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मंगलवार, फ़रवरी 08, 2011

आ गई बंसत ऋतु की बहार

आ गई बंसत ऋतु की बहार
पड़ेगी अब रंगों की फुहार
आएगा मस्ती का एक त्यौहार
दिलों से बरसेगा होली के दिन प्यार
होली का तो सब करते हैं इंतजार
रंगों से खेलने सब रहते हैं बेकरार
क्या आपको है इस बात से इंकार
तो फिर कैसे जीते हैं आप यार
थोड़ा सा करके देखों तो प्यार
बदल जाएगा तुम्हारा भी संसार
तो चले खोजने कोई दिलदार
जो करे सके उम्र भर प्यार
गर मिल जाए कोई ऐसा दिलदार
तो न छोडऩा उम्र को उसको यार

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