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रविवार, सितंबर 25, 2011

जागरूकता से ही मिलेगी डोपिंग से मुक्ति

खिलाड़ियों में जागरूकता और आत्मविश्वास के बिना डोपिंग से मुक्ति संभव नहीं है। एक तरफ वाडा और नाडा डोपिंग रोकने के प्रयास में रहते हैं, तो दूसरी तरफ खिलाड़ी डोप में फंसने के रास्ते तलाश लेते हैं। यही वजह है कि डोपिंग के जाल में आज पूरे विश्व का खेल जगत फंसा हुआ है।
ये बातें यहां पर एंटी डोपिंग सेमिनार में सामने आईं। नाडा के डॉ. सीडी त्रिपाठी ने कहा आज जिस तरह की स्थिति विश्व के खेल क्षितिज पर है, उससे लगता नहीं है कि डोपिंग को रोक पाना संभव है। एक तो खेल संघों को भी कड़ाई करनी होगी, साथ ही यह जरूरी है कि खिलाड़ियों को यह बात समझ आए कि ड्रग्स लेने से उनकी क्षमता भले बढ़ सकती है, लेकिन इसका उनके शरीर पर दुष्प्रभाव ज्यादा होता है। 1990 से पहले डोपिंग के मामले पकड़ पाना आसान नहीं था, लेकिन अब आधुनिक साइंस में सब संभव हो गया है।
नाडा के डॉ. प्रदीप गुप्ता ने बताया कि वाडा की प्रतिबंधित दवाओं की सूची को पढ़ पाना खिलाड़ी और कोच के लिए संभव नहीं है। ऐसे में हम लोग खिलाड़ियों को यही सलाह देते हैं कि कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लें। साई के एनआईएस कोच गजेन्द्र पांडे ने कहा कि यह सब पदक जीतने के लिए होता है। भारोत्तोलन संघ का 40 प्रतिशत बजट तो डेपिंग टेस्ट पर खर्च होता है। उन्होंने कहा कि डोपिंग जहां से शुरू होता है, वहीं से रोकना चाहिए। ओलंपियन राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि जब हम लोग बार्सिलोना ओलंपिक में खेले थे, तब डोपिंग का ज्यादा जोर नहीं है। सेमिनार से खिलाड़ियों में जागरूकता आएगी। गिनीज रिकॉर्डधारी मनोज चोपड़ा ने कहा कि मैंने पदक जीतने के लिए ड्रग्स लेने से बेहतर है आप हार जाए। खेल संचालक जीपी सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों को देखते हुए यह सेमिनार आयोजित किया गया है ताकि प्रदेश के खिलाड़ी जागरूक हो सके। सेमिनार में खेलों से जुड़े 200 से ज्यादा से भाग लिया।
प्रतिबंध लगाएं: ननकीराम कंवर
कार्यक्रम के मुख्यअतिथि गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने कहा कि डोपिंग करने वालों पर आजीवन प्रतिबंध लगा देना चाहिए। ऐसा करने वालों के कारण ही देश शर्मसार होता है। किसी भी तरह का नशा घातक ही होता है।
फैक्ट फाइल
0 1904 में ड्रग्स लेने वाले धावक थामस हिम्स मैराथन जीतने के बाद मर गए थे
0 1936 में नाजी जर्मन टेस्टोस्टेरोन लेते थे
0 1954 में भारोत्तोलक टेस्टोस्टेरोन के इंजेक्शन लेते थे, यही वह समय था जब रूस और अमरीका में पदक वार प्रारंभ हुआ
0 1962 में अमरीकी एथलीटों ने स्टेरायड लेना प्रारंभ किया
0 1968 में पहला डोप टेस्ट किया गया
01988 में बेन जानसन पर ड्रग्स लेने का आरोप लगा
0 1984 में बास्को स्कैंडल सामने आया, बास्केटबॉल खिलाड़ी ऐसी ड्रग्स लेते थे जिससे पकड़े न जाए
0 1999 में वाडा बना
0 2003 में मेरीयन जोंस पर डोपिंग का आरोप लगा, पर साबित नहीं हो सका
0 2007 में वाडा ने दवाईयां बनाने वाली कंपनियों से दवाओं का मैथड लेने का अनुबंध किया
0 नाडा को वाडा से 2009 में मान्यता मिली
क्यों लेते हैं ड्रग्स
0 अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद
0 शक्ति बढ़ाने
0 थकान स्थगित करने
0 तनाव से लड़ने
क्या लेते हैं एथलीट
दर्दनाशक दवा, दिल, श्वास की दवाएं, मस्तिक का उतेजित करने वाली दवाएं
बचाव के रास्ते
0 मूत्र के नमूने में पानी मिलना
0 टेस्ट देने से पहले खून चढ़ावा लेना
0 प्रतिबंधित दवा के साथ दूसरी दवा लेना ताकि पकड़े न जा सके
नाडा कैसे करता है टेस्ट
0 पहले साई सेंटर के मेडिकल का स्टॉफ करता था
0 नाडा अब अपने डोपिंग कंट्रोलर रखते हैं
0 राष्ट्रीय खेलों के शिविर में लेते हैं सैंपल
0 चुनिंदा खिलाड़ियों के लेते हैं सैंपल
0 एक खिलाड़ी का टेस्ट कई बार ले सकते हैं
0 बाहर जाने वाली हर टीम का होता है टेस्ट
ओलंपिक में पकड़े गए मामले
1972 में 7
1976 में 11
1984 में 12
1988 में 10
1992 में 5
1992 में 2
2000 में 12
2004 में 27
2008 में 18 

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