वाह.. हमारे चाहने वाले ऐसे भी हैं....
हमें मालूम नहीं था कि ब्लाग जगत में हमारे चाहने वाले ऐसे भी हैं जो फर्जी आईडी बनाकर न सिर्फ टिप्पणी करने का काम करते हैं बल्कि हमारी एक पोस्ट से इतने ज्यादा उत्तेजित हो जाते हैं कि उनको हमारे खिलाफ एक पोस्ट लिखने को मजबूर होना पड़ता है। खैर इससे हमें क्या फर्क पड़ता है, हमारे नाम से पोस्ट लिखकर ऐसे महाशय हमारे ही बारे में प्रचार कर रहे हैं। अच्छा है ऐसे और दो-चार मित्र ब्लाग जगत में हो जाएं तो हम तो और ज्यादा बद नहीं तो बदनाम सही हो ही जाएंगे।
तीन दिन पहले की बात है, जब अपने ब्लाग में पोस्ट प्रकाशित करने का काम कर रहे थे तो हमारे ब्लाग में आने वाले ट्रैफिक के स्रोत में एक स्रोत उस्तादजी 4 यू ब्लाग स्पाट का भी दिखा। हम उत्सुकतावश उस ब्लाग में गए तो देखा कि वास्तव में उस्तादजी हमारे कितने बड़े चाहने वाले हैं। उन्होंने हमारी 640 पोस्ट में से चंद पोस्ट के शीर्षक दे कर यह जताने का प्रयास किया था कि हम बकवास लिखते हैं। गजब के हैं हमारे यह चाहने वाले मित्र। उनको हमारे एक पोस्ट ब्लाग जगत में एक और खुले सांड का अवतरण से नाराजगी थी। हमने यह पोस्ट लिखी तो उसके पीछे कारण यह रहा कि कोई अगर हमारे ब्लाग में आकर बिना वजह की टिप्पणी करेगा तो हम तो ऐसा लिखेंगे ही। एक उस्तादजी की बात नहीं है, लगातार हमारे ब्लाग में तरह-तरह के नाम बदल कर लोग परेशान करने आते रहे हैं। ऐसे में हमारा पोस्ट लिखाना लाजिमी है। अगर वास्तव में ये जनाब उस्ताद जी सच्चे हैं तो भले उनके ब्लाग का नाम उस्ताद जी रहे, लेकिन उनकी प्रोफाइल तो सही होनी चाहिए। अगर उनकी प्रोफाइल सही होती तो एक बार सोचा जाता कि वास्तव में ये कोई सच्चे आलोचक हैं। आलोचन का यह मलतब कदापि नहीं होता है कि आप किसी के भी लेखन को बकवास कह दें। आपके पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है। आप बेशक किसी के लेखन पर अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं, लेकिन किसी के भी लेखन को बकवास कहना क्या उचित है?
