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रविवार, अप्रैल 17, 2011

क्या भाजपाई ईमानदार हैं?

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने जिस तरह से केन्द्र सरकार पर सवाल दागते हुए केन्द्र सरकार को पूरी तरह से भ्रष्टाचारी साबित करने का प्रयास किया है, उससे एक सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या भाजपाई पूरी तरह से ईमानदार हैं? और इस पार्टी में कोई भ्रष्टाचार करने वाला नहीं है। यह तो संभव ही नहीं लगता है कि अपने देश में कोई पार्टी यह दावा करें कि उनके लोग ईमानदार हैं। वैसे गडकरी ने भी ऐसा कोई दावा नहीं किया है, लेकिन उनके सवालों ने ही एक सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भाजपा के लोग ईमानदार हैं। ज्यादा दूर क्यों जाते हैं क्या दिलीप सिंह जूदेव को कोई भूला है जिनको सभी ने टीवी पर पैसे लेते देखा था। उनका डॉयलाग आज भी सबको याद है जो उन्होंने कहा था कि ऐ पैसे तू खुदा तो नहीं लेकिन खुदा से कम नहीं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि जूदेव का यह डॉयलाग आज अपने देश के ज्यादातर नेता, मंत्रियों और नौकरशाहों पर फिट बैठता है।
राजधानी रायपुर की एक सभा में नितिन गडकरी केन्द्र सरकार पर जमकर बरसे। बकौल गडकरी केन्द्र का बजट 11 लाख करोड़ है और इसमें से 5-6 करोड़ तो भ्रष्टाचार में चला जाता है। इसमें संदेह नहीं है कि गडकरी की बातें सौ फीसदी सच हैं, लेकिन सोचने वाली बात यह है कि आखिर गडकरी केन्द्र सरकार पर ऊंगली उठाने वाले कौन होते हैं। क्या उनकी पार्टी के सारे नेता ईमानदार हैं? वैसे उन्होंने ऐसा कोई दावा नहीं किया है, लेकिन जब आप किसी पर बेईमान होने का सवाल खड़ा करते हैं, तो आपके सामने भी एक सवाल खड़ा हो जाता है कि क्या आप खुद ईमानदार हैं? अगर आप ईमानदार नहीं हैं तो फिर आप दूसरे के बारे में कहने वाले कौन होते हैं। लेकिन इसका क्या किया जाए कि अपने देश में विपक्ष में बैठी पार्टी बस एक ही काम करती है, दूसरी पार्टी पर ऐसे ही वार करने का। अगर अपने देश की राजनैतिक पार्टियां ईमानदारी से काम करतीं तो क्या कहने की जरूरत है कि आज देश में न तो मंहगाई होती और न ही भ्रष्टाचार।
नितिन गडकरी अगर केन्द्र सरकार के लिए सवाल खड़ा कर रहे हैं तो उनकी भी जवाबदेही है कि वे बताएं कि उनकी पार्टी की जिन राज्यों में सरकारें हैं, क्या उनके सारे मंत्री ईमानदार हैं। इधर गडकरी ने केन्द्र सरकार पर सवाल खड़े किए तो कांग्रेसियों ने भी छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रियों  पर सवाल खड़े करते हुए इनकी संपतियों की जांच कराने की बात कही है। सीधी सी बात है आप अगर किसी के घर में झांकेंगे तो कोई आपके घर में भी झांकेंगे। अपने देश में बस यही होते रहना है।
आज कोई इस बात का दावा नहीं कर सकता है कि वह ईमानदार है। क्या गडकरी जी दिलीप सिंह जूदेव को भूल गए जिनको पूरे देश ने टीवी पर पैसे लेते देखा था और उन्होंने कहा था कि ऐ पैसे तू खुदा तो नहीं लेकिन खुदा से कम नहीं, भाजपा में भी भ्रष्टाचार करने वालों की कमी नहीं है। ऐसे में सोचने वाली बात है कि अपने देश का क्या होगा। अपने देश को एक अन्ना हजारे बचा नहीं सकते हैं। जब तक पूरा देश जागरूक नहीं होगा अपने देश की राजनैतिक पार्टियों आम जनों को बेवकूफ बनकर भ्रष्टाचार करती रहेंगी और आम जनता मंहगाई की मार झेलती रहेगी।
 अन्ना ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई तो देश में उनको मिल रहे समर्थन से केन्द्र सरकार में बैठी सरकार के साथ देश की हर राजनैतिक पार्टी की नींद उड़ गई थी। देखा जाए तो अन्ना हजारे को लालीपॉप पकड़ाने का काम किया गया, यह बात समिति की पहली बैठक में तय भी हो गई है। इस बैठक में अन्ना की बातों को किनारे कर दिया गया, यह भी तय है एक दिन उनको भी किनारे कर दिया जाएगा और सभी देखते रहेंगे। अपने देश में अन्ना हजारे जैसे ईमानदारों और गांधीवादियों की जरूरत नहीं है।

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