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रविवार, जुलाई 31, 2011

भ्रष्टाचार के लिए आखिर दोषी कौन

भ्रष्टाचार पर अन्ना हजारे जी के अनशन से आज पूरा देश ही नहीं बल्कि विश्व उबल रहा है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि भ्रष्टाचार से आज सभी त्रस्त हैं, लेकिन विचारणीय प्रश्न यह भी है कि आखिर इसके लिए दोषी कौन है। क्या हम इसके लिए दोषी नहीं है? हमारा जहां तक मानना है कि भ्रष्टाचार के लिए सबसे पहले दोषी तो हम ही लोग हैं।
कहने में यह बात बड़ी अटपटी लगती है, लेकिन यह एक कटु सत्य है कि आज अगर अपना देश भ्रष्टाचार में डूबा है तो उसके लिए पहले दोषी हम ही हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि इसके लिए हम दोषी कैसे तो हम आप से पूछना चाहते हैं कि जब आप किसी भी सरकारी काम से कहीं जाते हैं, मान लीजिए आपको निवास प्रमाणपत्र ही बनवाना है और आपको इसके लिए तहसील या जिलाधीश कार्यालय जाना पड़ता है, और आपको वहां पर नजर आती है, एक लंबी लाइन, ऐसे में आप क्या करते हैं? ऐसे समय में चाहे आप हो या हम शार्टकट का रास्ता अपनाने के लिए ऐसे आदमी को तलाश करते हैं जो हमें उस लाइन से बचाकर हमारा काम करवा सके। इसके लिए हम कुछ पैसे खर्च करने से नहीं चूकते हैं। जब हम किसी को किसी काम के लिए पैसे देते हैं तो उस समय हम सिर्फ यही सोचते हैं कि हमारा समय बच जाएगा, लेकिन हम यह कभी नहीं सोचते हैं कि हमारे ऐसा करने से क्या होगा। हमारे ऐसा करने से दो बातें होती हैं, एक तो जो लोग लाइन में लगे होते हैं, उनके साथ अन्याय होता है, दूसरे हम अपने काम के लिए किसी को पैसे देकर उसको रिश्वतखोर और भ्रष्टाचारी बनाने का काम करते हैं।
कहते हैं कि एक-एक बुंद से घड़ा भरता है। यह बात ठीक है, जिस तरह से एक-एक बुंद से घड़ा भरता है, उसी तरह से ही एक-एक करके अपने देश में भ्रष्टाचार का भी घड़ा भर गया है। आज घड़ा भर गया है तो उसका फूटना भी लाजिमी है। और अब वह फूट रहा है। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि उस भ्रष्टाचार के घड़े को भरने का काम तो हमने और आपने किया है। क्यों कर हम यह मानने को तैयार नहीं होते हैं कि देश में भ्रष्टाचार के पीछे हम और आप हैं।
आज अगर आपको किसी काम का ठेका लेना है तो आपको इसके लिए पैसे देने पड़ेंगे। इसके बाद काम करने के बिल के एवज में भी पैसे देने पर ही बिल का भुगतान होगा। आज आपको किसी भी तरह का काम कराना हो, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, बिना पैसे दिए काम होने वाला नहीं है। नौकरी के लिए पैसे देने पड़ते हैं। हमने तो तीन हजार रुपए मासिक की एक साल की संविदा नियुक्ति के लिए लोगों को एक-एक लाख तक रिश्वत देते देखा और सुना है। ऐसे में आखिर देश में भ्रष्टाचार की सुनामी आएगी नहीं तो क्या होगा। देखा जाए तो भ्रष्टाचार अपने देश में काम करने वाले हर इंसान के खून में शामिल हो गया है। इसको समाप्त करना उतना आसान नहीं है। लेकिन जिस तरह से अन्ना हजारे जी सामने आए हैं, उससे आशा की एक किरण नजर रही है कि शायद अपने देश से भ्रष्टाचार की सुनामी का अंत सही, इससे कुछ तो राहत मिल जाएगी। हमारा ऐसा मानना है कि अपने देश से भ्रष्टाचार की सुनामी का अंत तभी संभव है जब हर आदमी इस बात का संकल्प लेगा कि वह अपने किसी भी काम के लिए चाहे कुछ भी हो जाए किसी को रिश्वत नहीं देगा। जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उस दिन भ्रष्टाचार की सुनामी कहां जाएगी यह बताने की जरूरत नहीं है। क्या आप ऐसा संकल्प लेने के लिए तैयार हैं। महज हजारे जी के समर्थन की बात करने से कुछ नहीं होने वाला है, ऐसा संकल्प ही कुछ कर सकता है।

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