चिट्ठा जगत स्वचलित या हाथ चलित
हम नहीं चाहते थे कि चिट्ठा जगत के बारे में हम फिर से लिखें, लेकिन क्या करें जब कोई इंसान मेहनत करता है और उसकी मेहनत पर लगातार पानी फेरने का काम किया जाता है तो उस इंसान का खफा होना लाजिमी होता है। हमारे ब्लागर मित्र कहते हैं कि चिट्ठा जगत स्वचलित है, लेकिन हमें तो लगता है कि यह हाथ चलित है। हाथ चलित इसलिए की जिसके साथ जो मर्जी आए करें। कम से कम हमारे साथ-साथ और कई ब्लागरों के साथ तो यही हो रहा है।
हम जबसे ब्लाग जगत में आए हैं हमने तो यही महसूस किया है कि चिट्ठा जगत में भी पक्षपात होता है। अब इसे कोई माने या माने लेकिन इस सच्चाई से इंकार कोई नहीं कर सकता है कि कभी न कभी हर ब्लागर के साथ कुछ न कुछ तो गलत हुआ है। अब यह बात अलग है कि कोई लिखता नहीं है। हमें भी सभी यही कहते हैं कि अपने लेखन पर ध्यान दिया जाए, लेखन पर तो ध्यान सभी देते हैं, लेकिन जब आपके लिखे की कही चर्चा हो और उस चर्चा का प्रतिफल देने का काम चिट्ठा जगत न करे तो क्या आपको अफसोस नहीं होगा। एक बार ऐसा हो तो अफसोस करेंगे। लेकिन बार-बार ऐसा हो तो निश्चित ही आप को भी थोड़ा बहुत तो गुस्सा आएगा ही। खैर चलिए भई जिसका एग्रीगेटर है उनका हक बनता है कि वे किसी के साथ कुछ भी कर सकते हैं, हम कौन होते हैं उनको रोकने वाले। इसी तरह से अब हम भी सोच रहे हैं कि हमारा ब्लाग है तो हम भी कुछ भी लिखे हमें कोई कौन होता है रोकने वाला। जब हम लिखते हैं तो फिर बुरा क्यों लगता है? जिस तरह से एक एग्रीगेटर को अपने हिसाब से सब करने का हक है तो हमें क्यों नहीं?
हमारे ब्लाग मित्र कहते हैं कि चिट्ठा जगत मठाधीशों के इशारों पर नहीं चलता। संभव है ऐसा हो। ब्लागर मित्र कहते हैं कि स्लचलित यंत्र में खामियां हो सकती हैं। यह बात भी संभव है। लेकिन यह बात क्यों संभव नहीं है कि स्वचलित यंत्र में अपनी मर्जी से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। आखिर इस यंत्र को भी इंसानों ने ही बनाया है। जब वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ हो सकती है तो किसी भी स्वचलित यंत्र से क्यों नहीं हो सकती है? अगर चिट्ठा जगत वालों को लगता है कि उनके यंत्र में वास्तव में कोई खराबी है तो उसको ठीक करने की कोशिश करनी चाहिए। माना कि वे मुफ्त में सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन इन सेवाओं के बदले क्या उनको विज्ञापन नहीं मिलते हैं? ब्लागरों की वजह से क्या चिट्ठा जगत की कमाई नहीं होती है? आज के जमाने में कोई भी बिना फायदे के बिना मुफ्त में काम नहीं करता है। ब्लागर भी ब्लाग जगत में इस मकसद से आए हैं कि आज नहीं तो कल इनमें कमाई होगी। अब यह बात अलग है कि हिन्दी ब्लाग जगत में अभी ज्यादा ब्लागर उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाए हैं, लेकिन कई ब्लागर कमाई कर रहे हैं। जब हम ब्लाग लिखने के लिए समय के साथ नेट का खर्च करते हैं तो हम भी चाहेंगे कि आज नहीं तो कल हमें भी कुछ कमाई हो।
