tag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post8239473768401330620..comments2023-11-02T17:32:44.955+05:30Comments on राजतन्त्र: अखबारों में हिन्दी का भगवान ही मालिकराजकुमार ग्वालानीhttp://www.blogger.com/profile/08102718491295871717noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-15307069352838639082009-08-12T03:37:22.483+05:302009-08-12T03:37:22.483+05:30रोहन साहब सच कह रहे हैं... अपने से ज्यादा पढ़े लिख...रोहन साहब सच कह रहे हैं... अपने से ज्यादा पढ़े लिखे को कोई पसंद नहीं करता, और हमारे देश में भाषा के सरलीकरण का जो तमाशा चल पड़ा है, उससे भगवान बचाए....इस सम्बन्ध में कई लोग पहले भी बहुत लिख चुके हैं | योग्यता की हत्या कैसे की जाती है, वह आप किसी उच्च पदस्थ भारतीय से सीखें.Sachihttps://www.blogger.com/profile/04099227991727297022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-5604679416218707992009-08-11T23:11:37.258+05:302009-08-11T23:11:37.258+05:30जिस मुल्क की राजनीति तुष्टिकरण हो उस मुल्क की राष्...जिस मुल्क की राजनीति तुष्टिकरण हो उस मुल्क की राष्ट्रभाषा का दीपक गुल समझो॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-7166064818462328792009-08-11T12:57:00.226+05:302009-08-11T12:57:00.226+05:30बाजार ने ज्यादा कबाड़ा किया है हिंदी का. जब पैसे ल...बाजार ने ज्यादा कबाड़ा किया है हिंदी का. जब पैसे लेकर स्पेस बेचे जाएंगे तो पतन के अगले चरण बस कल्पना ही की जा सकती है. 11-8-09 का नई दुनिया का संपादकीय पन्ना देखें. वर्गीस साहब का लेख है पाकिस्तान से संबंधित. गलतियां इतनी कि साफ समझ आ जाए कि मामला अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद का है. ये कोई बुरी बात नहीं. अंग्रेजी की अच्छी चीजें हिंदी भाषियों को उपलब्ध करवाने में बुराई क्या है. पर उसमें हिंदी की आत्मा तो होनी चाहिए. हूबहू अंग्रेजी अनुवाद से भाषा की आत्मा ही मर जाती है. पुराने लोगों को नई पीढ़ी के पत्रकारों में इस जिम्मेदारी का बोध भरना होगा.अतुवल चौरसियाhttp://www.chauraha.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-29349493951842949962009-08-11T11:38:27.370+05:302009-08-11T11:38:27.370+05:30वर्षों पहले इन्दौर से निकलने वाला नईदुनिया इस मामल...वर्षों पहले इन्दौर से निकलने वाला नईदुनिया इस मामले में एक "मानक" माना जाता था, लेकिन अब धीरे-धीरे सभी का क्षरण होता जा रहा है… अशुद्ध हिन्दी के साथ "हिंग्रेजी" शब्दों का उपयोग भी धड़ल्ले से होने लगा है, और वह भी या तो कथित "आधुनिकता" के नाम पर या फ़िर "चलता है" के नाम पर… दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, लेकिन नई भरती जो हो रही है उनमें से लगभग सभी "फ़र्जी" हैं उनसे कोई क्या उम्मी्द करे…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-69848616176976305092009-08-11T10:54:18.395+05:302009-08-11T10:54:18.395+05:30विवेक जी जैसा हमने भी खूब सिर पीटा। हर बार जवाब यह...विवेक जी जैसा हमने भी खूब सिर पीटा। हर बार जवाब यही मिलता था- भावनायें समझिये, शब्दों पर क्यों जाते हैं?<br /><br />अब इन्हें कौन समझाता कि भावनाएं दर्शाने के लिए तो गाली का एक शब्द ही बहुत होता है।<br /><br />समाचारपत्र आजकल एक व्यवसाय हो गया है और व्यवसाय युवा समाज के भरोसे ही चलता है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-9533298649913840442009-08-11T10:47:38.656+05:302009-08-11T10:47:38.656+05:30मालिक तो हम-आप ही है। भगवान मालिक होता तो, ऐसी दुर...मालिक तो हम-आप ही है। भगवान मालिक होता तो, ऐसी दुर्दशा थोड़े न होतीBatangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-84434343951572865712009-08-11T10:47:00.269+05:302009-08-11T10:47:00.269+05:30मालिक तो हम-आप हैं। भगवान होता तो इतनी दुर्दशा न ह...मालिक तो हम-आप हैं। भगवान होता तो इतनी दुर्दशा न होतीBatangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-43945871295569931482009-08-11T10:31:03.213+05:302009-08-11T10:31:03.213+05:30अखबार पढऩे का मतलब है अपनी हिन्दी को खराब करना है।...अखबार पढऩे का मतलब है अपनी हिन्दी को खराब करना है।amitanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-34363769725372406822009-08-11T09:59:43.702+05:302009-08-11T09:59:43.702+05:30अच्छे इंसानों की कदर तो कहीं नहीं होती है, फिर इसस...अच्छे इंसानों की कदर तो कहीं नहीं होती है, फिर इससे मीडिया जगत कैसे अछूता रह सकता है।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/08938060975224497818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-52658696675325758602009-08-11T09:45:46.780+05:302009-08-11T09:45:46.780+05:30अखबारों ने ही तो हिन्दी का कबाड़ा कर दिया है। किसी...अखबारों ने ही तो हिन्दी का कबाड़ा कर दिया है। किसी भी अखबार में आज शुद्ध हिन्दी का अभाव है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-40564267319567234792009-08-11T09:07:37.679+05:302009-08-11T09:07:37.679+05:30बहुत ही दमदारी से लिखा है आपने। पत्रकारिता के पेशे...बहुत ही दमदारी से लिखा है आपने। पत्रकारिता के पेशे में होने के बाद पत्रकारिता का सच सामने लाना बड़ी बात है।manasnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-45283541072790962762009-08-11T08:41:37.596+05:302009-08-11T08:41:37.596+05:30जब देश के चौथे स्तंभ को ही राष्ट्रभाषा की कदर नहीं...जब देश के चौथे स्तंभ को ही राष्ट्रभाषा की कदर नहीं है, फिर बाकी के लिए क्या कहा जा सकता है।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/07338844024490448967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-47636113152270744772009-08-11T08:27:39.112+05:302009-08-11T08:27:39.112+05:30आज का जमाना चाटुकारिता का है मित्र, अपने से ज्यादा...आज का जमाना चाटुकारिता का है मित्र, अपने से ज्यादा जानकारों को कोई पसंद नहीं करता है। किसी संपादक को यह कैसे गंवारा हो सकता है कि उसके अधीन काम करने वाले पत्रकार को हिन्दी का अधिक ज्ञान हो।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/08505300444227407806noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-906208060476674822.post-62971014653049720022009-08-11T07:45:17.135+05:302009-08-11T07:45:17.135+05:30हमने भी बहुत सिर पीटा अपने ब्लॉग पर, नतीजा क्या वह...हमने भी बहुत सिर पीटा अपने ब्लॉग पर, नतीजा क्या वही ढाक के तीन पात, ईमेल भी किये पर अंजाम वही, इन पर कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि पाठक भी वैसी ही हिन्दी पढ़ने के आदि हो गये हैं, बस हम और आप जैसे कुछ ही लोग गाहे बगाहे गरियाते रहते हैं।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.com