मोहब्बत का पैगाम था हमारा गुप्त एजेंडा-क्यों किया जा रहा है ब्लागरों में जहर फैलाने का धंधा
रायपुर की ब्लागर मीट पर हमने कुछ भी न लिखने का फैसला किया था। इस फैसले पर हम कायम भी थे, कि कल अचानक अनिल पुसदकर जी की एक पोस्ट आ गई। इस पोस्ट को पढऩे के बाद हमें लगा कि अब लिखना जरूरी हो गया है। वैसे भी हम रायपुर ब्लागर मीट पर नहीं अनिल जी की पोस्ट पर लिख रहे हैं। यह बात समझ से परे है कि पंकज अवधिया जी को यह किसने कह दिया कि बैठक का कोई गुप्त एजेंडा था और इस एजेंडे के कारण ब्लागरों का एक समूह बैठक से अलग रहा। पहली बात तो यह है कि हमारी बैठक का एक मात्र एजेंडा छत्तीसगढ़ के ब्लागरों को एक करके मोहब्बत का पैगाम देना था। अब इसे कोई गुप्त एजेंडा माने या कुछ और, यह सोचने वाले की समझ पर छोड़ते हैं। हमें लग रहा है कि छत्तीसगढ़ के ब्लागरों की एकता किसी को रास नहीं आ रही है, इसलिए हम ब्लागरों के बीच में बैर का जहर घोलने का काम किया जा रहा है।
हमें यह बात बिलकुल समझ नहीं आ रही है कि क्यों कर रायपुर ब्लागर मीट को लेकर इतना बड़ा विवाद खड़ा किया जा रहा है। जिस तरह से इस मीट को लेकर बखेड़ा खड़ा करने का किया जा रहा है, उससे एक बात साफ है कि हो न हो छत्तीसगढ़ के ब्लागरों की एकता से कोई न कोई वर्ग तो दहशत में है और हमें लगता है कि यह वर्ग ही छत्तीसगढ़ के ब्लागरों में फूट डालने के लिए सारा जोर लगा रहा है। हम एक बात साफ कर दें कि कोई कितना भी जोर लगा लें, हम इतना जानते हैं कि अगर छत्तीसगढ़ के ब्लागरों के बीच में मतभेद पैदा करने वाले चार होंगे तो यहां पर प्यार का पैगाम देने वाले 40 हैं। ऐसे में यह बात आसानी से समझ लें कि हमारी एकता को तोडऩे का कोई मंत्र काम आने वाला नहीं है। हो सकता है कि कुछ समय के लिए गलतफहमी पैदा हो जाए, लेकिन हम लोग एकता पर आंच नहीं आने देने वाले हैं।
जिस दिन रायपुर की ब्लागर मीट हुई थी और हम प्रेस क्लब पहुंचे थे, तभी अनिल जी ने हमें कहा था कि अबे राजकुमार इस बैठक का आयोजन तूने किया है और इसे प्रायोजित किए जाने की बात हो रही है कितना पैसा मिला है इसके लिए। उनकी बातों से हमारा माथा ठनका। अनिल जी भी जानते हैं कि हमें भी गुस्सा बहुत जल्दी आता है। हमने उनसे कहा हम अभी उनको फोन लगाते हैं जिनके बारे में कहा जा रहा है कि इस बैठक को उन्होंने प्रायोजित किया है। इस पर अनिल जी ने हमें समझाया कि जिसको जो कहना है कहने दें क्या फर्क पड़ता है। लेकिन तब हमें नहीं मालूम था कि इस बात को लेकर भी कोई बखेड़ा खड़ा कर सकता है। हम यहां पर एक बात बता दें कि हम लोगों को किसी भी ब्लागर मीट के लिए किसी प्रायोजक की जरूरत नहीं है। अपने अनिल जी ही इतने सक्षम हैं कि वे 50 क्या 500 ब्लागरों को खिलाने का खर्च उठा सकते हैं, और उन्होंने हमेशा खर्च उठाया भी है। वैसे भी जब इस मीट की रूपरेखा तय की गई थी तब सोचा भी नहीं गया था कि इतने ज्यादा ब्लागर आ सकते हैं।
