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शनिवार, नवंबर 26, 2011

सुगंधित धान की ऊंचाई घटी

प्रदेश में सुगंधित धान की करीब एक दर्जन प्रजातियों की ऊंचाई कम करने की कवायद चल रही है। पहले चरण में ऊंचाई कम करने में सफलता मिली है, लेकिन जितनी ऊंचाई कम करने की योजना है उसमें सफलता मिलने में समय लगेगा।
सुगंधित धान की प्रजातियों में ऊंचाई ज्यादा होने के कारण उत्पादन प्रभावित हो रहा है। ऊंचाई के कारण उपयुक्त मात्रा में खाद भी डालने में परेशानी होती है। ऐसे में कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान केंद्र में इस पर शोध किया जा रहा है।  वर्तमान में धान की ऊंचाई 150 से 160 सेमी के आप-पास है। इस ऊंचाई को 110 से 120 सेमी के आस-पास लाने के प्रयास के तहत पहले साल सुगंधित धान में जवा फूल, बादशाह भोग, विष्णु भोग, गंगा बारू, कपूर क्रांति, जीरा फूल सहित करीब एक दर्जन प्रजातियों की फसल लगाई गई थी।  पहले साल की फसल में ऊंचाई में कुछ कमी तो आई है, लेकिन इसे संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है। जितनी ऊंचाई कम करने की योजना है, उस तक पहुंचने में कम से कम पांच से छह साल का समय लग जाएगा।
अभी तो कृषि विवि के अनुसंधान केंद्र के खेतों में ही कुछ 3 से 4 मीटर चौड़ा और 20 मीटर लंबाई में फसल लगाई गई थी। अब अगले साल से प्रदेश के कुछ जिलों जहां पर सुंगधित धान की खेती होती है, वहां फसलें लगाई जाएगीं। पहले फसलों को राज्य स्तर पर पहचान दिलाने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहचान के प्रयास होंगे। ऊंचाई ज्यादा होने के कारण फसल गिर जाती है जिससे फसल का नुकसान होता है। जब शोध में सफलता मिल जाएगी तो किसानों को फसल से ज्यादा उत्पादन मिल सकेगा। अगले साल रायपुर के साथ बिलासपुर, रायगढ़, कवर्धा और अम्बिकापुर में फसल लगाने के प्रयास होंगे।

1 टिप्पणियाँ:

SANDEEP PANWAR रवि नव॰ 27, 12:00:00 pm 2011  

अच्छी प्रस्तुति जानकारी से भरपूर शब्द

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