मंत्री तो बातें करते हैं, पर नक्सली हमला करते हैं
छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों के तांड़व में 76 जवान शहीद हो गए। यह राज्य में अब तक की सबसे बड़ी नक्सली घटना है। नक्सलियों का हमला कोई नई बात नहीं है। लेकिन सोचने वाली बात यह है ऐसा बड़ा हमला नक्सली कब करते हैं। जहां तक हमारा मानना है कि जब-जब कोई मंत्री नक्सलियों का सफाया करने की बातें करते हैं तब-तब नक्सली बताते हैं कि उनका सफाया करना सरकार के बस में नहीं है बल्कि वे सरकार के जवानों और आम लोगों को गाजर-मूली की तरह काट सकते हैं।
कल ही अपने देश के गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने एक बयान दिया कि नक्सलियों को दो साल में उखाड़े फेकेंगे। इधर गृहमंत्री का यह बयान आया उधर नक्सलियों ने अपना दम दिखाया कि गृहमंत्री साहब आपकी सरकार में हमें उखाड़े का दम नहीं है, बल्कि हममें इतना दम है कि हम कुछ भी कर सकते हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि नक्सली वो सब कर गुजरते हैं जो वे सोचते हैं, लेकिन अपनी सरकार में बैठे मंत्री महज बयान देना जानते हैं। सोचने वाली बात है कि आखिर बयान देने से क्या फायदा है। यहां पर अपने मीडिया को भी इस बात से बचने की जरूरत है कि वह किसी भी मंत्री से बार-बार यह न पूछे कि नक्सलवाद का खात्मा कब होगा। अगर कोई काम करना है तो उसी तरह से चुपचाप करें जिस तरह से नक्सली करते हैं। अगर हम लगातार ढिढ़ोरा पिटते रहेंगे तो दो साल क्या कई सालों में नक्सलियों का कुछ नहीं कर पाएंगे। अब तक इनका क्या बिगाड़ लिया गया है।
अपनी सरकार का खुफिया तंत्र इतना ज्यादा पंगु है कि इनको तो भनक भी नहीं लगती है और बड़ा से बड़ा नक्सली हमला हो जाता है। क्या कल की घटना एक और सबूत नहीं है। एक हजार नक्सलियों ने हमला कर दिया और अपने खुफिया तंत्र को हवा भी नहीं लगी। ये कैसा नेटवर्क है अपनी सुरक्षा का। हमारा ऐसा मानना है कि छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री के साथ देश के गृहमंत्री को भी ऐसे किसी बयान से बचना चाहिए जिससे नक्सली भड़कते हैं। जो करना है हम चुप चाप करें। आप में दम है तो कर दें नक्सलियों का सफाया दो साल में। यह बात सबको बताकर क्यों नक्सलियों को संचेत करते हैं। इसमें भी कोई दो मत नहीं है कि नक्सलियों का नेटवर्क अपनी सरकार के खुफिया तंत्र के नेटवर्क से ज्यादा तगड़ा। सरकार के हर कदम की जानकारी उन तक पहुंच जाती है, जबकि उनके किसी भी कदम की जानकारी सरकार को नहीं हो पाती है। ऐसे में क्या खाक दो साल में नक्सलियों का सफाया करने की बात गृहमंत्री करते हैं। चिदंबरम साहब आप बयान देकर महज बेगुनाहों की हत्या करवाने का ही काम कर रहे हैं। आपको ऐसे बयानों से बचाना चाहिए।
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कल ही अपने देश के गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने एक बयान दिया कि नक्सलियों को दो साल में उखाड़े फेकेंगे। इधर गृहमंत्री का यह बयान आया उधर नक्सलियों ने अपना दम दिखाया कि गृहमंत्री साहब आपकी सरकार में हमें उखाड़े का दम नहीं है, बल्कि हममें इतना दम है कि हम कुछ भी कर सकते हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि नक्सली वो सब कर गुजरते हैं जो वे सोचते हैं, लेकिन अपनी सरकार में बैठे मंत्री महज बयान देना जानते हैं। सोचने वाली बात है कि आखिर बयान देने से क्या फायदा है। यहां पर अपने मीडिया को भी इस बात से बचने की जरूरत है कि वह किसी भी मंत्री से बार-बार यह न पूछे कि नक्सलवाद का खात्मा कब होगा। अगर कोई काम करना है तो उसी तरह से चुपचाप करें जिस तरह से नक्सली करते हैं। अगर हम लगातार ढिढ़ोरा पिटते रहेंगे तो दो साल क्या कई सालों में नक्सलियों का कुछ नहीं कर पाएंगे। अब तक इनका क्या बिगाड़ लिया गया है।
अपनी सरकार का खुफिया तंत्र इतना ज्यादा पंगु है कि इनको तो भनक भी नहीं लगती है और बड़ा से बड़ा नक्सली हमला हो जाता है। क्या कल की घटना एक और सबूत नहीं है। एक हजार नक्सलियों ने हमला कर दिया और अपने खुफिया तंत्र को हवा भी नहीं लगी। ये कैसा नेटवर्क है अपनी सुरक्षा का। हमारा ऐसा मानना है कि छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री के साथ देश के गृहमंत्री को भी ऐसे किसी बयान से बचना चाहिए जिससे नक्सली भड़कते हैं। जो करना है हम चुप चाप करें। आप में दम है तो कर दें नक्सलियों का सफाया दो साल में। यह बात सबको बताकर क्यों नक्सलियों को संचेत करते हैं। इसमें भी कोई दो मत नहीं है कि नक्सलियों का नेटवर्क अपनी सरकार के खुफिया तंत्र के नेटवर्क से ज्यादा तगड़ा। सरकार के हर कदम की जानकारी उन तक पहुंच जाती है, जबकि उनके किसी भी कदम की जानकारी सरकार को नहीं हो पाती है। ऐसे में क्या खाक दो साल में नक्सलियों का सफाया करने की बात गृहमंत्री करते हैं। चिदंबरम साहब आप बयान देकर महज बेगुनाहों की हत्या करवाने का ही काम कर रहे हैं। आपको ऐसे बयानों से बचाना चाहिए।