बयान से लगा झटका-पाक को वरूण खटका
वरूण गांधी के बयान से भारत में ही नहीं बल्कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में बवाल मच गया है। वरूण के बयान को तो भारत के लोग ही नहीं पचा पा रहे हैं ऐसे में यह उम्मीद कैसे की जा सकती है कि वरूण के बयान पर पाक खामोश रहता। इस बात का अंदेशा तो पहले ही था कि पाक जरूर इस बयान पर कोई बखेड़ा खड़ा करेगा। और अब छोटा शकील के शाट शूटर रशीद मालाबारी के पकड़े जाने के बाद से यह बात साफ हो गई है कि पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर वरूण को ही साफ करने की साजिश की जा रही थी। निश्चित ही वरूण का बयान पाक को ज्यादा खटका है। पाक को इस बात का यकीन है कि वरूण जैसे नेता भारत के हिन्दुओं को एक ऐसे रास्ते पर ले जा सकते हैं जो रास्ता पाक के विरोध का होगा। और पाक ऐसे में वरूण को ही समाप्त करके भारत में हिन्दु -मुस्लिम दंगे करवाने के पक्ष में था ताकि वरूण जैसे नेता को हिन्दुओं को जगाने का समय ही नहीं मिल सके। पीलीभीत के लोकसभा प्रत्याशी वरूण गांधी ने जब से अपने लोकसभा क्षेत्र में एक बयान दिया है तब से उन पर जहां मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है, वहीं वरूण आज पूरे विश्व में चर्चा का विश्व बन गए हैं। वरूण के बयान पर कई तरह के सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं। बयान क्या उनके हिन्दु होने पर ही कई लोग सवाल खड़े करने लगे हैं। वास्तव में देखा जाए तो इस समय यह मुद्दा नहीं है कि वरूण हिन्दु हैं या नहीं। हमारी नजर में तो यह मुद्दा उठाना ही गलत है। वरूण के हिन्दु होने पर संदेह जताने वाले उस समय कहां गए थे जब इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के मरने के बाद उनके शवों को जलाया गया था। हिन्दु धर्म में ही शवों को जलाया जाता है। अगर गांधी परिवार के हिन्दु होने पर कोई संदेह था तो उस समय यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया गया जब इंदिरा गांधी या फिर राजीव गांधी को मरने के बाद जलाया गया था, तब तो यह बात किसी ने नहीं कही कि उनको जलाना गलत है। अब जबकि इस परिवार का एक युवा हिन्दुओं के पक्ष में खड़े हुआ है तो उनके हिन्दु होने पर संदेह जताया जा रहा है। एक बार यह माना जा सकता है कि वरूण का बयान चुनाव को देखते हुए राजनीति का एक हिस्सा है, लेकिन यह कैसे कहा जा सकता है कि वरूण को ऐसा बयान देने का हक इसलिए नहीं है क्योंकि वे हिन्दु ही नहीं हैं। अगर मान भी लिया जाए कि वरूण हिन्दु नहीं हैं तो भी कम से कम हिन्दुओं को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि एक गैर हिन्दु उनके धर्म की तरफ उंगली उठाने वालों की उंगली काटने की बात कर रहा है। भले यह बयान चुनाव की राजनीति की चासनी में डुबा हुआ हो, लेकिन ऐसा बयान देना ही कम हिम्मत की बात नहीं है। अगर और किसी नेता में दम है तो उन्होंने कभी ऐसा बयान क्यों नहीं दिया। वरूण के बारे में एक संदेह यह भी जताया जा रहा है कि वरूण राहुल गांधी जितने लोकप्रिय नहीं हैं, ऐसे में उन्होंने एक ऐसे विवादास्पद बयान को चुना जिससे वे लोकप्रिय हो जाएं। ऐसा है भी तो इसमें गलत क्या है, अपने देश के ऐसे कौन से नेता हैं जो लोकप्रियता के लिए विवादास्पद बयान नहीं देते हैं। हमारी नजर में तो ये सारी बातें उस समय गौण हो जाती हैं जब कोई वरूण जैसा नेता हिन्दु धर्म की वकालत करता है। वरूण के बयान पर भले भारत के लोगों को भरोसा न हो, लेकिन इतना जरूर मानना पड़ेगा कि वरूण के बयान पर पाक को जरूर भरोसा है। पाक को यह बात अच्छी तरह से समझ में आ गई है कि वरूण जैसे युवा नेता भारत के हिन्दुओं में ऐसा जोश भर सकते हैं जो जोश पाक के लिए घातक हो सकता है। यही वजह रही है कि पाक ने वरूण जैसे नेता को रास्ते से हटाने के लिए ही अपनी खुफिया एजेंसी आईएसआई के माध्यम से दाउद इब्राहिम और छोटा शकील का सहारा लेकर वरूण ही हत्या की साजिश रचने का काम किया। अब यह बात अलग है कि भारत की खुफिया एजेंसी की सतर्कता के कारण इस साजिश का खुलासा हो गया कि छोटा शकील ने अपने शूटर रशीद मालाबारी को वरूण को मारने की सुपारी दी थी। वरूण को मारने का काम जिस तरह से आईएसआई के इशारे पर किया जाने वाला था उससे एक बार फिर से यह साफ हो गया है कि पाक कभी भी आतंकवाद का रास्ता छोडऩे वाला नहीं है। पाक में अभी इतनी बड़ी आतंकवादी घटना हुई है इसके बाद भी पाक चेता नहीं है। इसका मतलब साफ है कि पाक में जो कुछ घटा है उसके पीछे वास्तव में आतंकवादियों का हाथ कम और पाक का हाथ ज्यादा है। वरना पाक आतंकवाद को समाप्त करने की तरफ कदम बढाता न कि भारत के एक युवा नेता की हत्या की साजिश करके भारत से जंग के हालत पैदा करने का काम करता। यह बात तय है कि अगर पाक के इशारे पर वरूण गांधी की हत्या हो जाती है तो जहां भारत में हिन्दु-मुस्लिम दंगे हो जाते वहीं इन दंगों के बाद भारत-पाक में होने वाली जंग को रोकना मुश्किल हो जाता। पाक को अब भी बाज आ जाना चाहिए। पाक ने ऐसा नहीं किया तो आने वाला समय उसके लिए जरूर घातक होगा। अगर केन्द्र में भाजपा समर्थक सरकार काबिज हो गई तो फिर पाक के पास कोई रास्ता नहीं रहेगा। जब केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी उस समय भारत का रूख हमेशा पाक के प्रति कड़ा रहा है। एक बार फिर से यह सरकार आ गई तो पाक के लिए मुसीबतें बढ़ेंगी यह बात तय है। वैसे पाक भी नहीं चाहता है कि भारत में भाजपा के समर्थन वाली सरकाकर बने, इसके लिए वह अपने स्तर पर प्रयास में भी जुटा है।
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