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सोमवार, सितंबर 12, 2011

इंडोर के उद्घाटन के सात माह बाद ही उखड़ने लगा प्लास्टर

राजधानी की खेल बिरादरी को 15 साल के लंबे इंतजार के बाद मिला करीब 22 करोड़ की लागत वाला इंडोर स्टेडियम सात माह बाद ही बदहाली की तरफ जाता नजर आ रहा है। गलत निर्माण के कारण मैदान के चारों तरफ बनी गैलरियों के नीचे वाले हिस्से का प्लास्टर उखड़ने लगा है। अब इसे सुधारने की कवायद में निगम का अमला जुटा है। इंडोर में अब भी एक करोड़ का काम बाकी है।
स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में बने इंडोर स्टेडियम में गैलरियों के नीचे वाले हिस्से में लगा प्लास्टर उखड़ गया है। प्लास्टर इसलिए उखड़ गया है क्योंकि इसे प्लास्टर आॅफ पेरिस से बनाया गया था। अंतर साई वालीबॉल के समय बॉल लगने से हॉल में कई स्थानों का प्लास्टर उखड़ गया। इसकी जानकारी होने पर निगम के इंजीनियर राजेश शर्मा ने इंडोर का निरीक्षण किया और खेल के जानकारों से बात करने के बाद यह फैसला किया गया कि प्लास्टर यहां टिक नहीं पाएगा। ऐसे में निगम के अधिकारियों से चर्चा करने के बाद इंडोर में चारों तरफ मजबूत जैकसम बोर्ड लगाने का फैसला किया गया। श्री शर्मा ने बताया कि इस बार जो बोर्ड लगाया जा रहा है उसके साथ मजबूत ग्रिल भी लगाया जा रहा है, अब इसके उखड़ने का सवाल ही नहीं उठता है। उन्होंने कहा कि हमें भी जानकारी है कि जनवरी में यहां पर राष्ट्रीय वालीबॉल का आयोजन किया जाना है, ऐसे में अगर अभी से ध्यान नहीं दिया जाएगा तो स्पर्धा के समय चारों तरफ से इंडोर का प्लास्टर उखड़ सकता है।
निर्माण ही गलत किया गया
प्रदेश वालीबॉल संघ के सचिव मो. अकरम खान का साफ कहना है कि निगम ने निर्माण ही गलत किया। किसी भी इंडोर में गैलरियों ने नीचे वाले हिस्से में लोहे के ग्रिल और सीट लगाए जाते हैं, ताकि खेल के समय बॉल लगने से कोई नुकसान न हो। लेकिन निगम ने ऐसा नहीं किया और खेलों के जानकारों से चर्चा किए बिना ही निर्माण कर दिया। यही नहीं निगम ने तो वालीबॉल कोर्ट के लिए पोल लगाने की दूरी भी 10 मीटर की थी, जबकि 11 मीटर की दूरी पर कोर्ट के पोल लगते थे, बड़ी मुश्किल से निगम के अधिकारियों को समझाकर इस दूरी को बढ़ाया गया था।
योजना के विपरीत बना है
इंडोर की नींव रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल पहले ही यह बात कह चुके हैं कि इंडोर का निर्माण योजना के अनुकूल नहीं किया गया है। योजना में इंडोर में दो खेल हो सके इसके लिए इंडोर को दो भागों में बांटने की योजना थी, लेकिन इसे एक ही भाग में बनाया गया है। यहां पर दो खेल एक साथ नहीं सकते हैं।
फैक्ट फाइल
1996 में भूमिपूजन हुआ
15 साल लग गए निर्माण पूरा होने में
7 फरवरी 2011 में उद्घाटन
21.62 करोड़ की लागत
20.70 करोड़ खर्च हो चुके हैं
92 लाख का काम बाकी है
गैलरियों में चेयर लगना शेष
सोना, स्टीम बाथ लगेगा

3 टिप्पणियाँ:

smshindi By Sonu सोम सित॰ 12, 11:47:00 am 2011  

बहुत सही लिखा है आपने

अपने ब्लाग् को जोड़े यहां से 1 ब्लॉग सबका

Atul Shrivastava मंगल सित॰ 13, 01:56:00 am 2011  

गोलमाल है... सब गोलमाल है।
सरकारी निर्माण कार्य का तो यह हाल होना ही था।
राजनांदगांव में इनडोर बास्‍केटबाल कोर्ट का निर्माण किया गया स्‍टेडियम परिसर में.... । बना और फिर जब पहली बारिश हुई तो यहां की दीवारों में पानी आने लगा.. छत चुहने लगी..... ये अलग बात है कि निर्माण के दौरान दसियों बाद अफसरों ने खुद निरीक्षण किया था... पर क्‍या करें..... ठेकेदार को कमीशन भी तो देना पडता है... बेचारा पूरी गुणवत्‍ता निर्माण में लगा देगा तो अपने घर परिवार का पेट कैसे पालेगा.... ?

Atul Shrivastava मंगल सित॰ 13, 01:57:00 am 2011  

गोलमाल है... सब गोलमाल है।
सरकारी निर्माण कार्य का तो यह हाल होना ही था।
राजनांदगांव में इनडोर बास्‍केटबाल कोर्ट का निर्माण किया गया स्‍टेडियम परिसर में.... । बना और फिर जब पहली बारिश हुई तो यहां की दीवारों में पानी आने लगा.. छत चुहने लगी..... ये अलग बात है कि निर्माण के दौरान दसियों बाद अफसरों ने खुद निरीक्षण किया था... पर क्‍या करें..... ठेकेदार को कमीशन भी तो देना पडता है... बेचारा पूरी गुणवत्‍ता निर्माण में लगा देगा तो अपने घर परिवार का पेट कैसे पालेगा.... ?

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