tag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post5311049976964301955..comments2023-11-02T17:32:44.955+05:30Comments on राजतन्त्र: मठाधीशों के इशारों पर चलता है चिट्ठा जगतराजकुमार ग्वालानीhttp://www.blogger.com/profile/08102718491295871717noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-61329407876727039682010-11-12T15:50:11.548+05:302010-11-12T15:50:11.548+05:30अपना ध्यान कभी उस तरफ गया नहीं ! आपके साथ अगर कोई ...अपना ध्यान कभी उस तरफ गया नहीं ! आपके साथ अगर कोई ज्यादती हुई है तो कह कर अच्छा किया !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-35706829694335886642010-11-12T12:54:08.262+05:302010-11-12T12:54:08.262+05:30हमार टिप्पणी कहां गायब हो गयी?हमार टिप्पणी कहां गायब हो गयी?ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-50891118940159905012010-11-12T06:23:43.959+05:302010-11-12T06:23:43.959+05:30चिट्ठाजगत में कुछ हवाले न जुड़ने का कारण मुझे तो तक...चिट्ठाजगत में कुछ हवाले न जुड़ने का कारण मुझे तो तकनीकी खामी ही अधिक नजर आता है क्योंकि कई बार हवाले कुछ माह बाद जुड़ते है और हम सोचते है कि किसी मठाधीश के इशारे पर ये सब हो रहा है पर मुझे नहीं लगता कि ये सब होता है |<br />इसलिए हवाले न जुड़ने पर इतने जल्द दुखी ना हो थोड़ी तसल्ली रखिए हो सकता है कि आपके हवाले कुछ माह में जुड़ जाएं | ये हमारे ब्लॉग के साथ भी अक्सर होता है |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-90981564775812489152010-11-12T02:22:48.152+05:302010-11-12T02:22:48.152+05:30यदि आपके अनुमोदन पर टिप्पणी दिखे.. तो ठीक, क्योंकि...<i><br />यदि आपके अनुमोदन पर टिप्पणी दिखे.. तो ठीक, क्योंकि यह आपका घर है ।<br />इसी प्रकार कोई अपने चबूतरे पर बैठ कर कोनोधीशी करे, सवाल उठाने हम कौन ?<br /><br />अजय झा की बातों में दम है, और सतीश पँचम भाई भी कुछ गलत नहीं कह रहे ।<br />कुछ तो है.. जो कि, मठाधीशों सँबधित शीर्षक पर बीस लोग टिपियाने आ पहुँचे हैं ।<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-6285756115110277922010-11-12T02:22:46.980+05:302010-11-12T02:22:46.980+05:30यदि आपके अनुमोदन पर टिप्पणी दिखे.. तो ठीक, क्योंकि...<i><br />यदि आपके अनुमोदन पर टिप्पणी दिखे.. तो ठीक, क्योंकि यह आपका घर है ।<br />इसी प्रकार कोई अपने चबूतरे पर बैठ कर कोनोधीशी करे, सवाल उठाने हम कौन ?<br /><br />अजय झा की बातों में दम है, और सतीश पँचम भाई भी कुछ गलत नहीं कह रहे ।<br />कुछ तो है.. जो कि, मठाधीशों सँबधित शीर्षक पर बीस लोग टिपियाने आ पहुँचे हैं ।<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-25858126647243995072010-11-11T22:33:53.977+05:302010-11-11T22:33:53.977+05:30राजकुमार जी, आपकी चिंता जायज़ है, लेकिन चर्चा मंचो...राजकुमार जी, आपकी चिंता जायज़ है, लेकिन चर्चा मंचो का योगदान भी अमूल्य है. हो सकता है किसी से भूलवश ऐसा हो गया हो!<br /><br /><br /><a href="http://www.premras.com" rel="nofollow"> <br />प्रेमरस.