पंकज मिश्रा ने फोन पर हो गई बात, पर अफसोस ललित शर्मा ने नहीं हो सकी मुलाकात
हमारे लिए कल का दिन बहुत अच्छा रहा। कल हमने पहली बार पंकज मिश्रा से फोन पर बात की। कल ही हमारे एक और अजीज मित्र ललित शर्मा से मुलाकात होने वाली थी, पर अफसोस की उनसे इसलिए मुलाकात नहीं हो सकी, क्योंकि जिस समय वे हमारी प्रेस पहुंचे थे, हम एक कार्यक्रम में थे।
कल सुबह को जब हम कम्प्यूटर पर बैठे तो हमें भी यह मालूम नहीं था कि हमारे कम्प्यूटर के चालू होते ही हम भी आन लाइन हो जाते हैं। ऐसे में जबकि हम काम कर रहे थे, अचानक नजर पड़ी कि अपने पंकज मिश्रा जी ने हमें चैटिंग में नमस्कार किया। हमने उनको जवाब दिया, फिर बातों का सिलसिला चला। इस बीच हमने उनका मोबाइल नंबर जानने के लिए जब उनसे मोबाइल नंबर पूछते हुए अपना मोबाइल नंबर उनको दिया तो पता चला कि वे आफ लाइन हो गए हैं। ऐसे में हमें लगा कि उन तक हमारा मोबाइल नंबर नहीं पहुंच सका है। वैसे पंकज जी से हमें बात करने की इच्छा उसी समय से थी जबसे उन्होंने हमारा ई-मेल मांगा था। इसके बाद हमने चैटिंग में उनका नाम जोड़ दिया था जिसकी बदौलत कल उनसे चैटिंग में चर्चा हो सकी।
चैटिंग में चर्चा होने के बाद जब प्रेस में मीटिंग के लिए घर से निकले तो रास्ते में हमारे मोबाइल की घंटी बजी। देखा तो नंबर किसी दूसरी दुनिया का ही लगा। हमें एक बार लगा कि शायद यह नंबर अपने समीर लाल जी का है। कारण यह है कि हमने अपने कल की पोस्ट में टिप्पणी लिखी थी कि समीर लाल जी, पाबला जी ने तो नाश्ते का राज खोल दिया। वैसे नाश्ता तो गुप्त एजेंडे में शामिल था। पाबला जी पर यह राज खोलने के लिए एक नाश्ते की पार्टी का जुर्माना हो गया है, अब जब भी भिलाई जाना होगा, नाश्ता का बिल उनको देना पड़ेगा। इस बार तो साथ में ललित शर्मा भी जाएंगे यानी पाबला जी का खर्च ज्यादा होगा।
इस टिप्पणी की वजह से हमें लगा कि शायद समीर भाई को हमसे बात करने की सूझी है और उन्होंने मोबाइल खटखटाया है। हमने मोबाइल उठाया तो उधर से आवाज ही नहीं आई। हम फिर से अपनी बाइक चालू करके चल दिए प्रेस की तरफ। (हम अपनी बाइक एक किनारे खड़ी करके ही बात करते हैं) लेकिन फिर से मोबाइल की घंटी बज उठी। हमें प्रेस की मीटिंग के लिए विलंब हो रहा था, फिर भी हम उस अंजान नंबर के प्राणी से बात करने का मोह त्याग नहीं सके और अपनी बाइक को सड़क के किनारे रोककर मोबाइल उठा लिया।
उधर से जो आवाज आई उसकी कल्पना हमने नहीं की थी। उधर अपने पंकज मिश्रा जी थे। उन्होंने बताया कि उनको चैटिंग में हमारा भेजा गया मोबाइल नंबर मिल गया था। हमें बहुत खुशी हुई कि चलो पंकज जी से आज बात करने का मौका मिल गया। हमने पंकज जी से बातों का सिलसिला प्रारंभ किया और उनको हमने बताया कि हम प्रेस जा रहे हैं 10.30 बजे रोज मीटिंग होती है। हमने पंकज जी को बताया कि रायपुर में एक राष्ट्रीय ब्लागर मीट की तैयारी चल रही है। उन्होंने वादा किया कि वे भी जरूर आएंगे। हमने पंकज जी से क्षमा मांगते हुए बाद में बात करने का वादा किया क्योंकि हमें प्रेस की मीटिंग के लिए विलंब हो रहा था।
