मर कर भी हम किसी को खुश कर जाएंगे
हमारी बर्बादी का नहीं होगा किसी को गम
नहीं होंगी हमारी मौत पर किसी की आंखें नम
वो हर पल करते हैं हमारी मौत का इंतजार
न जाने क्यों हमारी मौत का तमाशा देखने हैं वो बेकरार
हम भी सोचते हैं क्यों कराएं उसे ज्यादा इंतजार
दुआ करते हैं खुदा से जल्द खत्म हो उनका इंतजार
जब हम इस दुनिया से रूखसत हो जाएंगे
हम जानते हैं उनके मंसूबे पूरे हो जाएंगे
हमें तो मर कर खुशी होगी इस बात की
मर कर भी हम किसी को खुश कर जाएंगे
नहीं होंगी हमारी मौत पर किसी की आंखें नम
वो हर पल करते हैं हमारी मौत का इंतजार
न जाने क्यों हमारी मौत का तमाशा देखने हैं वो बेकरार
हम भी सोचते हैं क्यों कराएं उसे ज्यादा इंतजार
दुआ करते हैं खुदा से जल्द खत्म हो उनका इंतजार
जब हम इस दुनिया से रूखसत हो जाएंगे
हम जानते हैं उनके मंसूबे पूरे हो जाएंगे
हमें तो मर कर खुशी होगी इस बात की
मर कर भी हम किसी को खुश कर जाएंगे
3 टिप्पणियाँ:
जीते जी कुछ करो तो बात बने
महफ़िल जमाओ तो बात बने।
तेरी महफ़िल में आना चाहते हैं
एक खंबा लाओ तो बात बने॥ :))
सामयिक , सारगर्भित प्रस्तुति, आभार.
कृपया मेरी नवीन प्रस्तुतियों पर पधारने का निमंत्रण स्वीकार करें.
भावनात्मक रचना!
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