ने स्याही फेंक दी। इससे सामी का चेहरा रंगीन हो गया। इसके बाद उस युवक को पकडऩे की कसरत प्रारंभ हुई। इस पूरे मामले में यूं तो छह युवकों को पकड़ा गया है, पर इन युवकों के बारे में कांग्रेसी ही कह रहे हैं कि ये कांग्रेसी नहीं हैं। सोचने वाली बात यह है कि अगर ये युवक कांग्रेसी नहीं हैं तो फिर कांग्रेस भवन में क्या कर रहे थे? चलो मान लेते हैं कि युवक कांग्रेसी नहीं हैं लेकिन इतना तो तय है कि उन्होंने जो कारनामा किया है उसके लिए तो जरूर उनको किसी कांग्रेसी नेता की शह मिली होगी। इस मामले में वैसे भी पूर्व केन्द्रीय मंत्री से जुड़े एक नेता का नाम सामने आ रहा है। ऐसा हो तो आश्चर्य नहीं है।
सामी के साथ हुई घटना से भी बड़ी घटना उस समय 31 अक्टूबर 2000 को पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के फार्म हाउस में हुई थी जब उस समय मप्र के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह की वहां पर कांग्रेसी नेताओं ने पिटाई कर दी थी। जब एक मुख्यमंत्री की पिटाई हो सकती है तो फिर एक केन्द्रीय मंत्री पर कालिख पोतना क्या बड़ा काम है। यह तो कांग्रेस की परंपरा में शामिल लगता है। एक और घटना की याद आती है जून 2001 में आदिवासी नेता केआर शाह के चेहरे पर मेडिकल कॉलेज में आदिवासी समाज की बैठक में कालिख पोत दी गई थी। एक और बड़ी घटना की बात करना भी जरूरी है। यह घटना है 2006 की। उस समय जबकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रायपुर आए थे तो उनके सामने ही प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के समर्थकों ने जमकर हंगामा किया था।
कांग्रेस में ऐेसे ही हंगामा बरपाने वाले नेता ज्यादा हैं। कांग्रेस के इन्ही नेताओं के कारण तो कांग्रेस का चेहरा काला लगता है। वास्तव में बात यह कि कांग्रेसी नेता कुर्सी के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। कल भी कांग्रेस भवन में जो कुछ हुआ है उसके पीछे भी तो एक कुर्सी का ही खेल है।

2 टिप्पणियाँ:

उम्मतें बुध अक्तू॰ 20, 04:40:00 pm 2010  

राजनीति में कुछ भी संभव है !

कडुवासच बुध अक्तू॰ 20, 10:03:00 pm 2010  

... इस तरह की घटनाएं रायपुर को शर्मसार करने में अक्सर अग्रणी रहती हैं ... अफ़सोसजनक !!!

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