tag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post4263424011966761404..comments2023-11-02T17:32:44.955+05:30Comments on राजतन्त्र: कलम हो गई मालिकों की गुलाम-पत्रकार नहीं कर सकते मर्जी से कामराजकुमार ग्वालानीhttp://www.blogger.com/profile/08102718491295871717noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-71810711468579813262009-05-04T10:20:00.000+05:302009-05-04T10:20:00.000+05:30sach hai, aaj k dunia chatukaro ki hai.
bolne ki s...sach hai, aaj k dunia chatukaro ki hai.<br />bolne ki swatantrata ka koi matlab hi nahi.<br />lekin aisi visam paristhiti me hame milkar kam karna hamara pahla uddesh hona chahiyereenanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-68287701546219431802009-05-03T17:27:00.000+05:302009-05-03T17:27:00.000+05:30एक वह समय था जब अखबारों को देश का चौथा स्तंभ कहा ज...एक वह समय था जब अखबारों को देश का चौथा स्तंभ कहा जाता था। वैसे कहा तो आज भी अखबार को चौथा स्तंभ जाता है, पर यह स्तंभ अब हिल चुका है और यह नेताओं, मंत्रियों और उद्योगपतियों के सहारे के बिना खड़े नहीं रह सकता है। अगर ये अपने हाथ खींच लें को चौथा स्तंभ इतना ज्यादा जर-जर हो चुका है कि उसको गिरने में एक पल का भी समय नहीं लगेगा। यह एक कटु सच कह दिया है आपने, इतना अच्छा लिखने के लिए बधाईUnknownhttps://www.blogger.com/profile/12233477951799566478noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-20659608888005644542009-05-03T16:23:00.000+05:302009-05-03T16:23:00.000+05:30लिखने का साहस किया नंगे सच को आज।
चौथे खम्भे की तर...लिखने का साहस किया नंगे सच को आज।<br />चौथे खम्भे की तरफ देखे सकल समाज।।<br /><br />रोजी रोटी सामने पत्रकार मजबूर।<br />खबरें आती आजकल सच्चाई से दूर।।<br /><br />और<br /><br />लिखूँ जन-गीत मैं प्रतिदिन, ये साँसें चल रहीं जबतक।<br />कठिन संकल्प है देखूँ, निभा पाऊँगा मैं कबतक।<br />उपाधि और शोहरत की ललक में फँस गयी कविता,<br />जिया हूँ बेचकर श्रम को, कलम बेची नहीं अबतक।।<br /><br />सादर <br />श्यामल सुमन <br />09955373288 <br />www.manoramsuman.blogspot.com<br />shyamalsuman@gmail.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-63538160137697081852009-05-03T14:51:00.000+05:302009-05-03T14:51:00.000+05:30वाह जी, कमाल की जानकारियां दी है आपने. मेरा ब्लॉग ...वाह जी, कमाल की जानकारियां दी है आपने. मेरा ब्लॉग भी देखे कभी.....<br />http://deveshvyas.blogspot.comAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-11806506602297082842009-05-03T10:33:00.000+05:302009-05-03T10:33:00.000+05:30नई बात नहीं है, पूंजी के तंत्र में पूंजी के गुलाम ...नई बात नहीं है, पूंजी के तंत्र में पूंजी के गुलाम हो कर ही गुलछर्रे उड़ा सकते हैं। या फिर तैयार रहिए जीने को अभावों में।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-9351771157941366172009-05-03T09:18:00.000+05:302009-05-03T09:18:00.000+05:30सही मायनों में आप सच्चे पत्रकार है गुरुसही मायनों में आप सच्चे पत्रकार है गुरुguruhttps://www.blogger.com/profile/14551048687333448418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-53212073269654334232009-05-03T09:07:00.000+05:302009-05-03T09:07:00.000+05:30आपकी साहसिक लेखनी को हमारा सलामआपकी साहसिक लेखनी को हमारा सलामUnknownhttps://www.blogger.com/profile/14266641697760643776noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-19433529138568797142009-05-03T08:55:00.000+05:302009-05-03T08:55:00.000+05:30हम कुछ पत्रकार मित्रों को जानते हैं उनसे जब भी चर्...हम कुछ पत्रकार मित्रों को जानते हैं उनसे जब भी चर्चा होती है तो यह बातें सामने आती है कि पत्रकारों की कौम खुद शोषण का शिकार है, लेकिन आप लोगों के साथ विडंबना यह है कि आप लोग अपने ही शोषण के खिलाफ नहीं लड़ पाते हैं जबकि दूसरों को न्याय दिलाने के लिए आप लोगों की कलम घिस जाती है।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/14517384428926454930noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-46787576434985286272009-05-03T08:46:00.000+05:302009-05-03T08:46:00.000+05:30एक पत्रकार होते हुए आपने अखबार मालिकों के खिलाफ लि...एक पत्रकार होते हुए आपने अखबार मालिकों के खिलाफ लिखने का बहुत बड़ा साहस दिखाया है। ऐसा साहस शायद ही कोई पत्रकार कर सकता है। आपके लेख को पढऩे के बाद लगा कि आज की दुनिया में सच्ची बातें लिखने वालों की कदर नहीं होती है। आज का जमाना चाटुकारों का है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02099704676677650962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-54874442459303042292009-05-03T08:33:00.000+05:302009-05-03T08:33:00.000+05:30हकीकत यह है कि प्रेस जहां सरकार के हाथों में नाचने...हकीकत यह है कि प्रेस जहां सरकार के हाथों में नाचने वाली कठपुतली हो गई है, वहीं पत्रकार की कलम मालिकों की गुलाम हो गई है, बिलकुल ठीक कहा आपनेanuhttps://www.blogger.com/profile/11103008051466267362noreply@blogger.com