क्या अखबार में छपे अपने लेखों को ब्लाग में डालना गलत है?
हमारे एक पत्रकार मित्र हैं उनको इस बात से बहुत परेशानी होती है कि पत्रकार अपने उन्हीं लेखों को अपने ब्लाग में डाल देते हैं जो लेख वे अखबारों के लिए लिखते हैं। अब सोचने वाली बात यह है कि आखिर इसमें बुराई क्या है। अगर हम कोई अच्छा लेख अखबार में लिख रहे हैं और वहीं लेख हम अपने ब्लाग के पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या है। हमें नहीं लगता है कि इसमें कुछ गलत है। वैसे भी अखबार में कम से कम कुछ अच्छा लिखा हुआ ही प्रकाशित करने की इजाजत संपादक देते हैं। ऐसे में उसी अच्छे लेख को ब्लाग जगत के पाठक भी पढ़ ले तो इसमें हर्ज क्या है।
हमारे कुछ पत्रकारों मित्रों के साथ हम भी कई बार अपने अखबार में प्रकाशित लेखों को अपने ब्लाग में डाल देते हैं। इन लेखों पर अच्छी प्रतिक्रिया भी आती है। लेकिन अपने एक पत्रकार मित्र को यह बात जमती नहीं है कि हम या कोई भी पत्रकार ब्लाग में उन लेखों को डालें जो लेख अखबार में प्रकाशित हो चुके हैं। इस बात का उनके पास कोई ठोस जवाब तो नहीं है, वे कहते हैं कि ब्लाग एक अलग चीज है। अरे मित्र इसमें अलग जैसी क्या बात है। ब्लाग तो बल्कि आपकी अपनी बपौती है। इसमें तो आप जैसा चाहे लिख सकते हैं, लेकिन आप यह भूल रहे हैं कि अखबार में वह सब नहीं चलता है। अखबार में अच्छा लिखने के बाद भी संपादक से उनको प्रकाशित करने की इजाजत नहीं मिल पाती है। ऐसे में यह बात मान कर चलिए कि किसी भी पत्रकार या फिर किसी लेखक का कोई लेख किसी भी अखबार में प्रकाशित होता है तो उस लेख में कुछ तो दम होगा। अगर किसी भी लेख में कुछ दम है तो उस लेख को क्यों नहीं ब्लाग जगत के पाठक तक पहुंचाना चाहिए। इसमें बुराई क्या है? इसी के साथ हमारा यह भी मानना है कि अगर कोई पत्रकार किसी खबर को अपने अखबार के लिए बनाता है और उस अखबार के बारे में वह सोचता है कि इस खबर की जानकारी ब्लाग जगत के पाठकों को भी होनी चाहिए तो इसमें भी गलत क्या है?
छत्तीसगढ़ की कितनी ऐसा खबरें हैं जिनको राष्ट्रीय या फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थान मिल पाता है। ऐसे में जबकि छत्तीसगढ़ की खबरों को कोई पूछने वाला नहीं है तो ऐसे में अगर कोई पत्रकार छत्तीसगढ़ की खबरों को अपने ब्लाग के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने का काम कर रहा है तो हमारी नजर में ऐसे पत्रकार साधुवाद के पात्र हैं। ऐसे ब्लागरों का हौसला बढ़ाने की जरूरत है। यह बात छत्तीसगढ़ ही नहीं अपने देश के हर राज्य पर लागू होती है। किसी भी राज्य के पत्रकार ऐसा काम कर रहे हैं तो उनसे ज्यादा अच्छा काम तो कोई हो ही नहीं सकता है।
हम ब्लाग बिरादरी के मित्रों से जानना चाहते हैं कि क्या अखबार में प्रकाशित लेखों और खबरों को ब्लाग में प्रकाशित करना गलत है? अपने विचारों से जरूर अवगत कराएं।
18 टिप्पणियाँ:
मेरे हिसाब से बिल्कुल नहीं।
thik hai. nice
बिल्कुल नहीं अपितु इनकी संख्या बढ़ानी चाहिये और लोगों के पास प्रतिक्रिया के लिये यह खबरें उपलब्ध होनी चाहिये।
ब्लाग पर क्यों नहीं. लेखक को अधिकतम पाठकों तक पहुंचने का अधिकार है.
