किसी को क्यों नहीं होता भ्रष्टाचार पर अफसोस
हमें तो जरूर दिखती है अच्छाई और सच्चाई
क्योंकि हम नहीं खाते मुफ्त की दुध-मलाई
हमें नहीं जकड़ सका है भ्रष्टाचार का कसाई
उठो, जागो, देखों और सोचो भाई
अगर हमने अब भी नहीं खोलीं आंखें
तो निगल जाएगा देश को भ्रष्टाचार का कसाई
क्यों सोए हैं न जाने अब तक अपने देश के लोग
किसी को क्यों नहीं होता भ्रष्टाचार पर अफसोस
क्योंकि हम नहीं खाते मुफ्त की दुध-मलाई
हमें नहीं जकड़ सका है भ्रष्टाचार का कसाई
उठो, जागो, देखों और सोचो भाई
अगर हमने अब भी नहीं खोलीं आंखें
तो निगल जाएगा देश को भ्रष्टाचार का कसाई
क्यों सोए हैं न जाने अब तक अपने देश के लोग
किसी को क्यों नहीं होता भ्रष्टाचार पर अफसोस
4 टिप्पणियाँ:
सुन्दर रचना, प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें .
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें .
भ्रष्टाचार पर अफसोस तो सबको है पर इसे रोकने गंभीर कौन कौन है.....?
वाह क्या बात है।
आम आदमी तो चिल्ला ही रहा है पर पता नहीं सरकारी आदमी कब चिल्लायेगा ।
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