लेखन एक साधना है, यह बात हम क्या हर लिखने वाला जानता है। फिर ये उस्ताद जी तो चंद दिनों पहले ही अपना ब्लाग बनाकर सामने आए हैं। क्या उनके सामने आते ही उनको यह अधिकार मिल गए कि वे हर ब्लागर के लेखन के लिए नंबर तय करने लगे। यह अधिकार इन महाशय को दिया किसने? आप अपने विचार व्यक्त करें, वहां तक ठीक है क्या लेकिन किसी ब्लाग में जो लिखा गया है उनको कितने नंबर मिलने चाहिए यह तय करने वाले आप या हम कौन होते हैं। क्या यहां कोई प्रतिस्पर्धा हो रही है कि नंबर तय करने हैं।
उस्ताद जी को लगता है हमें लिखना नहीं आता है, सच कहते हैं ये महाशय हमें लिखना नहीं आता है, तभी हमारी एक-एक खबर और हमारे लेख को हमारे अखबार के लाखों पाठक पढ़ते हैं और पसंद करते हैं। वैसे हमें किसी उस्ताद जी के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है कि हमें लिखना आता है, या नहीं। हम ब्लाग जगत में मित्र बनाने आए हैं, न की दुश्मन बनाने। एक बात और हमें कोई छपासा रोग नहीं है जिसके कारण हम ब्लाग जगत में आए हैं। हम भी यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि ब्लाग जगत में हम जो लिखते हैं उसे पढऩे वाले पाठकों की संख्या बमुश्किल एक हजार भी नहीं होती है, लेकिन हम जिस अखबार दैनिक हरिभूमि में काम करते हैं, उसमें हम एक खबर बनाते हैं तो उस खबर को पढऩे वाले लाखों होते हैं। हम पत्रकारिता से आज से नहीं दो दशक से जुड़े हुए हैं। अब क्या करें इसके बाद भी हमें लिखना नहीं आता है। वैसे हम बता दें कि हमने कभी सर्वज्ञ होने का दावा नहीं किया है। दो दशक से ज्यादा समय से पत्रकारिता में होने के बाद भी हम आज भी कुछ न कुछ नया सीखने का काम करते हैं। हमसे कोई गलती नहीं हो सके, ऐसा हमने कभी न सोचा न कहा है। अगर हमसे कोई गलती हुई है और कोई बताता है तो हमें उसे मानते भी हैं। लेकिन कोई बिना वजह हमें परेशान करने के मकसद से कुछ करेगा तो वह बात हम कभी बर्दाश्त नहीं करते हैं। हमने अपनी जिंदगी में एक बात सीखी है कि किसी भी अन्याय के खिलाफ लडऩा चाहिए और किसी भी गलत बात का विरोध जरूर करना चाहिए। हमारा इस पोस्ट को लिखने का मकसद एक बात का विरोध करना है। अपने उस्ताद जी को हमारी वो चंद पोस्ट दिखी जो उनको बकवास लगी। हम उनसे पूछना चाहते हैं कि क्या हमारे द्वारा लिखी गई सभी 640 पोस्ट बकवास है। वैसे हम जानते हैं कि उन्होंने हमारे खिलाफ जो भी लिखा है, उससे साफ-साफ दुर्भावना झलकती है। ऐसे में हमारा उनसे यह सवाल करना ही बेमानी है। उनको तो हमारी हर पोस्ट बकवास ही लगेगी। उनको लगती है तो लगती रहे हमें उससे क्या फर्क पडऩे वाला है। हम अपनी पोस्ट एक उस्ताद जी के लिए तो लिखते नहीं हैं। बहरहाल हम इतना जानते हैं कि ऐसे छद्म नाम वालों ने ही ब्लाग जगत में बिना वजह से विवाद खड़े कर रखे हैं। ऐसे लोगों से ब्लागरों को दूर रहना चाहिए और इनकी किसी भी तरह की गलत बात का जवाब जरूर देना चाहिए। कम से कम हम तो किसी गलत बात को बर्दाश्त नहीं करते हैं। हम जब ब्लाग जगत में नए-नए आए थे, तब हमारी एक पोस्ट को लेकर हंगामा हुआ था, तब भी हमने उसका जवाब दिया था। बाद में हमारी पोस्ट को गलत समझने वालों ने ही आगे हमारी एक नहीं कई पोस्टों की तारीफ की है। खैर यह पोस्ट बहुत लंबी हो गई है, लिखने को बहुत है, लेकिन अब हम इस पोस्ट पर विराम लगाते हैं। लेकिन इतना जरूर फिर से बताना चाहते हैं कि हम किसी भी तरह की गलत बात का जवाब जरूर देंगे अगर उस गलत बात पर हमारी नजरें पड़ीं तो। उस्ताद जी की पोस्ट पर देर से हमारी नजरें पड़ी थी।
