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शुक्रवार, जून 10, 2011

प्रदेश का भी कद बढ़ाएंगे

अपने लंबे कद की वजह से साई सेंटर में आसानी से स्थान बनाने वाले प्रदेश के तीन खिलाड़ियों का एक स्वर में कहना है कि अब तो अपने कद की तरह की प्रदेश का भी कद बढ़ाने की तमन्ना है। हमारा प्रयास रहेगा जब छत्तीसगढ़ की मेजबानी में 37वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन हो तो स्वर्ण पदक अपने राज्य की झोली में जाए।
ये बातें यहां पर चर्चा करते हुए 6.5 फीट के रायपुर के स्वप्निल कुमार सोना, 6.5 फीट के ही तिल्दा के गौरव वर्मा और 6.4 फीट के भिलाई के शिवम तिवारी ने कहीं। इन्होंने कहा कि इनके लिए सौभाग्य की बात है कि इनका चयन साई सेंटर में हुआ। इनका मानना है कि इनको लंबाई का फायदा मिला है। वैसे तीनों खिलाड़ी राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेल चुके हैं। इस साल कर्नाटक में हुई जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में तीनों खेले हैं। इनके साथ भिलाई के एक और खिलाड़ी 6.5 फीट के पूनम कुमार वर्मा भी खेले हैं। वे भी साई सेंटर में हैं, लेकिन परिवार में किसी का निधन होने की वजह से वे घर गए हैं।
तीनों खिलाड़ियों में गौरव तिवारी ऐसे खिलाड़ी हैं जो पांच बार राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेल चुके हैं। इनमें तीन स्कूल की राष्ट्रीय स्पर्धाएं हैं। वे पहली बार अंडर 14 की राष्ट्रीय स्कूली स्पर्धा में 2008 में खेले थे। इसके बाद वे 2010 और फिर 11 में अंडर 17 की स्कूली राष्ट्रीय स्पर्धा में खेले हैं। ओपन वर्ग में पहली बार सब जूनियर राष्ट्रीय स्पर्धा में 2009 में खेले। तीनों खिलाड़ियों का कहना है कि साई में उनका चयन होने से उनके खेल में बहुत ज्यादा निखार आएगा। यहां पर हमें राष्ट्रीय कोच चंदर सिंह से खेल के गुर सीखने का मौका मिलेगा। वे कहते हैं कि अच्छे प्रशिक्षकों की कमी के कारण ही प्रदेश के खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ पाते हैं। इन खिलाड़ियों को उम्मीद है कि उनको लंबाई के कारण बहुत जल्द भारतीय टीम में भी स्थान मिल जाएगा। इन खिलाड़ियों का कहना है कि वे भी अपने राज्य के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों आशीष अरोरा, संतोष वर्मा, दीपेश सिंहा और सचिन गुमाशता की तरह अपने राज्य और देश का नाम रौशन करना चाहते हैं।
इन खिलाड़ियों का कहना है कि उनका एक मसकद जहां भारतीय टीम में स्थान बनाना है, वहीं अपने राज्य में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों में छत्तीसगढ़ को स्वर्ण पदक दिलाना है। वे कहते हैं कि जब अपने राज्य में राष्ट्रीय खेल होंगे तो हम लोग भी सीनियर वर्ग तक पहुंच जाएंगे और अपने राज्य को स्वर्ण दिलाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रहेंगे। 

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