छत्तीसगढ़ पायका में नंबर वन
केन्द्र सरकार की योजना पायका में छत्तीसगढ़ नंबर वन है। इस बात का खुलासा ग्वालियर के मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षण शिविर में हुआ। यहां पर 17 राज्यों से आएखेलों से जुड़े 128 लोगों ने जब अपने-अपने राज्यों में चल रही योजना की जानकारी दी तो इस जानकारी से ही यह बात सामने आई कि पूरे देश में छत्तीसगढ़ में ही इस योजना में सबसे अच्छा काम हो रहा है। कई राज्यों में तो अब तक एक साल की योजना पर ही काम प्रारंभ नहीं हो सका है जबकि छत्तीसगढ़ में दूसरे साल की योजना पर भी काम प्रारंभ कर दिया गया है।
राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने यह जानकारी देते हुए बताया कि ग्वालियर में सात से 21 फरवरी तक आयोजित प्रशिक्षण शिविर में 17 राज्यों के खेलों के जानकारों 128 लोगों ने भाग लिया। छत्तीसगढ़ से खेल विभाग के पांच अधिकारी जिनमें राजेन्द्र डेकाटे के अलावा जशपुर के प्रेम किशोर प्रधान, जांजगीर के नरेन्द्र सिंह बैस, राजनांदगांव के अशोक मेहरा एवं दुर्ग के ए. एक्का शामिल हैं के साथ दंतेवाड़ा के दो क्रीड़ाश्री और यूनीसेफ के चार लोग शामिल हैं, इन्होंने भाग लिया। श्री डेकाटे ने बताया कि प्रशिक्षण शिविर में जब अलग-अलग राज्यों से आए लोगों ने अपने-अपने राज्य में चल रही इस योजना के बारे में जानकारी दी तो यह बात सामने आई कि छत्तीसगढ़ में ही सबसे ज्यादा अच्छा काम हो रहा है। हमारे राज्य में जहां 2009-10 के सभी क्रीड़ाश्री नियुक्त किए जा चुके हैं, वहीं इनको पिछले साल प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। इसी तरह से 2010-11 के भी क्रीड़ाश्री नियुक्त हो गए हैं और इनको तैयार करने के लिए कोंड़ागांव में एक से सात फरवरी तक पहले चरण का प्रशिक्षण शिविर लग चुका है। अब दूसरे चरण के प्रशिक्षण की तैयारी चल रही है। यह शिविर रायपुर में 27 फरवरी से लगेगा।
श्री डेकाटे ने बताया कि जब छत्तीसगढ़ के बारे में अन्य राज्यों के लोगों को मालूम हुआ तो कई राज्यों के लोगों ने छत्तीसगढ़ के खेल अधिकारियों से चर्चा करके यह जानने का प्रयास किया कि आखिर छत्तीसगढ़ की सफलता के पीछे कारण क्या है। इनको यह भी बताया गया कि छत्तीसगढ़ सरकार भी पायका के लिए पूरी मदद कर रही है। इसी के साथ इनको बताया गया कि वैसे भी छत्तीसगढ़ की खेलनीति में प्रारंभ से ही पंचायत स्तर से खेलों को बढ़ाने की बात है।
बहुत कुछ सीखने को मिला
श्री डेकाटे ने पूछने पर बताया कि ग्वालियर में बहुत कुछ सीखने को मिला। वहां पर निदेशक एके दत्ता के मार्गदर्शन में अलग-अलग खेलों के जानकारों ने जहां मैदानों के बनाने के बारे में जानकारी दी, वहीं बताया गया कि कैसे ग्रामीण खिलाड़ियों को खेलों से जोड़ने का काम करना है। श्ाििवर में मुंबई के एक एनजीओ की एक मैजिक वैन आई थी। इस वैन में ग्रामीण खिलाड़ियों को जोड़ने के लिए मनोरंजक खेलों के बारे में बताया गया कि अगर ऐसे खेलों से शुरुआत की जाए तो ग्रामीण खिलाड़ियों की रुचि खेलों बढ़ेगी और वे खेलने सामने आएंगे। श्री डेकाटे का ऐसा मानना है कि इस मैजिक वैन को छत्तीसगढ़ में क्रीड़ाश्री के प्रशिक्षण शिविर में भी बुलाने से बहुत फायदा होगा। उन्होंने बताया कि हम लोग भी प्रशिक्षण शिविर में अपने अनुभव का लाभ क्रीड़ाश्री को देने का काम करेंगे।
पीटीआई को मिले प्रशिक्षण