तीन दिन पहले की बात है, जब अपने ब्लाग में पोस्ट प्रकाशित करने का काम कर रहे थे तो हमारे ब्लाग में आने वाले ट्रैफिक के स्रोत में एक स्रोत उस्तादजी 4 यू ब्लाग स्पाट का भी दिखा। हम उत्सुकतावश उस ब्लाग में गए तो देखा कि वास्तव में उस्तादजी हमारे कितने बड़े चाहने वाले हैं। उन्होंने हमारी 640 पोस्ट में से चंद पोस्ट के शीर्षक दे कर यह जताने का प्रयास किया था कि हम बकवास लिखते हैं। गजब के हैं हमारे यह चाहने वाले मित्र। उनको हमारे एक पोस्ट ब्लाग जगत में एक और खुले सांड का अवतरण से नाराजगी थी। हमने यह पोस्ट लिखी तो उसके पीछे कारण यह रहा कि कोई अगर हमारे ब्लाग में आकर बिना वजह की टिप्पणी करेगा तो हम तो ऐसा लिखेंगे ही। एक उस्तादजी की बात नहीं है, लगातार हमारे ब्लाग में तरह-तरह के नाम बदल कर लोग परेशान करने आते रहे हैं। ऐसे में हमारा पोस्ट लिखाना लाजिमी है। अगर वास्तव में ये जनाब उस्ताद जी सच्चे हैं तो भले उनके ब्लाग का नाम उस्ताद जी रहे, लेकिन उनकी प्रोफाइल तो सही होनी चाहिए। अगर उनकी प्रोफाइल सही होती तो एक बार सोचा जाता कि वास्तव में ये कोई सच्चे आलोचक हैं। आलोचन का यह मलतब कदापि नहीं होता है कि आप किसी के भी लेखन को बकवास कह दें। आपके पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है। आप बेशक किसी के लेखन पर अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं, लेकिन किसी के भी लेखन को बकवास कहना क्या उचित है?
लेखन एक साधना है, यह बात हम क्या हर लिखने वाला जानता है। फिर ये उस्ताद जी तो चंद दिनों पहले ही अपना ब्लाग बनाकर सामने आए हैं। क्या उनके सामने आते ही उनको यह अधिकार मिल गए कि वे हर ब्लागर के लेखन के लिए नंबर तय करने लगे। यह अधिकार इन महाशय को दिया किसने? आप अपने विचार व्यक्त करें, वहां तक ठीक है क्या लेकिन किसी ब्लाग में जो लिखा गया है उनको कितने नंबर मिलने चाहिए यह तय करने वाले आप या हम कौन होते हैं। क्या यहां कोई प्रतिस्पर्धा हो रही है कि नंबर तय करने हैं।
उस्ताद जी को लगता है हमें लिखना नहीं आता है, सच कहते हैं ये महाशय हमें लिखना नहीं आता है, तभी हमारी एक-एक खबर और हमारे लेख को हमारे अखबार के लाखों पाठक पढ़ते हैं और पसंद करते हैं। वैसे हमें किसी उस्ताद जी के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है कि हमें लिखना आता है, या नहीं। हम ब्लाग जगत में मित्र बनाने आए हैं, न की दुश्मन बनाने। एक बात और हमें कोई छपासा रोग नहीं है जिसके कारण हम ब्लाग जगत में आए हैं। हम भी यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि ब्लाग जगत में हम जो लिखते हैं उसे पढऩे वाले पाठकों की संख्या बमुश्किल एक हजार भी नहीं होती है, लेकिन हम जिस अखबार दैनिक हरिभूमि में काम करते हैं, उसमें हम एक खबर बनाते हैं तो उस खबर को पढऩे वाले