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बुधवार, नवंबर 10, 2010

एक और खुले सांड का ब्लाग जगत में अवतरण

ब्लाग जगत में एक और खुले सांड यानी काड़ीबाज उस्तादजी का अवतरण हुआ है। वैसे इस नाम के तीन-तीन काड़ीबाजों के होने की जानकारी मिली है जो किसी के भी ब्लाग में जाकर कुछ भी टिप्पणी करने का काम कर रहे हैं। जिनके ब्लाग में मॉडरेशन लगा है वे तो सुरक्षित हैं, लेकिन जिनके ब्लाग खुले हैं उनके ब्लागों में ऐसे कई खुले सांड चले आते हैं गंदगी करने के लिए।
कुछ दिनों पहले ही हमारे ब्लाग में एक उस्तादजी नाम से किसी काड़ीबाजी ने टिप्पणी की थी। हमने ध्यान नहीं दिया, फिर से ये महाशय दो दिन पहले हमारे ब्लाग में आए। हमने कल ही इस बारे में अपने ब्लागर मित्र ललित शर्मा से चर्चा की तो मालूम हुआ कि उस्ताद के नाम से एक नहीं बल्कि तीन-तीन आईडी बनी हुई है और इस फर्जी नाम से कोई सांड ब्लागों में गंदगी फैलाने का काम कर रहा है। अब इन खुले सांडों से बचने का एक ही उपाय नजर आता है कि ब्लागर मित्र अपने ब्लागों में मॉडरेशन लगा ले। हम वैसे इसके खिलाफ थे, लेकिन जब देखा कि ब्लाग जगत में विचरण करने वाले खुले सांड गंदगी फैलाने से बाज नहीं आने वाले हैं तो हमने गंदगी से अपने को बचाने के लिए अंतत: मॉडरेशन का सहारा लिया। अब हमें इस बात की कोई फिक्र नहीं रहती हैं कि कौन क्या टिप्पणी कर रहा है। जिनकी टिप्पणी ठीक लगती है उसे प्रकाशित करते हैं जो ठीक नहीं लगती है उसे डाल देते हैं कचरा पेटी में। वैसे कोई स्वस्थ्य आलोचना करे तो ऐसी टिप्पणी से किसी को परहेज नहीं होता है, लेकिन यहां तो ऐसे-ऐसे काड़ीबाज हैं, जो बिना वजह किसी को भी परेशान करने का काम करते हैं। हम एक बात साफ कर दें कि काड़ीबाज का मतलब होता है बिना किसी मतलब के दूसरे के काम में अपनी टांग अड़ाना। हमारे एक मित्र ने कहा कि यार बहुत लोग काड़ीबाज का मलतब समझते नहीं हैं, इसलिए हम काड़ीबाज का अर्थ बता रहे हैं। तो आप भी ऐसे काड़ीबाजों और खुले सांडों से सावधान रहने के लिए अपने ब्लाग को सुरक्षित करने का काम करें और मॉडरेशन लगा लें।

5 टिप्पणियाँ:

संगीता पुरी बुध नव॰ 10, 09:31:00 am 2010  

लोग तो अपनी मानसिकता के हिसाब से काम करेंगे ही .. ब्‍लॉग जगत को गंदगी से बचाने के लिए मोडरेशन सबसे अच्‍छा उपाय है !!

Padm Singh बुध नव॰ 10, 09:35:00 am 2010  

काड़ीबाज तो काड़ीबाज ही रहेंगे ... उनकी पैदाइश ही गन्दी है तो उसका असर तो रहेगा ही... उन्हें अपना काम करने दीजिए हम अपना काम करें ... हम कब तक किसे सुधारेंगे ... नाली के कीड़े को साफ़ पानी में डालेंगे तो मर जाएगा बेचारा ... तो ऐसे कीड़ों को भी जीने का अधिकार दीजिए... दुनिया है ... चलता है ... होता है

ब्लॉ.ललित शर्मा बुध नव॰ 10, 10:07:00 am 2010  

काड़ी बाजों की जय
काड़ी बाज अमर रहें
काड़ी बाजी जिन्दाबाद
जिन्दाबाद जिन्दाबाद

उम्मतें बुध नव॰ 10, 08:32:00 pm 2010  

आपने माडरेशन चालू कर रखा है तो ये सब चिंता छोडिये !

देवेन्द्र पाण्डेय गुरु नव॰ 11, 11:46:00 am 2010  

आपको अपने विचार व्यक्त करने का पूरी हक है। इसके पहले की पोस्ट तो मैने नहीं पढ़ी लेकिन इस पोस्ट से लगता है आप आलोचना से थोड़ा विचलित हो गए हैं...ब्लॉग जगत में आलोचक का अभाव है..एक आलोचक ही हमारी कमियाँ बता सकता है..यह संभव है कि कभी उससे गलती हो जाय लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उसे भगा दिया जाय या उसकी उपेक्षा की जाय।

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