कॉम<br /> </a>Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-80486311232155043112010-11-11T21:27:43.044+05:302010-11-11T21:27:43.044+05:30अरे भई कैसी कैसी इच्छाएं पाले हो.... रैंकिंग, फैंक...अरे भई कैसी कैसी इच्छाएं पाले हो.... रैंकिंग, फैंकिंग....क्रम व्रम। इन तमाम भ्रमों से निकलो भाई काहे इन पर समय नष्ट करते हो। अपने लेखन पर अपने विचारों पर उतना समय लगाओ यार, काहे दिल छोटा किये हो :) <br /><br /> वैसे भी किसको इन सब से लाभ मिलता होगा कि वह बैठकर रस्सी लेकर किसी पोस्ट को उपर नीचे करता रहे। क्या मिल जायगा इन सब करतबों से।<br /><br /> जैसा भी है, जहां भी है मुझे तो इन संकलकों से कोई शिकायत नहीं है। जैसे हैं अच्छे हैं। <br /><br /> मुफ्त में एक तो सर्वर दिया गया है उपर से बातें सुनाई जाय तो कौन भला इस तरह के कामों को करने में रूचि लेगा। ब्लॉगवाणी के बंद होने के पीछे यही सब चिलगोंजई बातें थी, अन्यथा वह अच्छी तरह चल रहा था। बोल बोल कर, कोंच कोंच कर जब पानी सिर से उपर चला जाता है तो कोई भी समझदार इंसान ब्लॉगवाणी को बंद करना ही श्रेयस्कर समझता और वही ब्लॉगवाणी वालों ने किया।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-2719101303345850782010-11-11T16:09:15.055+05:302010-11-11T16:09:15.055+05:30अरे हां एक बात और , न तो ब्लॉगवाणी ने मुझे अपना वक...अरे हां एक बात और , न तो ब्लॉगवाणी ने मुझे अपना वकील नियुक्त किया हुआ है न ही चिट्ठाजगत ने मैं तो एक पाठक , एक ब्लॉगर के नाते ही मौजूदा विकल्प के संरक्षण के लिए कह रहा हूं बस ।अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-28651220895647662010-11-11T16:05:54.854+05:302010-11-11T16:05:54.854+05:30नहीं राज भाई , मेरे कहने का तात्पर्य कदापि ये नहीं...नहीं राज भाई , मेरे कहने का तात्पर्य कदापि ये नहीं था कि अन्याय को सहते रहना चाहिए बल्कि आप तो स्वयं पत्रकार हैं दूसरों के लिए लडते हैं , मेरा ईशारा मात्र ये भर है कि या तो इससे बेहतर विकल्प तलाशा/बनाया/खडा किया जा सके , नहीं तो कम से कम ये तो कोशिश की ही जाए कि , जो विकल्प उपलब्ध है , वो ऐसे आरोपों के भंवर में फ़ंस कर दम तोड दे । <br /><br />अब रही बात मठाधीशी की या मठाधीशों की ..अजी लानत भेजिए , कौन है यहां मठाधीश । यहां तो पोस्टों के लिए पाठकों और टिप्पणी करने वालों के भी लाले पडे हुए हैं इतने ही बडे मठाधीश होते तो आती न हजार पांच सौ टिप्पणियां ...रही बात चिट्ठाचर्चा की , लिंक्स की , हवाले की ..तो सर्वोपरि एक ही बात ...आज से दस साल बाद जो पढा जाएगा ..वो सिर्फ़ और सिर्फ़ आपका लेखन होगा ...हवाला , चर्चा , लिंक्स ..सब ..टैण टैणेन हो चुके होंगे ...राज भाई ,जिस दिन यहां लिखे हुए शब्दों का दाम मिलने लगेगा न उस दिन देखिएगा कि कौन क्या लिख रहा है ???? आप निश्चिंत होकर अपना कार्य करें ..ब्लॉगिंग किसी के बाप की जागीर नहीं कि जैसे चाहा मोड तोड दिया ..उसे खुद ही आप चाहे जैसे कर सकते हैं और सब कर ही रहे हैंअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-16183740143822862792010-11-11T14:07:14.935+05:302010-11-11T14:07:14.935+05:30अजय जी,
