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शुक्रवार, फ़रवरी 11, 2011

हजार-पांच सौ के नोट बंद करने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा

एक दवाई दुकानदार का कहना है कि अगर हजार और पांच सौ के साथ साथ सौ रुपए के नोट भी बदं कर दिए जाने तो अपने देश में भ्रष्टाचार पर कुछ हद तक अंकुश लग सकता है। भ्रष्टाचार के साथ दो नंबर की काली कमाई में ही बड़े नोटों का उपयोग किया जाता है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि इन कामों में बड़े नोटों का उपयोग होता है, पर क्या महज नोट बंद कर देने से ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकता है, यह सोचने वाली बात है। वैसे बड़े नोटों को बंद करवाने का दम है किसमें।
कल रात को हम एक मेडिकल स्टोर में दवाई लेने गए थे। हमने दवाई लेने के बाद जब दुकानदार को एक पांच सौ का नोट दिया, तो दुकानदार काफी देर तक उस नोट को परखता रहा कि वह असली है या नकली। ऐसे में हमने उनसे कहा कि सरकार अगर हजार और पांच सौ के नोटों को बंद कर दे तो परेशानी नहीं होगी। हमने तो महज आम जनों और दुकानदारों को नकली नोटों की वजह से होने वाली परेशानी को ध्यान में रखते हुए यह बात कही थी, पर उन दुकानदार महोदय ने कहा कि सर केवल आम जनों की ही परेशानी दूर नहीं होगी बल्कि भ्रष्टाचार के साथ दो नंबर के धंधों पर भी रोक लग जाएगी। उन दुकानदार महोदय ने कहा कि जिनता भी काला-पीला काम होता है सब बड़े नोटों से होता है। उन्होंने तो यह भी कहा कि सौ के नोट भी सरकार को बंद कर देने चाहिए।
सच में सोचने वाली बात है कि क्या वास्तव में इन बड़े नोटों को बंद कर देने से देश को भ्रष्टाचार से मुक्त किया जा सकता है। हमें तो लगता है कि जरूर ऐसा होने से कुछ हद तक को भ्रष्टाचार पर अंकुश लग ही सकता है। लेकिन सोचने वाली बात यह भी है कि जब सरकार में बैठे लोग ही पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं तो ऐसे में बड़े नोटों को बंद करने का फरमान कौन जारी कर सकता है। बहरहाल यह बात ठीक है कि बड़े नोट बंद कर लिए जाए तो नकली नोटों से भी जनता को मुक्ति मिल जाएगी, वरना नकली नोटों के चक्कर में गरीबों को भी काफी नुकसान हो जाता है। । 

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