खानापूर्ति का कैम्प
छत्तीसगढ़ की मेजबानी में होने वाली राष्ट्रीय स्कूली नेटबॉल स्पर्धा के लिए प्रदेश की टीमों का प्रशिक्षण शिविर खानापूर्ति करने लगाया गया है। २४ नवंबर का शिविर २६ को प्रारंभ हुआ। पहले दिन खिलाडिय़ों को बॉल भी नहीं दी गई। महज पांच दिनों के शिविर में खिलाडिय़ों से पदक की उम्मीद की जा रही है। वैसे भी स्कूली खेलों के प्रशिक्षण शिविर हमेशा खानापूर्ति वाले होते हैं।
राजधानी में एक दिसंबर से राष्ट्रीय स्कूली खेलों में अंडर १९ नेटबॉल चैंपियनशिप होने वाली है। इसके लिए प्रदेश की टीम तो सितंबर में ही बना दी गई थी, लेकिन प्रशिक्षण शिविर अभी लगाया गया है। स्कूली शिक्षा विभाग के सहायक संलाचक खेल एसआर कर्ष का कहना है कि हमने प्रशिक्षण शिविर की जिम्मेदारी रायपुर जिला शिक्षा विभाग को दी है। उन्होंने बताया कि शिविर २४ नवंबर से ३० नवंबर तक लगाने कहा गया था। इसके लिए ३६ हजार का बजट भी दिया गया है। उन्होंने पूछने पर कहा कि अगर शिविर २४ के स्थान पर २६ नवंबर से लगा है तो इसके लिए जिला शिक्षा विभाग जिम्मेदार है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि स्कूली खेलों में एक सप्ताह से ज्यादा का शिविर लगाना संभव नहीं होता है।
इधर रायपुर जिले के शिक्षा विभाग के खेल अधिकारी सीएस बघेल का कहना है कि खिलाडिय़ों ने न आने की वजह से शिविर प्रारंभ करने में विलंब हुआ है। उन्होंने माना कि खिलाडिय़ों को २६ नवंबर को शाम को चार बॉल दी गई है। एक तरफ जहां राष्ट्रीय स्पर्धा की तैयारी के लिए खिलाड़ी चार बॉल को कम रहे हैं, वहीं श्री बघेल का कहना है कि इतनी बॉल पर्याप्त है।
खिलाडिय़ों का प्रशिक्षण शिविर आउटडोर स्टेडियम में चल रहा है, यहां पर बालक और बालिका टीमें को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। टीमों को प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों के साथ खिलाडिय़ों का भी ऐेसा मानना है कि महज पांच दिन का प्रशिक्षण पर्याप्त नहीं है। इतने कम समय में टीम से पदक की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
खेल के जानकारों का कहना है कि स्कूली खेलों में हमेशा प्रशिक्षण शिविर के नाम से खानापूर्ति होती है। राजधानी में प्रशिक्षण शिविर होने की वजह से खिलाड़ी आ रहे हैं, वरना खिलाड़ी पहले दिन के बाद अंतिम दिन आते हैं और बजट शिविर की व्यवस्था करने वालों की जेब में चला जाता है।
राजधानी में एक दिसंबर से राष्ट्रीय स्कूली खेलों में अंडर १९ नेटबॉल चैंपियनशिप होने वाली है। इसके लिए प्रदेश की टीम तो सितंबर में ही बना दी गई थी, लेकिन प्रशिक्षण शिविर अभी लगाया गया है। स्कूली शिक्षा विभाग के सहायक संलाचक खेल एसआर कर्ष का कहना है कि हमने प्रशिक्षण शिविर की जिम्मेदारी रायपुर जिला शिक्षा विभाग को दी है। उन्होंने बताया कि शिविर २४ नवंबर से ३० नवंबर तक लगाने कहा गया था। इसके लिए ३६ हजार का बजट भी दिया गया है। उन्होंने पूछने पर कहा कि अगर शिविर २४ के स्थान पर २६ नवंबर से लगा है तो इसके लिए जिला शिक्षा विभाग जिम्मेदार है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि स्कूली खेलों में एक सप्ताह से ज्यादा का शिविर लगाना संभव नहीं होता है।
इधर रायपुर जिले के शिक्षा विभाग के खेल अधिकारी सीएस बघेल का कहना है कि खिलाडिय़ों ने न आने की वजह से शिविर प्रारंभ करने में विलंब हुआ है। उन्होंने माना कि खिलाडिय़ों को २६ नवंबर को शाम को चार बॉल दी गई है। एक तरफ जहां राष्ट्रीय स्पर्धा की तैयारी के लिए खिलाड़ी चार बॉल को कम रहे हैं, वहीं श्री बघेल का कहना है कि इतनी बॉल पर्याप्त है।
खिलाडिय़ों का प्रशिक्षण शिविर आउटडोर स्टेडियम में चल रहा है, यहां पर बालक और बालिका टीमें को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। टीमों को प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों के साथ खिलाडिय़ों का भी ऐेसा मानना है कि महज पांच दिन का प्रशिक्षण पर्याप्त नहीं है। इतने कम समय में टीम से पदक की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
खेल के जानकारों का कहना है कि स्कूली खेलों में हमेशा प्रशिक्षण शिविर के नाम से खानापूर्ति होती है। राजधानी में प्रशिक्षण शिविर होने की वजह से खिलाड़ी आ रहे हैं, वरना खिलाड़ी पहले दिन के बाद अंतिम दिन आते हैं और बजट शिविर की व्यवस्था करने वालों की जेब में चला जाता है।
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