बदलाव से ही होगा खेलों का विकास
केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक के प्रस्ताव का प्रदेश के खेल संघों के ज्यादातर पदाधिकारियों ने स्वागत किया है। इनका एक स्वर में ऐसा मानना है कि इस विधेयक से खेलों का तेजी से विकास होगा। बरसों से खेल संघों के प्रमुख पदों पर काबिज रहने के कारण खेलों के विकास में बाधा आती है। लेकिन इसी के साथ ऐसा भी मानना है कि अगर खेल संघों के पदों पर खिलाड़ी काबिज रहते हैं तो उन खेलों का विकास तेजी से होता है, ऐसे संघों के लिए जरूरी परेशनी की बात हो सकती है।
केन्द्रीय मंत्री अजय मकान ने इस बात का खुलासा किया है कि केन्द्र सरकार बहुत जल्द राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक लाने वाली है। इस विधेयक से खेल संघों पर बरसों से काबिज मठाधीशों ेको हटाने में मदद मिलेगी। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि इसके पूर्व केन्द्रीय मंत्री एमएस गिल ने खेल महासंघों के पदों पर बरसों से काबिज पदाधिकारियों को हटाने के लिए एक फरमान जारी किया था, लेकिन इस फरमान का असर नहीं हुआ और महासंघों पर अब तक पुराने पदाधिकारी काबिज हैं। श्री गिल ने केन्द्रीय खेल मंत्रालय से जो फरमान जारी किया था उसके मुताबिक अध्यक्ष पद पर 12 साल और महासचिव पद पर 8 साल से ज्यादा कोई नहीं रह पाएगा। लेकिन इस फरमान का किसी ने पालन नहीं किया और महासंघों के मठाधीशों ने साफ कह दिया था हमें केन्द्र सरकार के खेल मंत्रालय के अनुदान की जरूरत नहीं है। यही वजह रही है कि अब सीधे विधेयक लाने का प्रस्ताव सामने आया है। इस विधेयक के बारे में अपने राज्य के खेल संघों से जुड़े लोग क्या सोचते हैं देखते हैं उनके विचार।
खेल संघों में खिलाड़ी हो
प्रदेश बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी गुरुप्रीत सिंह भाटिया का कहना है कि खेल संघों में वैसे भी खिलाड़ियों को रहना चाहिए। राजनीति से जुड़े लोगों को इनके पदों पर बिठाना ठीक नहीं है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर किसी डॉक्टर को खेती-बाडी का काम करने कहा जाएगा तो वह क्या करेगा। नेताओं के बस में खेल संघों को चलाना नहीं होता है। उन्होंने बताया कि उनके राज्य संघ में सभी पदों पर खिलाड़ी हैं।
खेल-खिलाड़ियों का फायदा होगा
हॉकी छत्तीसगढ़ के सचिव फिरोज अंसारी का कहना है कि केन्द्र सरकार का प्रस्ताव स्वागत योग्य है। इस विधेयक के पास होने के बाद निश्चित रूप से देश में खेल और खिलाड़ियों का भला होगा। वैसे हमारी हॉकी इंडिया ने तो सबसे पहले श्री गिल के निर्देशों का पालन करते हुए अपने महासंघ में बदलाव किकया था।
बदलाव जरूरी है
छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ से वरिष्ठ उपाध्यक्ष और छत्तीसगढ़ लॉन टेनिस संघ के महासचिव गुरुचरण सिंह होरा का कहना है कि बदलाव तो जरूरी है। लेकिन इसी के साथ एक देखने वाली बात यह भी है कि अगर किसी खेल संघ में बैठे लोग अपने खेलों के लिए अच्छा काम कर रहे हैं तो ऐसे संघों के लिए विधेयक में कुछ ऐसा जरूर होना चाहिए जिससे उनको हटने के लिए बाध्य न होना पड़ा। खेल संघों में खेलों को समर्पित व्यक्ति वैसे भी कम मिलते हैं, ऐसे में अच्छे लोगों को किनारे कर दिया जाएगा तो इससे खेलों का नुकसान भी हो सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि विधेयक में इस बात पर जरूर गौर करना चाहिए।
खेलों का होगा विकास
जंप रोप संघ के महासचिव अखिलेश दुबे का कहना है कि इस विधेयक के प्रस्ताव से यह बात तो तय है कि खेल संघों में नए लोग आएंगे। नए लोग आएंगे तो नए विचार भी लाएंगे। अब तक होता यह है कि लंबे समय तक पदों पर काबिज पदाधिकारी अपने विचार थापने का काम करते हैं, ऐसे में ख्रेलों का विकास नहीं हो पाता है। हमेशा से परिवर्तन नई क्रांति लाता है और अगर विधेयक पास हो जाता है तो खेलों में भी नई क्रांति का संचार होगा।
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