जनचेतना नहीं जनआक्रोश यात्रा
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण अडवानी की जनचेतना यात्रा जिस मकसद से पार्टी ने निकाली है, वह मकसद तो पूरा होता नहीं दिख रहा है, लेकिन इस यात्रा से जनआक्रोश जरूर बढ़ रहा है। यह यात्रा जहां भी जा रही है, वहां आम जन इतने ज्यादा परेशान हो रहे हैं कि हर किसी से मुंह से भाजपा के लिए अपशब्द ही निकल रहे हैं। ऐसे में यह तय है कि भाजपा ने इस यात्रा से अपने लिए फायदा नहीं बल्कि नुकसान किया है। यह तय है कि यात्रा से परेशान देश का जनतंत्र कभी नहीं चाहेगा कि उनको परेशान करने वाली पार्टी सत्ता में आए। इस यात्रा में एक और अहम बात यह है कि अडवानी जी की यह कैसी यात्रा है जिसमें रथ पहले आता है और वे विमान से आते हैं।
अडवानी की यात्रा जब छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आई तो यहां भी वही नजारा देखने को मिला जैसा नजारा देश के अन्य हिस्सों में देखने को मिला था। इस यात्रा के कारण दीपावली की तैयारी में लगे लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा। यात्रा के कारण सारे बाजार इस तरह से सील हो गए कि लोगों की बाजार तक पहुंचने में हालात खराब हो गई। बहुतो को तो बाजार जाने की बजाए घर वापास जाना ज्यादा उचित लगा।
अब सोचने वाली बात यह है कि जो भाजपा देश की जनता में जनचेतना जगाने के लिए यात्रा कर रही है, उस यात्रा से लोग हलाकान और परेशान हो रहे हैं। यह तय है कि अडवानी की यात्रा से लोगों में जनचेतना तो आई है, लेकिन जिस तरह की जनचेतना है वह भाजपा के लिए ही घातक है। आज अडवानी की यात्रा जहां भी गई है, वहां के लोगों से इसके बारे में पूछेंगे तो पहले तो हर किसी के भी मुंह से अपशब्द ही सुनने को मिलेंगे। इस यात्रा ने लोगों को इस बात के लिए जरूर जागरूक कर दिया है कि ऐसी पार्टी को कभी सत्ता में मत लाना जो आम जनों का ख्याल नहीं रखती है। वैसे तो किसी भी पार्टी को जनता से सरोकार नहीं है, लेकिन कम से कम ऐसी यात्रा और पार्टियों तो नहीं करती हैं।
अब इसका जवाब किसके पास है कि अडवानी की यात्रा से किसका भला हुआ है। हमारे विचार से तो न तो इससे पार्टी का भला हुआ है और न ही आमजनों का। अगर वास्तव में किसी का भला हुआ है तो वो वे अधिकारी हैं जिनको अडवानी की यात्रा के कारण सड़कें बनाने का काम मिला या इसी तरह का कोई काम दिया गया। इन कामों की आड़ में खुलकर भ्रष्टाचार हुआ। अपने छत्तीसगढ़ में ही अडवानी की यात्रा के लिए 20 करोड़ से ज्यादा की सड़कें बनाई गर्इं। अब यह बात सभी जानते हैं कि 20 करोड़ में से कितने की सड़कें बनीं होंगी। सड़कों के बनाने में भ्रष्टाचार तो होना ही था। वैसे अडवानी की रथ यात्रा पर भ्रष्टाचार का साया तो पहले से ही है।
मप्र में इस यात्रा के समय मीडिया को पैसे बांटने की बात सामने आई। वैसे ऐसा होना कोई नई बात नहीं है। पता नहीं वह कौन का मुर्ख पत्रकार (ऐसा वे भाजपा नेता और वे पत्रकार सोच रहे होंगे जिनको पैसे मिले) था जिसने इस बात का खुलासा कर दिया। भगवान ऐसे ईमानदार लोग पैदा क्यों करते हैं, यही भ्रष्टाचारी सोच रहे होंगे। लेकिन पाप का घड़ा तो एक न एक दिन फुटता ही है। बहरहाल इतना तय है कि अडवानी की यात्रा भाजपा के लिए घातक साबित होगी। अडवानी जी के साथ भाजपा को इस बात का जवाब देना चाहिए कि यात्रा में रथ अलग और अडवानी जी अलग कैसे चल रहे हैं। क्यों कर रथ सड़क मार्ग से आता है और अपने नेता जी विमान से आते हैं। वास्तव में जनचेतना जगानी है और अगर दम है तो बिना सुरक्षा के सड़क मार्ग से यात्रा करें। अगर आप वास्तव में जनता के चहेते हैं तो कोई आपको नुकसान नहीं पहुंचेगा लेकिन आप अगर जनता के हितैषी नहीं है तो नुकसान उठाने के लिए तैयार रहें।