हम जबसे ब्लाग जगत में आए हैं हमने तो यही महसूस किया है कि चिट्ठा जगत में भी पक्षपात होता है। अब इसे कोई माने या माने लेकिन इस सच्चाई से इंकार कोई नहीं कर सकता है कि कभी न कभी हर ब्लागर के साथ कुछ न कुछ तो गलत हुआ है। अब यह बात अलग है कि कोई लिखता नहीं है। हमें भी सभी यही कहते हैं कि अपने लेखन पर ध्यान दिया जाए, लेखन पर तो ध्यान सभी देते हैं, लेकिन जब आपके लिखे की कही चर्चा हो और उस चर्चा का प्रतिफल देने का काम चिट्ठा जगत न करे तो क्या आपको अफसोस नहीं होगा। एक बार ऐसा हो तो अफसोस करेंगे। लेकिन बार-बार ऐसा हो तो निश्चित ही आप को भी थोड़ा बहुत तो गुस्सा आएगा ही। खैर चलिए भई जिसका एग्रीगेटर है उनका हक बनता है कि वे किसी के साथ कुछ भी कर सकते हैं, हम कौन होते हैं उनको रोकने वाले। इसी तरह से अब हम भी सोच रहे हैं कि हमारा ब्लाग है तो हम भी कुछ भी लिखे हमें कोई कौन होता है रोकने वाला। जब हम लिखते हैं तो फिर बुरा क्यों लगता है? जिस तरह से एक एग्रीगेटर को अपने हिसाब से सब करने का हक है तो हमें क्यों नहीं?
हमारे ब्लाग मित्र कहते हैं कि चिट्ठा जगत मठाधीशों के इशारों पर नहीं चलता। संभव है ऐसा हो। ब्लागर मित्र कहते हैं कि स्लचलित यंत्र में खामियां हो सकती हैं। यह बात भी संभव है। लेकिन यह बात क्यों संभव नहीं है कि स्वचलित यंत्र में अपनी मर्जी से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। आखिर इस यंत्र को भी इंसानों ने ही बनाया है। जब वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ हो सकती है तो किसी भी स्वचलित यंत्र से क्यों नहीं हो सकती है? अगर चिट्ठा जगत वालों को लगता है कि उनके यंत्र में वास्तव में कोई खराबी है तो उसको ठीक करने की कोशिश करनी चाहिए। माना कि वे मुफ्त में सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन इन सेवाओं के बदले क्या उनको विज्ञापन नहीं मिलते हैं? ब्लागरों की वजह से क्या चिट्ठा जगत की कमाई नहीं होती है? आज के जमाने में कोई भी बिना फायदे के बिना मुफ्त में काम नहीं करता है। ब्लागर भी ब्लाग जगत में इस मकसद से आए हैं कि आज नहीं तो कल इनमें कमाई होगी। अब यह बात अलग है कि हिन्दी ब्लाग जगत में अभी ज्यादा ब्लागर उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाए हैं, लेकिन कई ब्लागर कमाई कर रहे हैं। जब हम ब्लाग लिखने के लिए समय के साथ नेट का खर्च करते हैं तो हम भी चाहेंगे कि आज नहीं तो कल हमें भी कुछ कमाई हो।
18 टिप्पणियाँ:
... baat men dam hai !!!
भाई मेरे चिठ्ठाजगत पर आपको विज्ञापन कहाँ दिखाई दे गए ?
