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गुरुवार, सितंबर 08, 2011

आतंकी तो सरकारी दामाद हैं

आतंकी तो भारत में सरकारी दामाद हैं कहा जाए तो गलत नहीं होगा। अपने देश में आतंकवादियों को सजा देने की हिम्मत सरकार नहीं कर पाती है। अगर अफजल गुरु को पहले ही फांसी दे दी जाती तो कम से कम आज दिल्ली धमाके में मारे गए लोग जिंदा रहते। लेकिन इससे सरकार को क्या सरोकार। अगर सौ- दो सौ लोग मारे जाते हैं तो क्या फर्क पड़ता है, लेकिन आतंकियों को सजा देना गंवारा नहीं है। अगर इस तरह से सरकार नपुंसकता दिखाती रही तो देश में आतंक का नंगा नाच चलता रहेगा। अब जबकि यह बात सामने आई है कि अफजल गुरु की फांसी की सजा माफ करवाने दिल्ली हाई कोर्ट में धमाका किया गया है तो सरकार को हिम्मत दिखाते हुए अफजल गुरु की फांसी पर अमल करना चाहिए।
धमाके ने यह एक बार फिर से साबित कर दिया है कि अपने देश की सरकार के पास आमजनों की सुरक्षा के लिए कौड़ी भी नहीं है। देश की जनता के पैसों से नेताओं और मंत्रियों की सुरक्षा पर तो करोड़ों फूंक दिए जाते हैं, लेकिन जहां पर आमजनों के लिए आतंकी हमलों का खतरा रहता है, वहां की सुरक्षा पर खर्च करना सरकार जरूरी नहीं सम­झती है। दिल्ली में जहां धमाका हुआ वहां सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था, एक पुलिस वाला भी वहां नहीं था जो यह नजर रख सकता कि कोई संदिग्ध तो नहीं है। एक गवाह का जिस तरह का बयान सामने आया है, उससे यह बात साफ है कि यह धमाका किसी आतंकवादी संगठन ने आत्मघाती करवाया है।

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