राजनीति के साथ हर विषय पर लेख पढने को मिलेंगे....

रविवार, मार्च 13, 2011

खेलों को मजबूत करने करें खर्च

प्रदेश के खेल विभाग के करीब पांच करोड़ से ज्यादा बचे हुए बजट को लेकर प्रदेश की खेल बिरादरी में जहां आक्रोश है, वहीं सभी का एक स्वर में कहना है कि बचे हुए बजट से प्रदेश के खेलों को मजबूत करने की पहल होनी चाहिए। राजधानी में एक हास्टल और अकादमी प्रारंभ करने के साथ खेल संघों को सामान देने पर बजट खर्च किया जाए।
खेल विभाग में बचे हुए बजट का खुलासा होने पर प्रदेश की खेल बिरादरी सकते में है कि कैसे खेल विभाग काम कर रहा है और इतना ज्यादा पैसा बचा दिया गया है। अगर विभाग के पास इतना पैसा बचा है तो अब भी एक माह से ज्यादा का समय है, बचे हुए सारे पैसे खेलों को मजबूत करने पर खर्च करने चाहिए। वैसे भी खेलों के लिए बहुत कम बजट मिलता है, ऐसे में बजट बचाने से कैसे राज्य में खेलों का विकास होगा।
तत्काल हास्टल बनाने की पहल हो
वालीबॉल संघ के महासचिव मो. अकरम खान का कहना है कि जब सरकार से अंधोसरचना के लिए 50 लाख की राशि मिली है तो उसका उपयोग होना चाहिए। अब भी बहुत समय है खेल विभाग को तत्काल शहर के मध्य में कोई स्थान देखकर हास्टल बनाने का काम प्रारंभ कर देना चाहिए। स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में दो स्टेडियम है, इसी के साथ सप्रे स्कूल में कई खेलों के मैदान हैं और पुलिस मैदान में भी बास्केटबॉल, वालीबॉल के साथ और कई खेलों के मैदान निकले जाते हैं। ऐसे में इन मैदानों के आस-पास अगर एक हास्टल बन जाता है तो इससे खेल संघों और खिलाड़ियों को बहुत राहत मिलेगी। राज्य बनने के बाद से ही राजधानी में एक हास्टल की कमी महसूस की जा रही है। हास्टल के अभाव मेंं ही राजधानी में कई बड़े आयोजन नहीं हो पाते हैं।
क्लबों को देने चाहिए पैसे
शेरा क्लब के संस्थापक मुश्ताक अली प्रधान कहते हैं कि एक तो खेलों के लिए वैसे भी सरकार से बहुत कम बजट मिलता है, उस पर भी इतने पैसे बच गए हैं तो इसका क्या मतलब है। इसका मतलब साफ है कि खेल विभाग की मानसिकता ही खेलों और खेल संघों को बढ़ाने की नहीं है। हमारा क्लब पिछले दो साल से जिम मांग रहा है लेकिन हमें जिम ही नहीं दिया जा रहा है। जब खेल विभाग के बजट में इतने पैसे बच रहे हैं और आगे चलकर ये मार्च के बाद लेप्स हो जाएंगे तो क्यों कर खेल विभाग इन पैसों से राजधानी से क्लबों को मजबूत करने का काम नहीं करता है। हमारा क्लब पिछले चार दशक से राजधानी में फुटबॉल के साथ हॉकी का आयोजन करने के अलावा इनका प्रशिक्षण शिविर लगाता है। हमारे क्लब ने ही राजधानी में फुटबॉल का डे बोर्डिंग स्कूल प्रारंभ किया है। हमने इसके लिए भी खेल विभाग से 50 हजार की मदद मांगी थी, लेकिन मदद नहीं दी गई।
आयोजन के लिए दें ज्यादा पैसे
जिला फुटबॉल संघ के सचिव दिवाकर थिटे के साथ फुटबॉल खिलाड़ियों विमल साहू, शिरीष यादव, अर्सउल्ला खान का कहना है कि खेल विभाग को खेल संघों को राज्य स्पर्धाओं के आयोजन के लिए ज्यादा पैसे देने चाहिए। जब विभाग खुद आयोजन करता है तो एक स्पर्धा के लिए चार लाख तक खर्च कर देता है लेकिन जब यही आयोजन खेल संघ करते हैं तो उनको महज पचास हजार की राशि दी जाती है। राज्य स्तर के एक आयोजन पर तीन लाख से ज्यादा का खर्च होता है। यह सारा खर्च खेल विभाग को उठाना चाहिए, नहीं तो खेल विभाग खेल संघों के साथ मिलकर आयोजन करे।
खेल संघों को सामान देने चाहिए