आशीष श्रीवास्तव जी,
एक गलत बात आपको कैसे बुरी लगी। हम भी जानते हैं चिट्ठा जगत में विज्ञापन नहीं होते, लेकिन अगर हम ऐसा नहीं लिखते तो क्या आप आते? हमें भी तब उतना ही बुरा लगता है कि जब हमारी मेहनत का फल आपका चिट्ठा जगत नहीं देता है। हम भी आपकी तरह इंसान हैं। आखिर चिट्ठा जगत में ऐसा क्यों होता है, इसका खुलासा करने में क्या परेशानी है। हमने जिस तरह से अपनी गलती को माना है, उसी तरह से आप लोगों को भी इस बात को स्वीकार करना चाहिए, कि कहीं ने कहीं कुछ तो गड़बड़ है जिसके कारण ऐसा होता है।
आशीष जी,
उम्मीद करते हैं कि आप जरूर जवाब देंगे। हम और हमारे जैसे कई ब्लागर जानना चाहते हैं कि क्या कमी है जिसके कारण चिट्ठा जगत में ऐसा कुछ तो हो रहा है, जिससे हवाले और प्रविष्ठियां गायब हो जाते हैं।
चिट्ठा जगत वालों को बताना तो चाहिए की क्या कमी है।
गलत बात पर बुरा तो लगता है जनाब
बिलकुल सही मुद्दा है।
देव,
हमने कहाँ कहा की हमें बुरा लगा ? चिठ्ठाजगत को तो हमने उसके पहले दिन से देखा है विज्ञापन कभी नहीं देखे ! आपने कहा कि चिठ्ठाजगत पर विज्ञापन मिलते है , बस हमने आपसे पूछ लिया !
हमें तो यह लग रहा है कि आप ही बुरा मन गए ! और हाँ एक बात स्पष्ट कर दूं कि हमारा चिट्ठाजगत से कोई सम्बन्ध नहीं है !
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आदरणीय राजकुमार ग्वालानी जी,
२२०० से ज्यादा पोस्ट आप लिख चुके हैं... सक्रियता के मामले में शीर्ष ५० में हैं... अब तक तो हर पाठक जान चुका है कि आप कैसा लिखते हैं... और आपका एक समर्पित पाठकवर्ग भी बन गया होगा... 'हवाले' को लेकर परेशान क्यों होते हैं... क्या पाठक उनको देखकर आपको पढ़ता है ?
यह अवश्य याद रखें कि बेतुके आक्षेपों के कारण ही ब्लॉगवाणी बंद हुआ था... यदि चिठ्ठाजगत भी बंद हो गया तो आप जैसे बड़े ब्लॉगरों का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा... परंतु मुझ जैसे अनेकों जो अभी ब्लॉगिंग की कच्ची क्लास में हैं, उनका बहुत अहित हो जायेगा...
बाकी आपके लेखों से सर्वविदित है ही कि आप चीजों कि कितनी बेहतर समझ रखते हैं... अत: ज्यादा कुछ न कहते हुऐ मामला आपके स्वविवेक पर ही छोड़ना चाहूँगा...
आभार!
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आशीष जी,
आपने अपनी पहली टिप्पणी में लिखा है, भाई मेरे चिट्ठा जगत पर आपको विज्ञापन कहां दिखाई दे गए? इससे हमने समझा कि आप भी चिट्ठा जगत के कर्ताधर्ताओं में से एक हैं। हम स्पष्ट कर दें कि संभवत: आपने भाई मेरे कहा। हमने समझा भाई, मेेरे (यानी आपके चिट्ठा जगत)। अगर आपने भाई मेरे के बाद कामा लगाया होता तो शायद हमें गलतफहमी नहीं होती। बहरहाल चलिए इसी बहाने हमें आप जैसा एक मित्र और मिल गया।
राज भाई , नमस्कार । आप सोचेंगे कि मैं जब भी चिट्ठाजगत के बारे में लिखता हूं तो झाजी चले ही आते हैं , मगर यकीन जानिए आज मैं कुछ बातें स्पष्ट करना चाहता हूं । इसका सिर्फ़ एक ही और अकेला कारण यही है कि मैं नहीं चाहता कि इस संवेदन शील समय में जबकि एक एग्रीगेटर पहले ही बंद हो चुका है और मेरे देखते देखते तो शायद तीन या चार , और अब जबकि अकेला चिट्ठाजगत ही है तो फ़िर बार बार एक ही बात को ????? आपने तो हवाले वैगेरह का ईशारा किया जिसकी समझ हमारे जैसे गैर तकनीकी ब्लॉगर्स को धेले भर की भी नहीं है ..क्रमश:
मैं तो ये बात आसानी से साबित कर देता हूं ..चिट्ठाजगत की अन्य सूचियों को गौर से देखा जाए तो स्पष्ट दिखता है कि उस सूची को जाने कब से अद्यतित नहीं किया गया है , मगर इन सबके बावजूद मैं चाहता हूं कि चिट्ठाजगत चलता रहे । इसके बावजूद कि कम से कम सात सौ ब्लॉग्स को मैं अपने डैशबोर्ड पर ही पढ लेता हूं , इसके बावदूज भी ..
