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रविवार, अक्तूबर 16, 2011

किसी को क्यों नहीं होता भ्रष्टाचार पर अफसोस

हमें तो जरूर दिखती है अच्छाई और सच्चाई
क्योंकि हम नहीं खाते मुफ्त की दुध-मलाई
हमें नहीं जकड़ सका है भ्रष्टाचार का कसाई
उठो, जागो, देखों और सोचो भाई
अगर हमने अब भी नहीं खोलीं आंखें
तो निगल जाएगा देश को भ्रष्टाचार का कसाई
क्यों सोए हैं न जाने अब तक अपने देश के लोग
किसी को क्यों नहीं होता भ्रष्टाचार पर अफसोस

4 टिप्पणियाँ:

S.N SHUKLA रवि अक्तू॰ 16, 09:40:00 am 2011  

सुन्दर रचना, प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें .

कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें .

Atul Shrivastava रवि अक्तू॰ 16, 11:00:00 am 2011  

भ्रष्‍टाचार पर अफसोस तो सबको है पर इसे रोकने गंभीर कौन कौन है.....?

विवेक रस्तोगी सोम अक्तू॰ 17, 10:36:00 am 2011  

आम आदमी तो चिल्ला ही रहा है पर पता नहीं सरकारी आदमी कब चिल्लायेगा ।

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