अडवानी की यात्रा जब छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आई तो यहां भी वही नजारा देखने को मिला जैसा नजारा देश के अन्य हिस्सों में देखने को मिला था। इस यात्रा के कारण दीपावली की तैयारी में लगे लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा। यात्रा के कारण सारे बाजार इस तरह से सील हो गए कि लोगों की बाजार तक पहुंचने में हालात खराब हो गई। बहुतो को तो बाजार जाने की बजाए घर वापास जाना ज्यादा उचित लगा।
अब सोचने वाली बात यह है कि जो भाजपा देश की जनता में जनचेतना जगाने के लिए यात्रा कर रही है, उस यात्रा से लोग हलाकान और परेशान हो रहे हैं। यह तय है कि अडवानी की यात्रा से लोगों में जनचेतना तो आई है, लेकिन जिस तरह की जनचेतना है वह भाजपा के लिए ही घातक है। आज अडवानी की यात्रा जहां भी गई है, वहां के लोगों से इसके बारे में पूछेंगे तो पहले तो हर किसी के भी मुंह से अपशब्द ही सुनने को मिलेंगे। इस यात्रा ने लोगों को इस बात के लिए जरूर जागरूक कर दिया है कि ऐसी पार्टी को कभी सत्ता में मत लाना जो आम जनों का ख्याल नहीं रखती है। वैसे तो किसी भी पार्टी को जनता से सरोकार नहीं है, लेकिन कम से कम ऐसी यात्रा और पार्टियों तो नहीं करती हैं।
अब इसका जवाब किसके पास है कि अडवानी की यात्रा से किसका भला हुआ है। हमारे विचार से तो न तो इससे पार्टी का भला हुआ है और न ही आमजनों का। अगर वास्तव में किसी का भला हुआ है तो वो वे अधिकारी हैं जिनको अडवानी की यात्रा के कारण सड़कें बनाने का काम मिला या इसी तरह का कोई काम दिया गया। इन कामों की आड़ में खुलकर भ्रष्टाचार हुआ। अपने छत्तीसगढ़ में ही अडवानी की यात्रा के लिए 20 करोड़ से ज्यादा की सड़कें बनाई गर्इं। अब यह बात सभी जानते हैं कि 20 करोड़ में से कितने की सड़कें बनीं होंगी। सड़कों के बनाने में भ्रष्टाचार तो होना ही था। वैसे अडवानी की रथ यात्रा पर भ्रष्टाचार का साया तो पहले से ही है।
मप्र में इस यात्रा के समय मीडिया को पैसे बांटने की बात सामने आई। वैसे ऐसा होना कोई नई बात नहीं है। पता नहीं वह कौन का मुर्ख पत्रकार (ऐसा वे भाजपा नेता और वे पत्रकार सोच रहे होंगे जिनको पैसे मिले) था जिसने इस बात का खुलासा कर दिया। भगवान ऐसे ईमानदार लोग पैदा क्यों करते हैं, यही भ्रष्टाचारी सोच रहे होंगे। लेकिन पाप का घड़ा तो एक न एक दिन फुटता ही है। बहरहाल इतना तय है कि अडवानी की यात्रा भाजपा के लिए घातक साबित होगी। अडवानी जी के साथ भाजपा को इस बात का जवाब देना चाहिए कि यात्रा में रथ अलग और अडवानी जी अलग कैसे चल रहे हैं। क्यों कर रथ सड़क मार्ग से आता है और अपने नेता जी विमान से आते हैं। वास्तव में जनचेतना जगानी है और अगर दम है तो बिना सुरक्षा के सड़क मार्ग से यात्रा करें। अगर आप वास्तव में जनता के चहेते हैं तो कोई आपको नुकसान नहीं पहुंचेगा लेकिन आप अगर जनता के हितैषी नहीं है तो नुकसान उठाने के लिए तैयार रहें।
1 टिप्पणियाँ:
पाप का घड़ा तो एक न एक दिन फुटता ही है .. इंतजार कर रहे हैं !!
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