अब आप मेरी एक बात का उत्तर दें । यदि आप लगातार ऐसा ही कुछ गूगल के विषय में लिखें , हालांकि सबको पता है कि बहुत सारी कमियां हैं उसमें भी और सिर्फ़ एक शिकायत भर से गूगल ने कोई प्रतिकूल कदम उठा ले तो फ़िर कहां शिकायत करेंगे इस अन्याय की भी ..क्रमश:
अब बात ये कि फ़िर किया क्या जाए , अरे राज भाई , दो ही उपाय हैं कि वर्तमान में मौजूद अन्य एग्रीगेटर्स को सशक्त किया जाए , एक अच्छे विकल्प के रूप में तैयार किया जाए । या इससे भी बेहतर है कि नया एग्रीगेटर लाया जाए , और उन विषयों पर ज्यादा सोचा किया जाए तो कैसा रहेगा । वैसे आपकी न्याय अन्याय की बात पर मुझे याद आया कि , ब्लॉग बिरादरी अपनी पोस्टों को बिना किसी अनुमति के समाचार पत्रों में छापने को भी कई अन्याय मान रहे हैं , आप पत्रकार सह ब्लॉगर बिरादरी पर तो इस लडाई को आगे ले जाने का भार है । उम्मीद है कि दिल से निकली बातों को बिल्कुल वैसा का वैसा आपके सामने रखने को लेकर आप मुझसे बिल्कुल भी नाराज़ नहीं होंगे ...। बहुत बहुत शुभकामनाएं ..बहुत जल्द आ रहा हूं ..छत्तीसगढ की पावन भूमि से मिलने और आप सबसे भी ..
एक सामायिक विषय. पक्षपात जाती फाएदे के लिए किया जाना एक इंसानी बुराई है. यहाँ नाम कमाने के लिए समूह बना के लिखा और टिप्पणी की जाती है. यह प्रणाम वादी युग चल रहा है.
अच्छे लेख़ पढ़े नहीं जाते. और अगर पढ़ भी गया कोई ग़लती से तो टिप्पणी करने का समय नहीं मिलता.
लगभग हर वस्तु के दो गुण होते हैं लाभ या हानि ,
किन्तु चिटठाजगत में लाभ ही लाभ है मुझे तो कही हानि दिखाई नहीं दी
चिटठाजगत हम सभी हिन्दीभाषी लोगों एक ऐसा मंच दे रहा है की शायद ही किसी साईट ने इतना बड़ा और प्रभावशाली मंच दिया हो ,
ये एक ऐसे देश की भांति है जहाँ जाने के लिए केवल एक पासपोर्ट (शर्त) की आवश्यकता है वह है हिंदी
dabirnews.blogspot.com
कहीं इसमें काड़ीबाजों की बू तो नहीं आती है ? .... हा हा आभार
ग्वालानी जी इस मामले में अपना चंद्रमा थोड़ा कमज़ोर है तो कमेन्ट क्या करूं समझ में नहीं आ रहा !
बहस जारी रहे.....
सबके के लिए अच्छा है.
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