क्या कभी काड़ीबाजों से मुक्त होगा ब्लाग जगत
ब्लाग जगत में हम जबसे आए हैं देख रहे हैं यहां काड़ी करने वाले काड़ीबाजों की कमी नहीं है। मालूम नहीं उनको ऐसा करके क्या मिलता है, लेकिन इतना तय है कि ये काड़ीबाज दिमागी रूप से विकलांग होते हैं। इनके पास सोचने-समझने की शक्ति तो होती नहीं है। बस दिमाग में यही बात रहती है कि किसी के भी अच्छे काम में अपनी टांग जरूर अड़ाए और उसे परेशान करने का काम करें। सो ये ऐसा ही करते हैं। इनका मकसद होता है लोगों को परेशान करना और लोग परेशान होते हैं। जब लोग परेशान होते हैं तो इनको बड़ा मजा आता है। मजा इसलिए आता है क्योंकि इनकी मानसिकता ही ऐसी रहती है।
अक्सर हमने देखा है कि ब्लाग जगत में लोग फर्जी आईडी बनाकर टिप्पणी करने का काम करते हैं। ऐसा काम करने वाले निश्चित रूप से मानसिक रूप से विकलांग होते हैं। अगर ये ऐसे नहीं होते हैं तो ये भी कुछ अच्छा करने के लिए सोचते न कि किसी के अच्छे काम में टांग अड़ाने का काम करते। लेकिन नहीं इनको ऐसा करके ही मजा आता है और ये अपने मजे के लिए दूसरों को परेशान करते हैं। हमें तो लगता नहीं है कि ऐसे मानसिक रूप से विकलांगों से कभी ब्लाग जगत को मुक्ति मिल पाएगी। कारण साफ है कि यहां आईडी बनाने के लिए किसी को अपने आईडी यानी पहचान बनाते की जरूरत नहीं होती है और जब तक यह सिलसिला चलता रहेगा मानसिक विकलांगों की मौज होती रहेगी।
हमारी समझ में नहीं आता है कि क्यों कर बिना किसी पहचान के नेट में किसी को भी फर्जी आईडी बनाने की छूट देकर रखी गई है। ऐसी फर्जी आईडी की वजह से अपराध भी पनप रहे हैं इसके बाद क्यों कर इसके ऊपर रोक लगाने का काम किया जाता है। लगता है कि किसी बड़े हादसे का इंतजार है। अगर कभी कोई बड़ा हादसा हो गया तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा। वैसे कुछ बड़े हादसे तो हो चुके हैं। किसी की भी फर्जी आईडी बनाकर किसी को भी धमकी दे दें या फिर कहीं पर बम होने की सूचना दे दें। देश में जितने ब्लास्ट हुए हैं उनके पीछे भी फर्जी आईडी रही है, फिर क्यों कर मेल की सुविधा देने वाली कंपनियां बिना किसी पहचान पत्र के मेल आईडी बनाने पर प्रतिबंध लगाती है।
अक्सर हमने देखा है कि ब्लाग जगत में लोग फर्जी आईडी बनाकर टिप्पणी करने का काम करते हैं। ऐसा काम करने वाले निश्चित रूप से मानसिक रूप से विकलांग होते हैं। अगर ये ऐसे नहीं होते हैं तो ये भी कुछ अच्छा करने के लिए सोचते न कि किसी के अच्छे काम में टांग अड़ाने का काम करते। लेकिन नहीं इनको ऐसा करके ही मजा आता है और ये अपने मजे के लिए दूसरों को परेशान करते हैं। हमें तो लगता नहीं है कि ऐसे मानसिक रूप से विकलांगों से कभी ब्लाग जगत को मुक्ति मिल पाएगी। कारण साफ है कि यहां आईडी बनाने के लिए किसी को अपने आईडी यानी पहचान बनाते की जरूरत नहीं होती है और जब तक यह सिलसिला चलता रहेगा मानसिक विकलांगों की मौज होती रहेगी।
हमारी समझ में नहीं आता है कि क्यों कर बिना किसी पहचान के नेट में किसी को भी फर्जी आईडी बनाने की छूट देकर रखी गई है। ऐसी फर्जी आईडी की वजह से अपराध भी पनप रहे हैं इसके बाद क्यों कर इसके ऊपर रोक लगाने का काम किया जाता है। लगता है कि किसी बड़े हादसे का इंतजार है। अगर कभी कोई बड़ा हादसा हो गया तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा। वैसे कुछ बड़े हादसे तो हो चुके हैं। किसी की भी फर्जी आईडी बनाकर किसी को भी धमकी दे दें या फिर कहीं पर बम होने की सूचना दे दें। देश में जितने ब्लास्ट हुए हैं उनके पीछे भी फर्जी आईडी रही है, फिर क्यों कर मेल की सुविधा देने वाली कंपनियां बिना किसी पहचान पत्र के मेल आईडी बनाने पर प्रतिबंध लगाती है।
4 टिप्पणियाँ:
bhaayi jan preshaan mt rho hmare desh me or vishv men do trh ke log hen aek to voh jinhen pta he ke unke pita kon hen or aek voh hen jinhe pta nhin he ke unke pita kon hen yeh hrkten unhin logogn ki hoti he lekin koi bhi i di frzi nhin bnayi ja skti cybr pulis or visheshgy hr apradhi ko pkdne men skshm hen dekhna yeh log aek din jb jel me honge tb sb ko shanti aa jaayegi. akhtar khan akela kota rajsthan
काड़ी बाज दुनिया में कहां नहीं है?
विकृत मानसिकता के लोग कुंठा निकालने का रास्ता ढूंढ ही लेते हैं।
वैसे आपकी सलाह गुगल तक पहुंचनी चाहिए।
राम राम
शिकायत सही है आपकी !
बिलकुल सही कहा है ..
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