अब हम आते हैं पंकज अवधिया जी की बात पर जिसका उल्लेख अनिल जी ने अपने ब्लाग में किया है कि पंकज जी कहते हैं कि गुप्त एजेंडे के कारण ब्लागरों का एक समूह बैठक से दूर रहा। पहली बात वे किस समूह की बात कर रहे हैं इसका उनको खुलासा करना चाहिए। जहां तक हम समझते हैं कि ब्लागर मीट में छत्तीसगढ़ के लगभग सभी ब्लागर शामिल थे। हो सकता है जिनको हम लोग न जानते हों ऐसा कोई ब्लागर छूट गया हो, लेकिन कम से कम ऐसा कोई नामी ब्लागर तो नहीं छूटा। वैसे भी जिनको यह लग रहा था कि हमारी मीट में कोई गुप्त एजेंडा था और उनको यह एजेंडा रास आना नहीं था तो उनका मीट में न आना ही ठीक था। हमें मालूम है कि जिन्होंने भी इस मीट से दूरी बनाकर रखी थी दरअसल उनको भी छत्तीसगढ़ के ब्लागरों की एकता रास नहीं आ रही होगी।
हमारी मीट का एक मात्र लक्ष्य, मकसद और खुला या फिर गुप्त जो भी समझा जाए एजेंडा छत्तीसगढ़ के ब्लागरों में प्यार-मोहब्बत का पैगाम देना था। अब इससे कोई विचलित होता है तो होते रहे हमारी बला से। वैसे भी छत्तीसगढ़ के ब्लागरों ने जबसे एकता दिखाने का काम किया है ब्लाग जगत का एक वर्ग दहशत में है। और इस दहशत वाले वर्ग के लोग ही हमारे बीच में गलतफहमियां पैदा करने के लिए सारे हथकंडे अपना रहे हैं। लेकिन किसी का भी हथकंडा काम आने वाला नहीं है। बातें तो और भी हैं बहुत कुछ लिखने के लिए लेकिन फिलहाल इतना ही आगे हम और जरूर लिखेंगे। चलते-चलते हम एक बात और बता दें कि ब्लागर मीट में सबको बिना किसी भेदभाव के आमंत्रित किया गया था, इसमें कोई भी तेरा या मेरा वाली बात नहीं थी।
8 टिप्पणियाँ:
जहर ही कहर को हरता है
झूठ बोलने वाला सदा ही
पानी भरता है और आप
समझ लीजिये उसी पानी
भीतर डूब तरता है
क्योंकि वो नहीं जानता
तरना न तैरना
सही कही न !
यही बात मैं भी समझ नहीं पाया कि किसी ब्लॉगर मीट में पहली बार शामिल होने वाले साथी को कौन सा गुप्त एजेंडा दिख गया!?
बी एस पाबला
बातें तो होती रहेंगी..आप लोग तो मेल मुलाकात जारी रखें. शुभकामनाएँ.
अगर छत्तीसगढ़ ब्लागर्स एक सांस्कृतिक अवधारणा के रूप में घोषित हो तो हम भी इसके दामन को थाम लें .....
गुप्त वुप्त आप लोग फरियायिये
"हमारी बैठक का एक मात्र एजेंडा छत्तीसगढ़ के ब्लागरों को एक करके मोहब्बत का पैगाम देना था।"
बिल्कुल सही बात कह रहे हो राजकुमार!
खुशी की बात है कि अब सारी गलतफ़हमियाँ दूर हो चुकी हैं और हमारे छत्तीसगढ़ की साफ सुथरी छवि में और भी निखार आ गई है!
Bloger Meet achhi bat hai, bate karne walo ko karne di jiye kya fark padta hai.
अरे भाई! ये क्या किया पुरा गुप्त एजेंडा खोल कर धर दिया।
अब इसको दिजिए विराम
पहुँचे सबके पास मुहब्बत का पैगाम
raajkumar khatam karo ye sab.
apne lekhan par dhyan do.
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