पॉलीटेक्निक में लेक्चरर के पद पर काम करने वाली सुमी गुहा का शौक निशाना लगाना है और उनके इस शौक ने उनको दूसरी बार मावलंकर में खेलने की पात्रता भी दिला दी है। अपने पति आलोक गुहा की प्रेरणा से निशानेबाजी में आई, सुमी गुहा के दोनों बच्चे भी अच्छे निशानेबाज हैं। यह गुहा परिवार माना में राज्य निशानेबाजी में अपने जौहार दिखा रहा है।
माना में चल रही राज्य निशानेबाजी के स्पोर्ट्स पिस्टल वर्ग में 245 अंकों के साथ स्वर्ण पदक जीतने के साथ सुमी गुहा ने 16 अक्टूबर से मावंलकर में होने वाली राष्ट्रीय स्पर्धा के पात्रता चक्र के लिए टिकट कटा लिया है। श्रीमती गुहा बताती हैं कि उनको तीन साल हो गए हैं राज्य स्पर्धा में खेलते हुए। पहले साल तो उनके हाथ सफलता नहीं लगी, लेकिन दूसरे साल उन्होंने एयर पिस्टल के साथ स्पोर्ट्स पिस्टल में रजत पदक जीते। 2010 के इस साल में उन्होंने एयर पिस्टल में मावलंकर जाने की भी पात्रता प्राप्त की। मावंलकर में वह राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने की पात्रता प्राप्त नहीं सकीं। लेकिन उनको इस बात की खुशी है कि उनको वहां तक जाने का मौका मिला। इस बार उनको स्पोर्ट्स पिस्टल में जाने का मौका मिला है। वैसे वह एयर पिस्टल में भी मावलंकर जाने का प्रयास करेंगी। इस वर्ग के मुकाबले अभी बचे हैं।
सुमी गुहा बताती हैं कि उनके परिवार में सबसे पहले निशानेबाजी उनके पति आलोक गुहा जो कि माइनिंग में काम, करते थे, इसके बाद उन्होंने और दोनों बच्चों जिसमें प्रथम वर्ष में पढ़ रही अनुषा गुहा और पीजी कर रहे आयुष गुहा शामिल हैं ने निशानेबाजी प्रारंभ की। उनकी पुत्री दिल्ली में पढ़ती हैं, लेकिन राज्य स्पर्धा में खेलने वह यहां आ रही हैं। एक सवाल के जवाब में सुमी गुहा कहती हैं कि निशानेबाजी में सफलता के लिए निरंतर अभ्यास जरूरी है और इसके लिए उन्होंने घर में छोटी सी रेंज बना रखी है। वह कहती हैं कि एयर और स्पोर्ट्स पिस्टल के लिए छोटी की रेंज की ही जरूरत होती है इसलिए घर में अभ्यास संभव है। उन्होंने बताया कि 80-80 हजार की दो विश्व स्तरीय पिस्टल खरीदी है। इस बार उनको मावलंकर में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि मैंने यहां 245 अंक बनाएं हैं जबकि मावलंकर में 262 अंक बनाने पर ही राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने की पात्रता मिलेगी। अभी समय है और अभ्यास करने से मैं उस लक्ष्य तक पहुंच सकती हूं।
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