बिल्कुल डालिये जी...कॉपीराईट तो आपका ही है!
वो पत्रकार बेवकूफ ही होगा जो अपने लेख को अपने ब्लाग में नहीं डालेगा। मुझे तो लगता है कि अखबार में छपी किसी लेख को ब्लाग में डालने का विरोध करने वाला पत्रकार कोई अनाड़ी पत्रकार या फिर अच्छा लिखने वालों से जलने वाला होगा।
हर अच्छा लेखन सबके पढऩे के लिए होना चाहिए
अखबार में प्रकाशित लेखों और खबरों को ब्लाग में प्रकाशित करना गलत नहीं है
बी एस पाबला
वाह राज भाई आपने एक अच्छा मुद्दा उठाया , मेरे बहुत से मित्र प्रिंट से हैं , उनमें से एक जो अब एक ब्लोग्गर भी हैं जानते है मैने जब उन्हें ब्लोग्गिंग में खींचा और उनके सामने ये दुविधा थी कि यार लिखूंगा क्या तो हमने फ़ौरन आईडिया दिया कि जो खबरें लिखते हो वही ब्लोग में पोस्ट बना के डाल दो, बंदा दोनों जगह हिट है , और हमारे ब्लोग कोर्ट कचहरी की खबरें तो बहुत बार जस की तस अखबार की खबरें बन जाती हैं । अच्छा है यही होना ही चाहिए
अजय कुमार झा
जरूरी डालिए आपका कापीराइट है, उडऩ तश्तरी से सहमत
किसीके गलत कहने से क्या फ़र्क़ पड़ता है।और दूसरी बात हैं कौन वो महान पत्रकार ज़रा हमको भी तो बताना।अपने लिखे को ज्यादा पाठको तक़ पहुंचाना बिल्कुल सही है खासकर अपने राज्य के लिये तो ज़रूरी है और इस दिशा मे काम करने वाला हर पत्रकार बधाई का पात्र है।तुम भी।
इसमें कुछ भी गलत नहीं है। दरअसल, अखबार और ब्लॉग का पाठक अलग-अलग है। अखबार पढ़ने वाला पाठक कोई जरूरी नहीं कि ब्लॉग भी पढ़ता हो।
हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए अपनी बात को पहुंचाना। वो अखबार और ब्लॉग के माध्यम से पाठकों के बीच पहुंच सकती है।
हम जो लिखें वो ब्लॉग पर आए और जो अखबार में छपे उसे भी ब्लॉग पर दें ताकि पाठकों से संवाद-विवाद और बहस का तारतम्य बना रह सके। यह बेहद जरूरी है।
इसमें तो कोई ग़लती नज़र नहीं आती है। लेख आपका है आप कही भी उसे पब्लिश कर सकते हैं। हाँ मुद्दा ये हैं कि जब ब्लॉग पर लिखी आपकी कृति कोई और बिना आपकी इजाज़त के कही और छाप दे।
justified for wider cirutlation of news its totally justified
kyaa fark padataa he...
यह सवाल ही ख़ारिज करने योग्य है
बिलकुल गलत नहीं है | आपकी रचना है आप कहीं भी पोस्ट करिये| हाँ , अगर ये लिखा हो तो "रचना अप्रकाशित अप्रसारित होनी चाहिए" तो सन्दर्भ विचारणीय हो सकता है| और छपे हुए लेखो की कटिंग्स न पोस्ट हो तो अच्छा है |
......एक "ब्लागर पत्रकार" को लगता है कि उसने "पत्रकार के सिंहासन" पर बैठकर जो लिखा है बिलकुल वैसा ही नजरिया "ब्लागर के सिंहासन" पर बैठ कर बन रहा है तो कोई बुराई नही है !!!
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