छत्तीसगढ़ में है जादू-यहां आने सब हो जाते हैं बेकाबू
छत्तीसगढ़ में वास्तव में ऐसा कोई जादू जरूर है जो यहां आने के लिए हर क्षेत्र से जुड़े लोग बेकाबू हो जाते हैं। यह बात एक बार से यहां तब साबित हुई जब राजधानी रायपुर में एक कार्यक्रम में देश के कई जाने-माने साहित्कार जुटे। इन साहित्यकारों से साफ शब्दों में माना कि छत्तीसगढ़ ही एक ऐसा राज्य है जहां पर किसी कार्यक्रम के बारे में जानकारी होती है तो हम सब दौड़े चले आते हैं। छत्तीसगढ़ में जैसी आत्मीयता है, वैसी और देश में कहीं नजर नहीं आती है। इस बात में कोई शक नहीं है कि वास्तव में छत्तीसगढ़ से लोगों को इतना प्यार और स्नेह मिलता है कि हर कोई यहां खींचा चला आता है। यह बात अपनी ब्लाग बिरादरी से जुड़े वे मित्र भी बखूबी जानते हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ की धरा पर कदम रखे हैं।
राजधानी रायपुर में जब कुछ दिनों पहले छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय भाषा प्रचार समिति का एक कार्यक्रम हुआ तो उस कार्यक्रम में आए कई साहित्यकारों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि न जाने छत्तीसगढ़ में ऐसा कौन सा जादू है कि जब भी यहां पर किसी कार्यक्रम के बारे में जानकारी होती है तो हम लोग आ जाते हैं। इन साहित्यकारों ने यह भी माना कि साहित्य के लिए जिनता काम छत्तीसगढ़ में हो रहा है, उतना और कहीं नहीं हुआ है। इसी के साथ एक बात और यह भी सामने आई कि यहां पर कभी किसी कार्यक्रम में किसी तरह का तेरा-मेरा वाला विवाद भी नहीं हुआ। यहां सबको सम्मान मिलता है। और जहां सम्मान मिलता है, वहां इंसान खुद ही दौड़ा चला आता है।
छत्तीसगढ़ में यह बात साहित्यकारों पर ही नहीं किसी भी क्षेत्र से जुड़े लोगों पर लागू होती है। यहां फिल्म जगत से जुड़े या फिर राजनीति से जुड़े या फिर खेल से जुड़े जितने लोगों आए हैं, सबको छत्तीसगढ़ की मेजबानी रास आई है। हर कोई यहां की मेजबानी की तारीफ करके ही लौटा है।
हम अगर ब्लाग बिरादरी की भी बात करें तो यहां जितने भी ब्लागर आए हैं, सभी ने छत्तीसगढ़ को पसंद किया है। अगर हम गलत कर रहे हैं तो अपने दिनेश राय द्विवेदी से लेकर रवि रतलामी, अलबेला खत्री और सिध्देश्वर जी से पूछ लीजिए। इनमें से रवि रतलामी और अलबेला खत्री जी से मिलने का हमें भी सौभाग्य मिला है। बाकी दिनेश जी और सिध्देश्वर जी से हमारी मुलाकात नहीं हो सकी थी। हम इतना जानते हैं कि इनमें से किसी को भी फिर से छत्तीसगढ़ आने का मौका मिलेगा तो कोई भी उस मौके को गंवाना नहीं चाहेगा। अब यह छत्तीसगढ़ की कशिश ही है जो अपने समीर लाल जी के साथ अजय कुमार झा और खुशदीप सहगल जी को खींच रही है। इनके कदम जल्द ही यहां पडऩे वाले हैं। इनके इंतजार में हम सभी बैठे हैं। जब भी इनका यहां आना होगा हमारा वादा है कि वे यहां से एक ऐसी सुखद यादें लेकर जाएंगे कि उनको ताउम्र भूल नहीं पाएंगे और बार-बार छत्तीसगढ़ आने को बेताब रहेंगे। वैसे छत्तीसगढ़ में हम लोग हर ब्लागर का स्वागत करने तैयार बैठे हैं जो भी यहां आना चाहते हैं। अपने पंकज मिश्र जी ने भी यहां आने की बात कही है। वैसे हम छत्तीसगढ़ के ब्लागर एक राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन भी करवाने पर विचार कर रहे हैं, अब इसमें हमें सफलता मिलती है या नहीं यह वक्त बताएगा। अगर भगवान की दया रही तो जरूर यह सम्मेलन होगा।
3 टिप्पणियाँ:
हमर छत्तीसगढ़ के महिमा अपरम्पार हे
पहिली आहीं आनी बानी के उलाहना देहीं
पिछड़ा प्रदेश आय कहिके, अपन "आय"
के साधन बनाहीं, फेर इहाँ के खातिरदारी
ल देख के गदगद हो जाहीं अउ कईहिं
छोड़े के लाइक नई ये जी ये जघा हा
बने लिखे हस भाई "राज"
बस, यही मोह है तो पूरी ताकत से कोशिश में लगे हैं...एक अलग खिंचाव है और बचपन का जुड़ाव तो है ही..भिलाई ३ का हमारा सरकारी स्कूल भी तो देखना ही है. :)
आपकी बात में दम है.
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