हैंडबॉल संघ के सचिव बशीर अहमद खान कहते हैं कि राज्य में तलवारबाजी तीरंदाजी, जिम्नास्टिक जैसे कई खेल हैं जिनको सामानों की जरूरत है रहती है, लेकिन इनको सामान नहीं मिल पाते हंै। अगर खेल विभाग ऐसे खेलों की मदद करने के लिए अपना बजट खर्च करता तो जरूर इन खेलों में खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर सफलता मिलती।
तीरंदाजी अकादमी प्रारंभ करें
तीरंदाजी संघ के सचिव कैलाश मुरारका का कहना है कि एक तरफ सरकार से अकादमी के लिए मिलने वाली 50 लाख की राशि लेप्स हो रही है, वहीं दूसरी तरफ हमारा संघ लगातार कई सालों से तीरंदाजी की अकादमी प्रारंभ करने की खेल विभाग से मांग कर रहा है। हमारे संघ के अध्यक्ष वरिष्ठ सांसद भाजपा के रमेश बैस भी अकादमी के लिए लगातार बोल रहे हैं, लेकिन अकादमी नहीं खोली जा रही है। हमारा संघ साल में कम से कम पांच बार खेल विभाग को पत्र देता है, फिर भी विभाग ध्यान नहीं देता है। बजट का 50 लाख लेप्स हो जाए इससे अच्छा है कि तीरंदाजी अकादमी पर इसको खर्च करके तत्काल अकादमी प्रारंभ करने का काम खेल विभाग करे। श्री मुरारका ने बताया कि हमारा खेल बहुत मंहगा है, इसके लिए लगातार खेल विभाग से हम सामान मांग रहे हैं लेकिन हमें सामान नहीं दिया जाता है। अगर बजट के पैसे लेप्स होने की स्थिति में है तो तीरंदाजी का सामान लेकर हमारे संघ को देना चाहिए। विभाग जब संयुक्त तत्वावधान में आयोजन करता है तो उसका सारा खर्च विभाग करता है। हमने   तीरंदाजी के आयोजन के समय भी विभाग से सामान मांगे लेकिन विभाग ने देने से इंकार कर दिया।
स्क्वैश-टेनिस कोर्ट बनाने मदद करें
यूनियन क्लब के सचिव गुरुचरण सिंह होरा का कहना है कि हमने क्लब में स्क्वैश और लॉन टेनिस के कोर्ट बनाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से 25 लाख रुपए का अनुदान मांगा है। ऐसे में जबकि खेल विभाग के पास बजट बचा हुआ है तो हमारी मांग है कि क्लब को कोर्ट बनाने के लिए खेल विभाग मदद करे। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि निजी क्लब होने के कारण खेल विभाग सीधे तौर पर हमारी मदद नहीं कर सकता है लेकिन मुख्यमंत्री की विशेष अनुशंसा पर तो यह संभव है। उन्होंने कहा कि राज्य खेल महोत्सव के समय हमारे क्लब में आधा दर्जन से ज्यादा खेलों के आयोजन हुए थे, उसी समय हमने मुख्यमंत्री के सामने क्लब में स्क्वैश और लॉन टेनिस का एक-एक कोर्ट बनाने के लिए 25 लाख का विशेष अनुदान मांगा था। यूनियन क्लब हमेशा खेलों के लिए उपलब्ध रहता है। यहां पर अगर स्क्वैश और लॉन टेनिस के कोर्ट बन जाएंगे तो इससे खेलों का ही भला होगा।
राजधानी के मैदानों को संवारना चाहिए
कराते संघ के सचिव अजय साहू का कहना है कि खेल विभाग का बजट अगर लेप्स होता है तो इससे बड़े दुर्भाग्य की बात और कोई नहीं हो सकती है। ऐसा हो रहा है इसका मतलब सीधा है कि खेल विभाग निष्क्रिय है और वह सही तरीके से काम नहीं कर पा रहा है। राजधानी में वैसे भी मैदानों की कमी है। विभाग को मैदानों को संवारने पर ध्यान देना चाहिए। अब भी समय है। विभाग को राजधानी के मैदानों को चिंहित करके उनको ठीक करने के लिए बजट देकर उनका काम प्रारंभ कर देना चाहिए।
कराते के साथ और जो भी मार्शल आर्ट के खेल हैं उनके अलावा जिन भी खेलों के संघों को सामनों की जरुरत है उनको सामान देना चाहिए। खिलाड़ियों को सुविधाएं मिलने से ही प्रदेश में खेलों का विकास होगा।

0 टिप्पणियाँ:

Related Posts with Thumbnails

ब्लाग चर्चा

Blog Archive

मेरी ब्लॉग सूची

  © Blogger templates The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP