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शुक्रवार, मार्च 11, 2011

खर्च नहीं पाए पांच करोड़

प्रदेश के खेल विभाग को 2010-11 में मिले 16 करोड़ 27 लाख के बजट में से विभाग करीब पांच करोड़ से ज्यादा की राशि अब तक खर्च नहीं कर पाया है। वित्त विभाग की वेबसाइट पर आज की तारीख में कई मदों में लाखों की राशि बची हुई बताई जा रही है। खेल विभाग के अधिकारी अभी किसी भी तरह की जानकारी देने से इंकार कर रहे हैं और कहते हैं कि अभी मार्च क्लोजिंग है इसलिए कुछ भी बता पाना संभव नहीं है।
खेल विभाग को मिले बजट में खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के लिए 70 लाख रुपए दिए गए थे। एक इस बजट को पूरी तरह से खर्च करने की जानकारी के साथ खेल पुरस्कारों के लिए दिए गए 47 लाख के बजट के खर्च होने की जानकारी वित्त विभाग की वेबसाइट में है। अन्य जो जानकारियां इस वेबसाइट में हैं उनको देखने के बाद मालूम होता है कि खेल विभाग कई मदों में लाखों की राशि खर्च ही नहीं कर पाया है। ग्रामीण खेलकूद के लिए विभाग को 75 लाख का बजट मिला था। इस बजट में से 17 लाख पांच हजार सात सौ एक रुपए ही खर्च किए गए हैं। इस मद में 57 लाख 94 हजार दो सौ 99 रुपए की राशि शेष है। इसी तरह से राज्य महिला खेलों के लिए भी 75 का बजट था, इसमें 27 लाख 19 हजार तीन सौ साठ रुपए ही खर्च हुए हैं। इस मद में 47 लाख 80 हजार छह सौ चालीस रुपए शेष हैं। सबसे बड़ी राशि युवा कल्याण गतिविधियों में बची है। इसके लिए एक करोड़ 25 लाख का बजट मिला था। इस बजट में से महज पांच लाख 84 हजार छह सौ चालीस रुपए ही खर्च किए जा सके हैं। इस मद में एक करोड़ 19 लाख 15 हजार तीन सौ साठ रुपए की राशि शेष बताई जा रही है। खिलाड़ियों के प्रोत्साहन वाले मद में एक करोड़ 24 लाख 98 हजार दो सौ सात रुपए की राशि बाकी है। इस मद में वैसे दो करोड़ की राशि बजट में स्वीकृत की गई थी, बाद में राज्य खेल महोत्सव के लिए इसी बजट में साढ़े तीन करोड़ की और राशि दी गई थी। खेल संघों को अनुदान वाले मद में वित्त विभाग की वेबसाइड में दो स्थानों पर राशि  दिखाते हुए दोनों में बचत राशि दिखाई गई है। पहले मद में एक करोड़ पचास की राशि में से 70 लाख 57 हजार चार रुपए खर्च करने की जानकारी के साथ 79 लाख चार हजार दो सौ 96 रुपए शेष रहने की जानकारी है तो एक और मद में 70 लाख की राशि में से 9 लाख 68 हजार 32 रुपए खर्च होने की जानकारी के साथ 60 लाख 31 हजार 9 सौ 68 रुपए शेष होने की जानकारी है।
राज्य में मूलभूत सुविधाओं के लिए मिले 50 लाख में से विभाग पांच लाख 88 हजार 264 रुपए की राशि ही खर्च कर सका है। इस मद में 44 लाख 11 हजार 736 रुपए की राशि शेष बताई जा रही है। राज्य में खेल अकादमी के लिए इस बार भी 50 लाख की राशि की राशि स्वीकृत की गई थी, लेकिन इस दिशा में विभाग ने एक बार फिर से कोई पहल नहीं की जिसके कारण यह पूरी राशि बची हुई है और यह राशि इस सत्र में लेप्स हो जाएगी। जानकारों की माने तो विभाग के बजट में हर साल खेल अकादमी के लिए बजट मिलता है और हर साल यह बजट लेप्स हो जाता है। इस बार विभाग ने सिर्फ यह काम किया है कि विभाग के संचालक के साथ विभाग के कुछ अधिकारी जरूर मप्र की अकादमियों को देखने के लिए गए थे ताकि यहां पर बनने वाली अकादमियों का खाका तैयार किया जा सके। लेकिन यह पहल भी अभी-अभी की गई है जिसका मतलब यह है कि इस सत्र की राशि   तो लेप्स हो ही जाएगी।

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