पंकज जी से मोबाइल पर बातों के सिलसिले के बाद कल ही ललित शर्मा जी का दोपहर में फोन आया कि वे रायपुर में हैं और शाम को प्रेस आएंगे, हमने उनसे कहा कि शाम को 5 बजे के बाद आए, पर शायद उन्होंने हमारी बात सुनने से पहले ही फोन कट कर दिया, इसका नतीजा यह रहा कि जनाब करीब 4.30 बजे ही प्रेस पहुंच गए। उस समय हम एक कार्यक्रम में थे। ललित जी ने फोन किया तो हमने बताया कि हम तो 5.30 बजे तक प्रेस पहुंच पाएंगे। उन्होंने बताया कि वे प्रेस के पास हैं। उन्होंने हमसे पूछा कि क्या प्रेस में राजकुमार सोनी जी मिलेंगे। हमने उनको बताया कि वे भी 5 बजे के बाद आएंगे। ऐसे में ललित जी ने कहा कि वे वापस अभनपुर जा रहे हैं फिर आएंगे तो मुलाकात होगी।
जहां हमें कल पंकज जी से मोबाइल पर बात करने की अपार खुशी है, वहीं ललित जी से मुलाकात न होने का अफसोस है। वैसे हम लोग मिलते रहते हैं, पर वे रायपुर आए और हमारी मुलाकात नहीं हो सकी इसका हमें मलाल है। जब हम इस पोस्ट को लिखने के लिए रात को बैठे तो ललित जी आन लाइन आ गए। उनसे पोस्ट लिखते-लिखते कुछ चर्चा हो गई। हमने उनको बताया कि एक पोस्ट लिख रहे हैं जिसमें उनका भी नाम है। हमने उनसे कहा कि कल पोस्ट में पढ़े कि उनके नाम का उल्लेख क्यों है।
चलते-चलते एक बात बता दें कि आज का दिन हमारी जिंदगी का एक अहम दिन है। यह अहम दिन क्या है? इसका खुलासा अपने बीएस पाबला जी अपने ब्लाग में शाम को करेंगे, तब तक का इंतजार करें।
10 टिप्पणियाँ:
अहम दिन का राज जानने का इन्तजार है. आजकल भारत से समय नहीं मिला पा रहे हैं दफ्तर की व्यवस्तताओं के चलते. जल्दी ही फुरसत होते हैं.
राजकुमार जी, आपने शाम का राज बताने की कोशिश की है। जुर्माना लगेगा, भुगतने के लिए तैयार रहिए। एकाध दिन में धावा बोलने वाला हूँ :-)
बी एस पाबला
पाबला जी,
एक राज आपने खोला था, एक राज हमने खोल दिया। हम चाहते थे कि हम पर भी जुर्माना हो ताकि जुर्माने के बहाने ही सही आपकी खातिरदारी करने का मौका तो मिले। हमारा तीर निशाने पर लग गया है आप आने वाले हंै जुर्माना वसूलने के लिए। चाहे तो अपने साथ ब्लागरों की पूरी फौज ला सकते हैं।
अतका जल्दी ता कांही झन उछरे कर भैया,
राज के बात ला जम्मो झन के आघु मा झन खोले कर।:)
इस पोस्ट पर टिप्पणी करना नही चाहती थी कि इन मे से किसी एक ने कहा था कि हमे आप जैसे लोगों की टिप्पणी की जरूरत नही मगर आपको शुभकामनायें और धन्यवाद देने का लोभ संवरण नही कर पाई । शुभकामनायें
ऊपर वाली टिप्पणी निर्मला कपिला आंटी की नहीं है।कोई शर्त लगाए तो बात साबित की जाये।
राज भाई , पंकज जी से बात मुलाकात हुई अच्छा लगा , और हां राज तो खुल ही गया, भाभी जी को और आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामना
अजय कुमार झा
भई राजकुमार हमे तो अलग ही रखना इस राष्ट्रीय मीट से।
भई राजकुमार हमे तो अलग ही रखना इस राष्ट्रीय मीट से।
बहुत ख़ुशी हुई यह मुलाक़ात देख के.... पंकज मेरे छोटे भाई जैसे हैं.... और ललित जी बड़े भाई जैसे.... दोनों से तकरीबन रोज़ाना बात हो जाती है....दोनों का बहुत स्नेह मिला है.... बस! अब आपसे बात करने की तमन्ना है.... हो सके तो अपना नंबर मेल करियेगा.... बहुत ख़ुशी होगी आपसे बात कर के....
सादर
महफूज़.....
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