श्री डेकाटे का ऐसा मानना है कि पायका के प्रशिक्षण के लिए राज्य के खेल शिक्षकों (पीटीआई) को भेजना चाहिए। ज्यादातर क्रीड़ाश्री खेल शिक्षक हैं, ऐसे में इनके जाने से सीधा फायदा मिलेगा। उन्होंने बताया कि वैसे दो क्राड़ाश्री भेजे गए थे, लेकिन ज्यादा से ज्यादा क्रीड़ाश्री जाएंगे तो उसका फायदा राज्य को मिलेगा और वे गांवों में खिलाड़ी तैयार कर पाएंगे।
राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने यह जानकारी देते हुए बताया कि ग्वालियर में सात से 21 फरवरी तक आयोजित प्रशिक्षण शिविर में 17 राज्यों के खेलों के जानकारों 128 लोगों ने भाग लिया। छत्तीसगढ़ से खेल विभाग के पांच अधिकारी जिनमें राजेन्द्र डेकाटे के अलावा जशपुर के प्रेम किशोर प्रधान, जांजगीर के नरेन्द्र सिंह बैस, राजनांदगांव के अशोक मेहरा एवं दुर्ग के ए. एक्का शामिल हैं के साथ दंतेवाड़ा के दो क्रीड़ाश्री और यूनीसेफ के चार लोग शामिल हैं, इन्होंने भाग लिया। श्री डेकाटे ने बताया कि प्रशिक्षण शिविर में जब अलग-अलग राज्यों से आए लोगों ने अपने-अपने राज्य में चल रही इस योजना के बारे में जानकारी दी तो यह बात सामने आई कि छत्तीसगढ़ में ही सबसे ज्यादा अच्छा काम हो रहा है। हमारे राज्य में जहां 2009-10 के सभी क्रीड़ाश्री नियुक्त किए जा चुके हैं, वहीं इनको पिछले साल प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। इसी तरह से 2010-11 के भी क्रीड़ाश्री नियुक्त हो गए हैं और इनको तैयार करने के लिए कोंड़ागांव में एक से सात फरवरी तक पहले चरण का प्रशिक्षण शिविर लग चुका है। अब दूसरे चरण के प्रशिक्षण की तैयारी चल रही है। यह शिविर रायपुर में 27 फरवरी से लगेगा।
श्री डेकाटे ने बताया कि जब छत्तीसगढ़ के बारे में अन्य राज्यों के लोगों को मालूम हुआ तो कई राज्यों के लोगों ने छत्तीसगढ़ के खेल अधिकारियों से चर्चा करके यह जानने का प्रयास किया कि आखिर छत्तीसगढ़ की सफलता के पीछे कारण क्या है। इनको यह भी बताया गया कि छत्तीसगढ़ सरकार भी पायका के लिए पूरी मदद कर रही है। इसी के साथ इनको बताया गया कि वैसे भी छत्तीसगढ़ की खेलनीति में प्रारंभ से ही पंचायत स्तर से खेलों को बढ़ाने की बात है।
बहुत कुछ सीखने को मिला
श्री डेकाटे ने पूछने पर बताया कि ग्वालियर में बहुत कुछ सीखने को मिला। वहां पर निदेशक एके दत्ता के मार्गदर्शन में अलग-अलग खेलों के जानकारों ने जहां मैदानों के बनाने के बारे में जानकारी दी, वहीं बताया गया कि कैसे ग्रामीण खिलाड़ियों को खेलों से जोड़ने का काम करना है। श्ाििवर में मुंबई के एक एनजीओ की एक मैजिक वैन आई थी। इस वैन में ग्रामीण खिलाड़ियों को जोड़ने के लिए मनोरंजक खेलों के बारे में बताया गया कि अगर ऐसे खेलों से शुरुआत की जाए तो ग्रामीण खिलाड़ियों की रुचि खेलों बढ़ेगी और वे खेलने सामने आएंगे। श्री डेकाटे का ऐसा मानना है कि इस मैजिक वैन को छत्तीसगढ़ में क्रीड़ाश्री के प्रशिक्षण शिविर में भी बुलाने से बहुत फायदा होगा। उन्होंने बताया कि हम लोग भी प्रशिक्षण शिविर में अपने अनुभव का लाभ क्रीड़ाश्री को देने का काम करेंगे।
पीटीआई को मिले प्रशिक्षण
श्री डेकाटे का ऐसा मानना है कि पायका के प्रशिक्षण के लिए राज्य के खेल शिक्षकों (पीटीआई) को भेजना चाहिए। ज्यादातर क्रीड़ाश्री खेल शिक्षक हैं, ऐसे में इनके जाने से सीधा फायदा मिलेगा। उन्होंने बताया कि वैसे दो क्राड़ाश्री भेजे गए थे, लेकिन ज्यादा से ज्यादा क्रीड़ाश्री जाएंगे तो उसका फायदा राज्य को मिलेगा और वे गांवों में खिलाड़ी तैयार कर पाएंगे।
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