ब्लागवाणी के बंद होने का हमें भी अफसोस है...अजय जी, <br />ब्लागवाणी के बंद होने का हमें भी अफसोस है, लेकिन इसका यह मलतलब कदापि नहीं होता है कि आपके साथ लगातार अन्याय होते रहे और बर्दाश्त करते रहे। अगर अन्याय के खिलाफ लिखना और बोलना गलत है तो फिर शायद हम गलत हैं। वैसे हम ज्यादा नहीं जानते हैं हम तो अज्ञानी हैं ब्लाग जगत में आए हमें ज्यादा समय नहीं हुआ है।राजकुमार ग्वालानीhttps://www.blogger.com/profile/08102718491295871717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-65898120892150811722010-11-11T14:04:55.770+05:302010-11-11T14:04:55.770+05:30वत्स जी
चर्चा का एक साझा ब्लाग हमारा भी है। उस ब्ल...वत्स जी<br />चर्चा का एक साझा ब्लाग हमारा भी है। उस ब्लाग को हमने ब्लाग जगत में फैली गुटबाजी को समाप्त करने के इरादे से प्रारंभ किया है। हम जानते हैं कि ब्लाग जगत की गुटबाजी को समाप्त करना संभव नहीं है। लेकिन इसके बाद भी हम ऐसा प्रयास कर रहे हैं। हमारी ब्लाग चौपाल में प्रयास रहता है कि ज्यादा से ज्यादा नए ब्लागों को शामिल किया जाए। हमें जितना समय मिल पाता है, हम नए ब्लागों के फालोअर बनते हैं ताकि चर्चा करने में आसानी हो। दूसरे चर्चा करने वाले ब्लाग क्या करते हैं हम नहीं जानते, लेकिन हमारा प्रयास कभी अपने खास मित्रों (जैसा आप समझते हैं) को पहुंचाने का नहीं रहता है हम तो हर ब्लागर को अपना मित्र मानते हैं।राजकुमार ग्वालानीhttps://www.blogger.com/profile/08102718491295871717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-53881194155151609392010-11-11T14:04:41.055+05:302010-11-11T14:04:41.055+05:30वत्स जी
चर्चा का एक साझा ब्लाग हमारा भी है। उस ब्ल...वत्स जी<br />चर्चा का एक साझा ब्लाग हमारा भी है। उस ब्लाग को हमने ब्लाग जगत में फैली गुटबाजी को समाप्त करने के इरादे से प्रारंभ किया है। हम जानते हैं कि ब्लाग जगत की गुटबाजी को समाप्त करना संभव नहीं है। लेकिन इसके बाद भी हम ऐसा प्रयास कर रहे हैं। हमारी ब्लाग चौपाल में प्रयास रहता है कि ज्यादा से ज्यादा नए ब्लागों को शामिल किया जाए। हमें जितना समय मिल पाता है, हम नए ब्लागों के फालोअर बनते हैं ताकि चर्चा करने में आसानी हो। दूसरे चर्चा करने वाले ब्लाग क्या करते हैं हम नहीं जानते, लेकिन हमारा प्रयास कभी अपने खास मित्रों (जैसा आप समझते हैं) को पहुंचाने का नहीं रहता है हम तो हर ब्लागर को अपना मित्र मानते हैं।राजकुमार ग्वालानीhttps://www.blogger.com/profile/08102718491295871717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-86061532290333962282010-11-11T14:00:20.161+05:302010-11-11T14:00:20.161+05:30boss is always right.boss is always right.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07499570337873604719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-22796572041968134402010-11-11T13:42:03.632+05:302010-11-11T13:42:03.632+05:30स्मार्ट इन्डियन जी का कहना बिल्कुल सही है....
