शिकार करने को आए-शिकार हो के चले
एक पुराना गाना है तुम्हारे प्यार में हम बेकरार हो के चले, शिकार करने को आए शिकार हो के चले। यह गाना बनाया गया था प्यार के लिए, लेकिन तब नहीं मालूम था कि यह गाना उस पाकिस्तान पर भी फिट बैठ सकता है जो पाकिस्तान पूरी दुनिया में आतंक का जहर घोलने का काम कर रहा है। पाकिस्तान पर यह गाना फिट बैठ रहा है तो इसमें एक बेसिक अंतर यह है कि पाक के मामले में यह गाना प्यार के लिए नहीं बल्कि नफरत के लिए फिट बैठ रहा है। पाक ने पूरी दुनिया में प्यार का नहीं बल्कि नफरत का पैगाम देने का काम किया है और नफरत फैलाने के लिए ऐसे-ऐसे सांपों को पैदा किया जिनके जहर से बचना मुश्किल हो। वास्तव में पाक के पाले जहरीले आतंकी सांप इतने ज्यादा खतरनाक हैं कि उनके जहर पुरी दुनिया में घुलने लगा है। पाक के ये अनाकोन्डा हर देश के मानवों को कच्चा निगलने का काम कर रहे हैं। जब तक पाक के सांप देश के बाहर अपना फन फैलाए शिकार कर रहे थे तब तक तो पाक में कम से कम उनके लिए जश्न का माहौल था जिन्होंने ऐसे सांपों को दुध पिलाने का काम किया था, लेकिन अब इन सांपों ने अपनी परवरिश करने वालों को ही शिकार बनाना शुरू कर दिया है। ऐसे समय में ही उस पुराने गाने की याद ताजा हो गई है कि शिकार करने को आए-शिकार हो के चले। वाह रे पाक की आईएसआई जिसने आतंकियों को बढ़ाने के लिए क्या नहीं किया। आईएसआई ने तो अमरीका को भी आतंक का खात्मा करने के नाम पर इस तरह से छला है कि पैसे उनसे लिए और आतंक का खात्मा करने की बजाए आतंक फैलाने वालों की जड़ों को मजबूत करने का काम किया। तब शायद पाक को नहीं मालूम था कि जिस आतंक की जड़ को वह दुनिया को तोडऩे के लिए पनाह दे रहा है वह जड़ उनकी जमीन को भी खोखला करने का काम सकती है। पाक को तो उसी समय यह बात समझ में आ जानी चाहिए थी जब पहली बार 18 अक्टूबर 2007 को बेनजीर भुट्टो के पाक वापस आने पर उन पर हमला किया गया था। लेकिन तब शायद ऐसा कुछ नहीं था और इस मामले में संभवत: जो हमला हुआ था उसके पीछे भी कहीं न कहीं आईएसआई की मौन सहमति थी। लेकिन जब 21 दिसंबर 2007 को पाक में एक मजिस्द पर हमला हुआ तब क्या था। लेकिन पाक नहीं चेता और इसका परिणाम यह हुआ कि वहां पर लगातार आतंकी हमले होते रहे। लेकिन ये हमले उतने बड़े नहीं थे, या फिर यह कहा जाए कि शायद ये हमले किसी साजिश का हिस्सा थे ताकि पाक को भी साफ समझा जाए। क्यों नहीं हो सकता कि पाक अपने को आतंकवादियों का मददगार साबित होने से बचाने के लिए ऐसा कर रहा हो। वैसे तो अब भी इस बात में संदेह है कि पाक में जो आतंकी हमले हो रहे हैं उसके पीछे की सच्चाई क्या है। क्या वास्तव में पाक में आतंकवादी हमले उसी तरह से हो रहे हैं जिस तरह से आतंकवादी भारत या फिर किसी दूसरे देश को निशाना कर करते हैं या फिर यह महज एक दिखावा है। लगता तो कुछ ऐसा ही है कि यह कहीं छलावा तो नहीं है, दुनिया को गुमराह करने का। पाकिस्तान के पुलिस ट्रेनिंग सेंटर पर हुए हमले को जब करीब सात घंटे में नाकाम कर दिया गया तो उसके बाद पाक गृह मंत्रालय के प्रभारी रहमान मलिक का यह बयान आया कि हमें तो आतंकवादियों को काबू में करने में महज सात घंटे लगे जबकि भारत को चार दिन लग गए थे। बजा फरमान आपने मलिक साहब भारत को चार दिन इसलिए लग गए थे क्योंकि एक तो वह यह नहीं जानता था कि आतंकवादी किस तरह की गतिविधियों को अंजाम देते हैं, दूसरे इस बात का इल्म भी नहीं था कि आंतकियों के पास कैसे हथियार हो सकते हैं। अब रही बात आपकी तो क्या पता आपके टे्रनिंग सेंटर में हुआ हमला एक ड्रामा हो जिसके बारे में पहले से सब जानते हों कि किस तरह से हालत पर काबू पाया जा सकता है। अगर यह ड्रामा नहीं भी था तो कम से कम पाक को तो इस बात का अच्छी तरह से पता है कि आतंकवदियों की कितनी औकत है। और उस औकत के हिसाब से आपके जवानों ने मोर्चा संभाला और उसमें सफल हो गए। अगर दुश्मन की ताकत का अंदाज रहे तो आधी जंग ऐसी ही जीत ली जाती है। जैसा की आपको उन आतंकियों की ताकत का तो कम से कम अंदाज था और आपने जंग जीत ली। अब रही बात भारत की तो कम से कम भारत ऐसा देश है जहां के जवान एक भारतीय की जान की कीमत जानते हैं और एक भारतीय की जान की कीमत पर एक आतंकी को बख्शा भी जा सकता है। लेकिन क्या पाक किसी भी एक जान की कीमत को समझता है। अगर पाक को एक भी जान की कीमत मालूम होती तो उसने कभी भी पूरी दुनिया में आतंक का जहर घोलने का काम नहीं किया होता। पाक से ऐसा किया है तो अब कम से कम वह दिन आ गया है जब जैसी करनी वैसी भरनी वाली कहावत पूरी होने वाली है। अगर वास्तव में आतंकी पाक को निशाना बनाने लगे हैं तो होना तो यह चाहिए कि इससे अच्छी खबर विश्व के लिए नहीं हो सकती। लेकिन ऐसा नहीं है विश्व का कोई भी देश कभी नहीं चाहता है कि आतंकी किसी भी देश के लोगों को मारने का काम करें। पाक पर हुए आतंकी हमले से भारत सहित जिन देशों पर भी पाक के इशारे पर आतंकी हमले हुए हैं, उन देशों की सरकार के साथ हर नागरिक दुखी है। क्योंकि ये लोग जानते है कि आतंकी हमले में मरने वालों के परिजनों पर क्या गुजरती है। वैसे भी नफरत से किसी को क्या हासिल हुआ है जो आज हासिल होगा। अब कम से कम पाक को सबक लेते हुए आतंकवादों को जड़ से समाप्त करने की पहल करनी ही चाहिए, अब भी ऐसा नहीं किया गया तो फिर पाक भी हो जाएगा साफ और आतंकी संगठन बन बैठेंगे सबके बाप।
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