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शुक्रवार, नवंबर 26, 2010

बीबी नंबर वन?

पढ़ी-लिखी हो बीबी काम कुछ करती नहीं
सास-ससुर की बात क्या पति से भी डरती नहीं।।
सुबह दस बजे तक आराम से सोती रहती हैं
उठते साथ पति को बेड-टी का आर्डर देती हैं।।
फिर पति को हो चाहे दफ्तर के लिए देर
बनाने पड़ते हैं पत्नी के लिए तीतर-बटेर।।
शाम को जब श्रीमान दफ्तर से आते हैं
घर में जमी हुई किटी पार्टी पाते हैं।।
सबके लिए करना पड़ता है नाश्ता तैयार
कर्ज लेकर चाहे क्यों न होना पड़े कंगाल ।।
मगर फिर भी श्रीमती जी को समझ नहीं आती है
रोज नई-नई फरमाईशें पूरी करवाती हैं।।
जिस दिन कोई फरमाईश पूरी नहीं हो पाती
घर से साथ पति देव की भी है सामत आती।।
दर्पण, सोफे, कुर्सियां बहुत कुछ टूटते हैं
इतना ही नहीं पति देव भी बेलन से कुटते हैं।। 
इन सबके बाद श्रीमती का सिर दुखने लगता है
फिर पति देव को उनका सर भी दबाना पड़ता है।।
पढ़ी-लिखी से शादी करने का यही अंजाम होता है
पति को बीबी का गुलाम बनना पड़ता है।।
इसलिए पढ़ी-लिखी से अनपढ़ बीबी अच्छी होती है
सास-ससुर को मां-बाप पति को परमेश्वर समझती है।।
घर की चार दीवारी को ही अपना स्वर्ग समझती है
कभी घर में कोई किटी पार्टी जैसे काम नहीं करती है।।
पति की सेवा को ही अपना धर्म समझती है
सास-ससुर का सम्मान अपना कर्तव्य समझती है।।
मुसीबत में अपने पति को हौसला भी देती हंै
गम को गले लगातर खुशियां सबको देती हैं।।
घर की आन की खातिर जान निछावर करती हैं
सबके दुखों को अपने आंचल में समेट लेती हैं।।
भले दुनिया इसे अनपढ़ और गंवार कहती है
मगर पढ़ी-लिखी से यह लाख अच्छी होती हैं।।
अब आप ही बताएं जनाब कौन सी
बीबी नंबर वन होती है।।

6 टिप्पणियाँ:

निशांत मिश्र - Nishant Mishra शुक्र नव॰ 26, 08:41:00 am 2010  

पत्नी पढ़ी-लिखी हो तो क्या वह इतनी 'बुरी' हो जाती है?

मैंने तो बहुतेरी पढ़ी-लिखी महिलाएं देखीं है पर ऊपर लिखी बातें उनमें से बहुत कम में पाईं.

और क्या सारे पढ़े-लिखे पुरुष आदर्श पुरुष या पति होते हैं?

अन्तर सोहिल शुक्र नव॰ 26, 11:13:00 am 2010  

मैं तो असहमत हूँ जी आपकी इन पंक्तियों से
अनपढ भी घर को नरक बना देती हैं और पढी-लिखी औरतें भी हैं जो अपने आप में एक प्रेरणा हैं।

प्रणाम

राजकुमार ग्वालानी शुक्र नव॰ 26, 01:14:00 pm 2010  

यह महज एक कविता है, इसे एक कविता के रूप में ही लेना चाहिए। हमने तो कई कवि सम्मेलनों से इससे ज्यादा खतरनाक कविताएँ सुनीं हैं। हमें लगता है कि ब्लाग जगत में बिनावजह विवाद पैदा करने वालों की कमी नहीं है। एक साधारण बात का बतंगड़ बना दिया जाता है। हमारा किसी भी तरह से इस कविता के माध्यम से किसी का अपमान और किसी का सम्मान करने का इरादा नहीं है। इस कविता को आखिर यथार्थ से क्यों जोड़ा जा रहा है।

राजकुमार ग्वालानी शुक्र नव॰ 26, 01:15:00 pm 2010  

निशांत, अंतर सोहिल जी,
आपसे भी आग्रह है कि इसे एक कविता के रूप में ही देखा जाए। क्या कोई कवि जब आसमान से चांद तोड़कर लाने की बात करता है तो वह चांद तोड़कर ले आता है। कवि और लेखक कल्पना में हवा में उड़ते है। हम लोग सपने देखते हैं जो कभी हकीकत नहीं बन सकते हैं। इस तरह से कविता कभी हकीकत से जोड़ कर नही देखना चाहिए।

राजकुमार ग्वालानी शुक्र नव॰ 26, 01:17:00 pm 2010  

निशांत जी, अंतर सोहिल जी,
आपसे भी आग्रह है कि इसे एक कविता के रूप में ही देखा जाए। क्या कोई कवि या प्रेमी जब आसमान से चांद तोड़कर लाने की बात करता है तो वह चांद तोड़कर ले आता है। कवि और लेखक कल्पना में हवा में उड़ते हैं। हम लोग सपने देखते हैं जो कभी हकीकत नहीं बन सकते हैं। इस तरह से कविता को कभी हकीकत से जोड़ कर नही देखना चाहिए।

उम्मतें शुक्र नव॰ 26, 06:36:00 pm 2010  

कविता पढ़ ली अब ये तो बताइये कि इस कविता की नायिका का नायक कौन है ? :)

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