दरअस...स्मार्ट इन्डियन जी का कहना बिल्कुल सही है....<br />दरअसल हम लोगों की ये आदत बन चुकी है कि हम दान में मिली बछिया के भी दाँत गिनने लगते है.<br />दूसरी बात, कि किसी ओर को निष्पक्षता की सीख देना भी हम बखूबी जानते हैं, जब कि चर्चा करते हुए हम खुद कितने निष्पक्ष रहते हैं, ये सारा ब्लागजगत जानता है...वही गिने-चुने अपने मेलजोल के 8-10 ब्लागर्स...जिनकी पोस्टस को लिंक देना होता है....<br />(बुरा लगे तो आप टिप्पणी मिटाने को स्वतन्त्र हैं)Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-1958196256413111312010-11-11T12:13:37.873+05:302010-11-11T12:13:37.873+05:30राजकुमार जी,
आपकी शिकायत जायज़ है, चिठ्ठाजगत में &...राजकुमार जी,<br /><br />आपकी शिकायत जायज़ है, चिठ्ठाजगत में "सक्रियता क्रमांक" आदि का लफ़ड़ा भी मुझे आज तक समझ नहीं आया… लिस्ट मे कुछ ऐसे भी ब्लॉग हैं जो कई दिनों तक निष्क्रिय रहते हैं फ़िर भी टॉप पर बने रहते हैं… जबकि सप्ताह में दो-तीन पोस्ट लिखने के बावजूद मैं कभी भी 25-26 से ऊपर नहीं जा सका। आपकी बात तो खैर अलग ही है… जितने सक्रिय आप हैं वैसे कम ही लोग हैं…। <br /><br />कई ब्लॉग तो "समूह ब्लॉग" हैं जो स्वाभाविक रुप से "सक्रिय" रहेंगे ही, लेकिन मेरे और आपके जैसे एकल ब्लॉगर का सक्रियता क्रमांक कैसे तय होता है मुझे पता नहीं है। <br /><br />फ़िर भी जिस तरह मैंने एक दो बार शिकायत करने के बाद चुप्पी साध ली आप भी साध लीजिये… :) :) जैसा कि अजित गुप्ता जी ने कहा कि अन्ततः लेखन की क्वालिटी और कण्टेण्ट ही महत्वपूर्ण है… <br />=============<br /><br />हिन्दी ब्लॉगिंग के कुछ स्थाई हथकण्डे - <br /><br />1) अपनी ही पोस्ट पर खुद या किसी चमचे द्वारा ढेर सारी टिप्पणियाँ करवाना… <br />2) जुगाड़ करके चर्चाओं में अपना चिठ्ठा शामिल करवाना…<br />3) खुद ही चर्चा शुरु करके उसमें अधिक से अधिक महिलाओं के चिठ्ठों को स्थान देना… <br />4) बेवजह का विवाद खड़ा करना, खासकर ब्लॉगिंग और ब्लॉगरों को लेकर… <br />आदि-आदि-आदि-आदि-आदि…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-74389479000290403572010-11-11T10:31:29.642+05:302010-11-11T10:31:29.642+05:30ये मठाधीश कौन हैं, हम नहीं जानते हैं ???ये मठाधीश कौन हैं, हम नहीं जानते हैं ???समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-61144349981334795132010-11-11T10:24:46.456+05:302010-11-11T10:24:46.456+05:30राज़ भाई ,
ये बात ठीक हो सकती है कि , कुछ कमियां ...राज़ भाई , <br />ये बात ठीक हो सकती है कि , कुछ कमियां , कुछ खामियां चिट्ठाजगत में भी हो सकती हैं और शायद हैं भी , मैं खुद कई बार बहुत सी सूचियों , जैसे धडाधड , सर्वाधिक ईमेल होते चिट्ठे आदि में ये बात देख चुका हूं । <br /><br />मगर इन सबके बावजूद ये नहीं भूलना चाहिए कि , ऐसे ही आरोप ब्लॉगवाणी को बंद करवाने के लिए जिम्मेदार रह चुके हैं । और आज अपनी तमाम खूबियों और खामियों के बावजूद हिंदी चिट्ठों के लिए सबसे लोकप्रिय और शायद अकेला भी एक लोकप्रिय संकलक है । इसलिए इन बातों की ओर ध्यान देने से बेहतर है कि अंतर्जाल पर अपनी वो छाप छोडी जाए जो भविष्य में आने वाले बलॉगर्स को गौरव का एहसास करा सके । शुभकामनाएंअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-86518931524779184562010-11-11T09:15:14.998+05:302010-11-11T09:15:14.998+05:30राजकुमार जी,
