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रविवार, अक्तूबर 31, 2010

राज्योत्सव में भी कामनवेल्थ जैसा भ्रष्टाचार

छत्तीसगढ़ में राज्योत्सव ने नाम पर हर साल कामनवेल्थ जैसा भ्रष्टाचार किया जाता है, पर इसके खिलाफ बोलने वाला कोई नहीं है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कभी इस तरफ ध्यान देने की जरूरत ही नहीं समझी। कारण साफ है कि उसे भी मामलूम है कि अगर वह कभी सत्ता में आई तो उसके पास भी ऐसा भ्रष्टाचार करने के लिए रास्ता खुला रहेगा। राज्योत्सव में होने वाले बेतहाशा खर्च का किसी के पास हिसाब नहीं रहता है। इस मेले से आखिर किसका भला होता है। कुल मिलाकर मंत्रियों और उनके इशारों पर जिनको ठेका मिलता है, उनकी ही चांदी रहती है। सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर जब सलमान खान जैसे नामी स्टार आते हैं तो वे स्टार आम जनों के लिए बल्कि वीआईपी के लिए होते हैं।
राज्योत्सव की इस समय छत्तीसगढ़ में धूम है और कल उसका अंतिम दिन है। हमें कल ही हमारे एक आईपीएस मित्र ने बताया कि उनके विभाग का एक डोम राज्योत्सव में लगा है। उस डोम के लिए ठेका देने वाली कंपनी से जब नीचे कारपेड लगाने की बात की गई तो मालूम हुआ कि डोम में जितनी जगह है उस जगह में कारपेड लगाने का किराया एक सप्ताह का करीब साढ़े तीन लाख रुपए लगेगा। जब बाजार में उतनी जगह के लिए नए कारपेड की कीमत मालूम की गई तो मालूम हुआ कि ढाई लाख में नया कारपेड आ जाएगा। उन अफसर ने यह सब सुनकर अपना सिर पकड़ लिया और कहने लगे कि यार भ्रष्टाचार की तो हद हो गई।
वास्तव में यह तो एक महज उदाहरण है, ऐसे ही और न जाने कितने सामानों में क्या-क्या नहीं होता है। राज्योत्सव के नाम पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जाते हैं और इसका विरोध कोई नहीं करता है। विरोध करेगा भी कौन। अब आम जनता तो विरोध करने से रही, क्योंकि जनता के विरोध से कुछ होता नहीं है। अब रही बात विरोधी पार्टी कांग्रेस की तो वह भला क्यों कर विरोध करेगी। उसे अच्छी तरह से मालूम है कि आज नहीं तो कल उसकी बारी भी आएगी और जब बारी आएगी तो वह भी कूद-कूद कर राज्योत्सव के नाम पर कमाई करेगी। ऐसे में जबकि चोर-चोर मौसेरे भाई हैं तो फिर भला विरोध कैसे होगा। कुल मिलाकर आम जनता के खून-पसीने की कमाई को बर्बादी हो रही है और सब तमाश देख रहे हैं। जनता को लूभाने के नाम पर जब सलमान खान जैसे स्टार बुलाए जाते हैं तो आम जनता के हिस्से में आती हैं पुलिस की लाठियां और सलमान खान को गोद में बिठाने का काम वीआईपी करते हैं। ऐसे आयोजनों पर विराम लगना चाहिए। राज्योत्सव के नाम पर खर्च किए जाने वाले करोड़ों को अगर राज्य में विकास के कामों में लगाया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा।

3 टिप्पणियाँ:

संगीता पुरी रवि अक्तू॰ 31, 08:51:00 am 2010  

दुर्भाग्‍यपूर्ण है ..

संगीता स्वरुप ( गीत ) रवि अक्तू॰ 31, 03:46:00 pm 2010  

हर उत्सव में जो सरकारी हो भ्रष्टाचार अपनी उपस्थिति बनाये रखता है ..बहुत अफ़सोस होता है .

उम्मतें रवि अक्तू॰ 31, 05:39:00 pm 2010  

आपको वहां के हालात की बेहतर जानकारी होगी ,यहां बैठ कर हम क्या टिपियायें !

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