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रविवार, फ़रवरी 13, 2011

मिस्टर यलो इतने ही सच्चे हो तो अब क्यों नहीं आते

हमारे एक परम आदरणीय और हमें जान से ज्यादा चाहने वाले एक मित्र हैं यलो। इनको हमसे इतनी मोहब्बत है कि ये हमारे हर लेख को पढ़ते हैं और उस पर कुछ न कुछ करामात जरूर करते हैं। ये मित्र अपने को सच्चा मित्र बताते हैं। अब हमने सोचा कि जब ये इतने ही सच्चे हैं और अपनी हकीकत बताने से भी कतरा रहे हैं तो हमने सोचा कि अगर ये वास्तव में सच्चे होंगे तो ब्लाग की सदस्यता लेकर जरूर आएंगे। ऐसे में जब हमने टिप्पणी के लिए सदस्यता लेना अनिवार्य कर दिया तो ये जनाब दुम दबाकर भाग लिए। वैसे ब्लाग तो पढऩे जरूर आते हैं। जब ब्लाग में टिप्पणी का सीधा रास्ता बंद है तो ये हमारे एक चर्चा वाले ब्लाग में पिछले दरवाजे से आने का काम करते हैं।
ब्लाग जगत में पीले, नीले, कालों के कारण ही कई अच्छे लिखने वालों का ब्लाग जगत से मोह भंग हो गया है। सच कहे तो हमारा भी अब मोह भंग हो गया है। हम ब्लाग जगत में आए हैं कुछ अच्छा करने के लिए न की ऐसे पीलों-नीलों की गंदी बातें सुनने के लिए। हम कहते हैं कि आपको अगर हमारा लिखा पसंद नहीं आता है तो आप अपने घर पर रहें क्यों कर हमारे ब्लाग में आते हैं, क्या हमने आपके घर जाकर निमंत्रण दिया है कि आईये और पढि़ए हमारा ब्लाग और करके जाईये गंदगी यहां पर। अपने को सच्चा बताने वाले मिस्टर यलो अगर दम है और आप इतने ही सच्चे हैं तो अब क्यों नहीं आ रहे हैं टिप्पणी करने के लिए। क्या अपनी पहचान सामने आने के डर से हवा निकल गई है। हम किसी भी तरह से असभ्य भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहते थे लेकिन बर्दाश्त करने की सीमा होती है। वैसे हमें यलो जैसे विकृत मानसिकता वाले लोगों की परवाह नहीं है। ये जनाब बार-बार लिखते हैं कि हम कुछ भी लिख कर टिप्पणी पाना चाहते हैं। टिप्पणी पाने का शौक रहता तो हम अपने टिप्पणी के रास्ते बंद नहीं करते। खैर ऐसे लोगों के ज्यादा मुंह लगना अच्छा नहीं होता है। हम इनके बारे में लिखना नहीं चाहते थे, लेकिन इन्होंने इतना मजबूर किया कि हमें लिखना पड़ा। इन्हीं विकृत मानसिकता वाले इंसान के कारण हमें चर्चा वाले ब्लाग में भी मॉडरेशन लगाना पड़ा है, वरना चर्चा जैसे ब्लाग में मॉडरेशन का क्या काम।

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