मुफ्त में कोई अपनी सेवा प्रदान कर रह...राजकुमार जी,<br /><br />मुफ्त में कोई अपनी सेवा प्रदान कर रहा है, यही गनीमत है वर्ना हिन्दी ब्लॉग जगत में तो कई लोग टिप्पणी या लिंक भी बेमतलब नहीं देते हैं।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-31814014194350256192010-11-11T08:50:32.619+05:302010-11-11T08:50:32.619+05:30अब मठाधीश कहां नहीं हैं, ब्लाग जगत में हैं तो इसमे...अब मठाधीश कहां नहीं हैं, ब्लाग जगत में हैं तो इसमें हैरानी क्याUnknownhttps://www.blogger.com/profile/14266641697760643776noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-15850390608756008042010-11-11T08:37:24.292+05:302010-11-11T08:37:24.292+05:30I have also observed that! I never look up on my r...I have also observed that! I never look up on my ranking but my blog rarely appear in the active quqeue.<br /><br />Hope, it runs based on algos not based on personal agendas!!राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-47949480804495625852010-11-11T08:36:00.428+05:302010-11-11T08:36:00.428+05:30बिलकुल सही मुद्दा पकड़ा है राजकुमार जीबिलकुल सही मुद्दा पकड़ा है राजकुमार जीUnknownhttps://www.blogger.com/profile/08938060975224497818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-63998245346678642102010-11-11T08:34:56.735+05:302010-11-11T08:34:56.735+05:30सब अपनी कुर्सी बचाने का खेल खेलते हैं, खेल तो खेल ...सब अपनी कुर्सी बचाने का खेल खेलते हैं, खेल तो खेल होता हैrajesh patelhttps://www.blogger.com/profile/11908659087377637882noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-91288269276632558912010-11-11T08:34:13.997+05:302010-11-11T08:34:13.997+05:30अजीत गुप्ता जी,
आपकी बातों से हम भी सहमत हैं, लेक...अजीत गुप्ता जी, <br />आपकी बातों से हम भी सहमत हैं, लेकिन गलत बात और अन्याय के खिलाफ न बोलना भी तो गलत है। हमने सिर्फ चिट्ठा जगत की एक गलती की तरफ ध्यान दिलाने का काम किया है। एक बार नहीं कर बार ऐसा होने पर ही हमें लिखने मजबूर होना पड़ा है।राजकुमार ग्वालानीhttps://www.blogger.com/profile/08102718491295871717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-28580007351334812282010-11-11T08:24:38.866+05:302010-11-11T08:24:38.866+05:30राजकुमार जी, हम तो इस खेल को समझ ही नहीं पाएं हैं ...राजकुमार जी, हम तो इस खेल को समझ ही नहीं पाएं हैं तो क्या कहे? इसलिए इस ओर ध्यान ही नहीं देते। चिठ्ठा जगत में कौन से पायदान पर खड़े हैं इससे कुछ हासिल नहीं होता। आपका अच्छा लेखन ही समाज में आपकी पहचान कराता है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-34632492998800563612010-11-11T08:10:25.490+05:302010-11-11T08:10:25.490+05:30राजकुमार जी आपकी शिकायत और नाराज़गी जायज़ है लेकिन ...राजकुमार जी आपकी शिकायत और नाराज़गी जायज़ है लेकिन बदगुमानी ठीक नहीं है ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.com