लाखों होते हैं। हम पत्रकारिता से आज से नहीं दो दशक से जुड़े हुए हैं। अब क्या करें इसके बाद भी हमें लिखना नहीं आता है। वैसे हम बता दें कि हमने कभी सर्वज्ञ होने का दावा नहीं किया है। दो दशक से ज्यादा समय से पत्रकारिता में होने के बाद भी हम आज भी कुछ न कुछ नया सीखने का काम करते हैं। हमसे कोई गलती नहीं हो सके, ऐसा हमने कभी न सोचा न कहा है। अगर हमसे कोई गलती हुई है और कोई बताता है तो हमें उसे मानते भी हैं। लेकिन कोई बिना वजह हमें परेशान करने के मकसद से कुछ करेगा तो वह बात हम कभी बर्दाश्त नहीं करते हैं। हमने अपनी जिंदगी में एक बात सीखी है कि किसी भी अन्याय के खिलाफ लडऩा चाहिए और किसी भी गलत बात का विरोध जरूर करना चाहिए। हमारा इस पोस्ट को लिखने का मकसद एक बात का विरोध करना है। अपने उस्ताद जी को हमारी वो चंद पोस्ट दिखी जो उनको बकवास लगी। हम उनसे पूछना चाहते हैं कि क्या हमारे द्वारा लिखी गई सभी 640 पोस्ट बकवास है। वैसे हम जानते हैं कि उन्होंने हमारे खिलाफ जो भी लिखा है, उससे साफ-साफ दुर्भावना झलकती है। ऐसे में हमारा उनसे यह सवाल करना ही बेमानी है। उनको तो हमारी हर पोस्ट बकवास ही लगेगी। उनको लगती है तो लगती रहे हमें उससे क्या फर्क पडऩे वाला है। हम अपनी पोस्ट एक उस्ताद जी के लिए तो लिखते नहीं हैं। बहरहाल हम इतना जानते हैं कि ऐसे छद्म नाम वालों ने ही ब्लाग जगत में बिना वजह से विवाद खड़े कर रखे हैं। ऐसे लोगों से ब्लागरों को दूर रहना चाहिए और इनकी किसी भी तरह की गलत बात का जवाब जरूर देना चाहिए। कम से कम हम तो किसी गलत बात को बर्दाश्त नहीं करते हैं। हम जब ब्लाग जगत में नए-नए आए थे, तब हमारी एक पोस्ट को लेकर हंगामा हुआ था, तब भी हमने उसका जवाब दिया था। बाद में हमारी पोस्ट को गलत समझने वालों ने ही आगे हमारी एक नहीं कई पोस्टों की तारीफ की है। खैर यह पोस्ट बहुत लंबी हो गई है, लिखने को बहुत है, लेकिन अब हम इस पोस्ट पर विराम लगाते हैं। लेकिन इतना जरूर फिर से बताना चाहते हैं कि हम किसी भी तरह की गलत बात का जवाब जरूर देंगे अगर उस गलत बात पर हमारी नजरें पड़ीं तो। उस्ताद जी की पोस्ट पर देर से हमारी नजरें पड़ी थी।
5 टिप्पणियाँ:
अजी मैं तो कहूंगा कि इनको इग्नोर किया जाना ज्यादा बढिया है।
इन्हें जवाब देकर आप इनका मकसद ही पूरा करते हैं।
प्रणाम
Jane bhi do yaron
राज जी,
ये तो वही हो गया जो अगला चाहता था। आप शांत हो अपना काम करते रहें। आपका काम ही आपके बारे में सब बताएगा।
अंतर जी से मैं पूरी तरह सहमत हूं।
अरे छोड़ो राजकुमार भईया उस्ताद जी को अपना उस्तरा चलाने दो जैसे तहसीलदार और एक और नाम याद नही आ रहा है, अरे हां मूलचंदानी लोगों नें चलाया था, आप लिखते रहें।
आज आप इस उस्ताद जी का नकाब खोलने वाले थे इसलिये इंतजार कर रहा था, वैसे मैंने पहले भी कह दिया है कि ऐसा कोई साधन है ही नहीं जो किसी बेनामी या छद्मनामधारी को पकड़ पाये, लोग डराते भर हैं और दूसरी बात यह कि अपने आपको ब्लॉगिंग का तीसमारखॉं जताते हैं, इसलिये और मजे से ब्लॉगिंग करें किसी के कुछ लिखने से आपकी ही टीआरपी पढ़नी है।
अब गुस्सा थूक भी दीजिए !
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