दिल से करो काम-खेलों में होगा नाम
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ की दिल्ली में हुई कार्याशाला में छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के सहसचिव विष्णु श्रीवास्तव की प्रस्तुति को सराहा गया। उनकी थीम को ओलंपिक संघ ने अपनी वेबसाइड में भी स्थान दिया है। इस प्रस्तुति में बताया गया है कि अगर दिल से काम किया जाए तो खेलों में नाम होता है।
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने ओलंपिक के सही रूप को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने के लिए दिल्ली में एक कार्यशाला का आयोजन २१ से २६ मार्च तक किया था। इस कार्यशाला में देश के कई राज्यों के ओलंपिक संघ से जुड़े डेढ़ दर्जन पदाधिकारियों को शामिल किया गया था। इनको कार्यशाला में छह दिनों तक बताया गया कि ओलंपिक संघ के सही रूप को कैसे दुनिया के सामने लाना है। इसी के साथ छत्तीसगढ़ के विष्णु श्रीवास्तव लीडर होने के नाते एक प्रस्तुति देने का मौका दिया गया। उन्होंने करीब १५ मिनट तक अंग्रेजी में अपनी प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति के बारे में उन्होंने बताया कि अक्सर किसी भी प्रस्तुत में उस तरह की थीम पेश नहीं की जाती है जैसी मैंने की थी। बकौल विष्णु श्रीवास्तव उन्होंने एक दिल का आकर बनाकर बताया कि अगर कोई भी काम दिल से किया जाए तो वह जरूर सफल होता है। उन्होंने बताया कि उनका ऐसा मानना है कि अगर खेलों में कोई भी खिलाड़ी दिल से खेल से उसको सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता है। उनकी इस थीम को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने इतना पसंद किया कि उनकी यह थीम फोटो के साथ ओलंपिक संघ की वेबसाइड में डाली गई है।
ओलंपिक का मकसद है विश्वबंधुत्व
एक सवाल के जवाब में श्री श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यशाला करवाने का मकसद यह है कि दुनिया में यह संदेश देना कि ओलंपिक का मतलब महज पदक जीतना या फिर पदक तालिका में अपने देश को ऊंचाई पर ले जाना नहीं है। उन्होंने बताया कि ओलंपिक खेलों को प्रारंभ करने का एक मात्र मकसद यह था कि विश्व को एक सूत्र में बांध कर लड़ाई-ङागड़ों से दूर रखा जाए। लेकिन ओलंपिक के इस मकसद को भूलाकर हर देश आज पदक जीतने की होड़ में लगा है। पदक के लिए खिलाड़ी डोपिंग से लेकर हर तरह के पैतरे आजमाने लगे हैं जिसके चलते ओलंपिक का मकसद खो गया है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने फैसला किया है कि हर देश में कार्यशाला का आयोजन करके उस देश के लोगों को यह बताया जाए कि ओलंपिक का जो मकसद है उसकी तरफ लौटना है। अगर ओलंपिक संघ इसमें सफल होता है तो विश्व को भ्रष्टाचार,आतंकवाद और युद्ध से बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दिल्ली की कार्यशाला में ओलंपिक के मकसद से दो-चार होने के बाद अब इसकी जानकारी देश में देने का जिम्मा इस कार्यशाला में शामिल होने वालों पर है। उन्होंने बताया कि देश के खिलाडिय़ों को यह भी बताना है कि पदक जीतने के लिए डोपिंग का सहारा लेना गलत है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में यह बात भी सामने आई कि भाई चारा ही क्यों बहन चारा भी क्यों नहीं हो। उन्होंने कहा कि बहन चारा का नारा देकर महिला खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करना है।
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अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने ओलंपिक के सही रूप को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने के लिए दिल्ली में एक कार्यशाला का आयोजन २१ से २६ मार्च तक किया था। इस कार्यशाला में देश के कई राज्यों के ओलंपिक संघ से जुड़े डेढ़ दर्जन पदाधिकारियों को शामिल किया गया था। इनको कार्यशाला में छह दिनों तक बताया गया कि ओलंपिक संघ के सही रूप को कैसे दुनिया के सामने लाना है। इसी के साथ छत्तीसगढ़ के विष्णु श्रीवास्तव लीडर होने के नाते एक प्रस्तुति देने का मौका दिया गया। उन्होंने करीब १५ मिनट तक अंग्रेजी में अपनी प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति के बारे में उन्होंने बताया कि अक्सर किसी भी प्रस्तुत में उस तरह की थीम पेश नहीं की जाती है जैसी मैंने की थी। बकौल विष्णु श्रीवास्तव उन्होंने एक दिल का आकर बनाकर बताया कि अगर कोई भी काम दिल से किया जाए तो वह जरूर सफल होता है। उन्होंने बताया कि उनका ऐसा मानना है कि अगर खेलों में कोई भी खिलाड़ी दिल से खेल से उसको सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता है। उनकी इस थीम को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने इतना पसंद किया कि उनकी यह थीम फोटो के साथ ओलंपिक संघ की वेबसाइड में डाली गई है।
ओलंपिक का मकसद है विश्वबंधुत्व
एक सवाल के जवाब में श्री श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यशाला करवाने का मकसद यह है कि दुनिया में यह संदेश देना कि ओलंपिक का मतलब महज पदक जीतना या फिर पदक तालिका में अपने देश को ऊंचाई पर ले जाना नहीं है। उन्होंने बताया कि ओलंपिक खेलों को प्रारंभ करने का एक मात्र मकसद यह था कि विश्व को एक सूत्र में बांध कर लड़ाई-ङागड़ों से दूर रखा जाए। लेकिन ओलंपिक के इस मकसद को भूलाकर हर देश आज पदक जीतने की होड़ में लगा है। पदक के लिए खिलाड़ी डोपिंग से लेकर हर तरह के पैतरे आजमाने लगे हैं जिसके चलते ओलंपिक का मकसद खो गया है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने फैसला किया है कि हर देश में कार्यशाला का आयोजन करके उस देश के लोगों को यह बताया जाए कि ओलंपिक का जो मकसद है उसकी तरफ लौटना है। अगर ओलंपिक संघ इसमें सफल होता है तो विश्व को भ्रष्टाचार,आतंकवाद और युद्ध से बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दिल्ली की कार्यशाला में ओलंपिक के मकसद से दो-चार होने के बाद अब इसकी जानकारी देश में देने का जिम्मा इस कार्यशाला में शामिल होने वालों पर है। उन्होंने बताया कि देश के खिलाडिय़ों को यह भी बताना है कि पदक जीतने के लिए डोपिंग का सहारा लेना गलत है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में यह बात भी सामने आई कि भाई चारा ही क्यों बहन चारा भी क्यों नहीं हो। उन्होंने कहा कि बहन चारा का नारा देकर महिला खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करना है।