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गुरुवार, जुलाई 22, 2010

छत्तीसगढ़ में भी होता खिलाड़ियों का यौन शोषण

भारतीय हाकी टीम के कोच एमके कौशिक के यौन शोषण के मामले ने एक बार फिऱ से इस दिशा में लिखने के लिए मजबूर कर दिया है कि अपने राज्य में भी लगातार खिलाड़ियों का यौन शोषण होते रहा है। छत्तीसगढ़ में लगातार महिला खिलाडिय़ों का यौन शोषण करने का खेल चल रहा है। इस खेल का खुलासा कई मौकों पर होने के बाद भी इस दिशा में शासन ने अब तक कोई ठोस पहल नहीं की है जिसके कारण ऐसा घिनौना काम करने वाले लगातार ऐसा करने में लगे हुए हैं। जो मामले सामने आए हैं उन मामलों में स्कूली खेलों में गोवा में हुए कांड के साथ खरोरा का कांड भी शामिल है। लेकिन इन कांडों में शामिल आरोपियों को पहले निलंबित किया गया फिर उनको बहाल भी कर दिया गया है। एक मामला ऐसा भी हुआ था जिसमें भिलाई में कोरबा के जूडो कोच ने अपनी महज 13 साल की खिलाड़ी के साथ बलात्कार करने का काम किया था। इस घटना ने ही सबको सोचने पर मजबूर किया था कि वास्तव में छत्तीसगढ़ में भी खिलाड़ी प्रशिक्षकों की हवस का शिकार हो रही हैं। यह तो भिलाई और गोवा का मामला किसी कारणवश खुल गया था, वरना न जाने कितनी मासूम लगातार प्रशिक्षकों की हवस का शिकार हो रही हैं, और पता ही नहीं चल पाता है। लेकिन यदा-कदा जहां ऐसी चर्चाएं होती रहती हैं, वहीं कुछ समय पहले एक आदिवासी खिलाड़ी ने तो खुलकर अपने कोच पर यौन शोषण करने देने की शर्त पर ही प्रदेश की टीम में शामिल करने का आरोप लगाया था। इस आरोप को जहां संघ ने गंभीरता ने नहीं लिया था और अपने कोच को पाक-साफ साबित कर दिया था, वहीं राज्य महिला आयोग ने इस मामले की जांच की। लेकिन इस कोच को कोई कड़ी सजा नहीं मिल पाई और इसका नतीजा यह रहा कि यौन शोषण का खेल करने वाले अब और ज्यादा बेखौफ होकर यह खेल खेलने में लगे हैं। अब इसे अपने राज्य की खिलाडिय़ों का दुर्भाग्य कहे या उनकी मजबूरी की एक खेल की खिलाड़ी के एक साहसिक कदम के बाद भी कोई और खिलाड़ी सामने नहीं पा रही हैं। वैसे यह बात सब जानते हैं कि खिलाडिय़ों का यौन शोषण लगातार जारी है। इसे रोकने की पहल करने वाला पूरे राज्य में कोई नजर नहीं आता है। हमने ही अपने खेल पत्रिका में इसका पहली बार खुलासा किया था। इसके बाद ही मीडिया में इस पर खबरें प्रकाशित हुईं, लेकिन फिर चंद दिनों बाद यह मामला ठंड़ा पड़ गया और यौन शोषण के दानव फिर से सक्रिय हो गए हैं। ऐसे में हमें फिर से कलम उठाने मजबूर होना पड़ा है। आज जबकि अपने राज्य ही नहीं पूरे देश में महिला खिलाडिय़ों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि खेल के नाम पर यौन शोषण करने वालों को एकजुट होकर खदेड़ा जाए। हालांकि यह उतना आसान नहीं है क्योंकि यहां तो हर साख पे उल्लू बैठे हैं, अंजामे गुलिस्ता क्या होगा, वाली बात है।

शेष कल..

1 टिप्पणियाँ:

Udan Tashtari शुक्र जुल॰ 23, 06:09:00 am 2010  

ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि खेल के नाम पर यौन शोषण करने वालों को एकजुट होकर खदेड़ा जाए

-बहुत जरुरी है.

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