चिदंबरम की गेंद पर मोदी बोल्ड
इंडियन प्रीमियर लीग के दूसरे संस्करण के भारत के बाहर जाने का कारण अब तक भारत सरकार के साथ गृहमंत्री पी. चिदंबरम के रूख को माना जा रहा था। इस बात को लेकर देश की पूरी खेल बिरादरी खफा थी कि क्रिकेट जैसे खेल को सरकार सुरक्षा नहीं दे पाई। लेकिन इसी के साथ एक बात यह भी थी कि क्रिकेट से पहले देश होता है। अब इधर अचानक गृहमंत्री ने इस बात का खुलासा किया है कि ललित मोदी के कारण ही आईपीएल भारत से बाहर गया है। वास्तव में जिस तरह का खुलासा गृहमंत्री ने किया है, उसके बाद तो यही लग रहा है कि ललित मोदी अपनी शर्तों पर ही आईपीएल का आयोजन देश में करवाना चाहते थे जो संभव नहीं था। अगर उनको वास्तव में भारत के खेल प्रेमियों से सरोकार होता तो जरूर वे आईपीएल को बाहर ले जाने से पहले कई बार सोचते लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया तो इसका मतलब साफ है कि उनको खेल प्रेमियों से नहीं पैसों से ज्यादा मतलब है। वैसे भी आईपीएल में पैसों का ही बोलबाला है। आईपीएल को खेल से जोडऩा ही गलत है। यह तो महज तीन घंटे का सी क्लास के सिनेमा जैसा तमाशा है जिसमें खेल कम और चियर्स गल्र्स का डांस ज्यादा होता है।
गृहमंत्री पी. चिंदबरम ने अचानक इस बात का खुलासा किया है कि बीसीसीआई के उपाध्यक्ष और आईपीएल के आयुक्त ललित मोदी के कारण ही आईपीएल को देश से बाहर जाना पड़ा है। बकौल श्री चिदंबरम श्री मोदी अगर आईपीएल को दो हिस्सों में करवाने में सहमत हो जाते तो आईपीएल को बाहर ले जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। आईपीएल के आयोजन को लेकर श्री मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर दबाव बनाने का अनावश्यक प्रयास भी किया। इसी के साथ उन्होंने सुरक्षा मामलों में राज्यों के पुलिस महानिदेशकों की समस्याओं को समझने का प्रयास ही नहीं किया। श्री मोदी ने थोड़ा सा भी सुरक्षा व्यवस्था को समझने का प्रयास किया होता तो आईपीएल कभी देश के बाहर नहीं जाता। बहरहाल अब तो आईपीएल देश के बाहर चला गया है और इसका आयोजन द. अफ्रीका में हो रहा है। लेकिन यह एक दुखद बात है कि आईपीएल देश के बाहर हो रहा है और अपने देश के दर्शक आईपीएल के आयोजकों की मनमर्जी के कारण ही इसको देखने से वंचित रह जाएंगे। आईपीएल के पहले संस्करण के जोरदार सफल होने के बाद आईपीएल के दूसरे संस्करण का जब आयोजन करने का फैसला आयोजकों ने किया था तब उनको नहीं मालूम था कि इस आयोजन से पहले ऐसा कुछ हो जाएगा जिससे उनका यह आयोजन भारत में खटाई में पड़ जाएगा। संभवत: ऐसा होता भी नहीं। लेकिन एक तो भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव ने आईपीएल का रास्ता रोका, फिर सवाल यह खड़ा हुआ कि क्या लोकसभा चुनाव के समय खिलाडिय़ों को वैसी सुरक्षा दी जा सकती है जैसी जरूरी है। खिलाडिय़ों को ज्यादा सुरक्षा देने की जरूरत इसलिए आन पड़ी क्योंकि आईपीएल के आयोजन से ठीक पहले पाकिस्तान में जिस तरह से लंकाई खिलाडिय़ों पर आतंकी हमला हुआ उस हमले के बाद यह बात तय हो गई कि आईपीएल का आयोजन बिना कड़ी सुरक्षा के संभव नहीं है। ऐसे में आयोजकों ने पूरा प्रयास किया कि सरकार उनको सुरक्षा देने का काम करे। केन्द्रीय गृहमंत्रालय के कहने पर आयोजकों ने दो बार कार्यक्रम में फेरबदल किया, लेकिन बात नहीं बनी। कार्यक्रम में एक और फेरबदल की जरूरत थी जिसके लिए आईपीएल के आयोजक राजी नहीं हुए। अगर आयोजक राजी हो जाते तो जरूर आईपीएल देश में होता, लेकिन यहां पर आयोजकों ने मनमर्जी की। जब आईपीएल को देश के बाहर ले जाने का फैसला किया गया था, उस समय ऐसा माना जा रहा था कि आयोजक सरकार को डराने का काम कर रहे हैं और सरकार को अंत में इसलिए झूकना पड़ेगा क्योंकि आगे लोकसभा चुनाव हैं और ऐसे में क्रिकेट को सुरक्षा न दे पाने का एक मुद्दा भाजपा को मिल जाएगा। भाजपा के नेताओं ने इस बात को जोर-शोर से उछालने का काम भी किया। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो केन्द्र सरकार को कोसते हुए खिलाडिय़ों को सुरक्षा देने की गांरटी लेने की बात कह दी। अब यह बात अलग है कि मोदी जी अपने राज्य में आतंकी हमलों को नहीं रोक पाए थे और वे खिलाडिय़ों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने की बात कह रहे हैं। ऐसी खोखली राजनीति किस काम की। क्या वास्तव में श्री मोदी ऐसी कोई ठोस बात कह सके जिससे उनकी बात पर भरोसा किया जाता। श्री मोदी को देश से ज्यादा क्रिकेट की इतनी ही चिंता थी तो उनको आईपीएल का सारा आयोजन गुजरात में करवाने के लिए आईपीएल के आयोजकों को तैयार कर लेना था। वैसे देखा जाए तो आईपीएल को लेकर भाजपा ने राजनीति करने का कोई मौका नहीं गंवाया। भाजपा नेताओं ने अपने पासे फेंककर केन्द्र सरकार को बोल्ड करने की कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन तारीफ करनी होगी गृहमंत्री पी. चिदंबरम की जिन्होंने देश से ज्यादा महत्व क्रिकेट को नहीं दिया। माना कि भारत में क्रिकेट को पूजने की हद तक चाहा जाता है और लोग यहां पर सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी की मूर्ति लगाकर मंदिर बना लेते हैं, लेकिन इन सब बातों के कारण सुरक्षा को तो ताक पर नहीं रखा जा सकता है न। अगर खिलाडिय़ों को कम सुरक्षा देकर आयोजन को मंजूरी दे दी जाती और पाकिस्तान जैसी घटना हो जाती तो इसका जवाबदार कौन होता? तब आज वही लोग सरकार को कोसने का काम करते जो आयोजन के लिए सुरक्षा न देने पर सवाल उठा रहे थे। यह अपने आप में समझने वाली बात है कि जब विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में चुनाव हो रहे हैं तो उस चुनाव के लिए सुरक्षा के इंतजाम ज्यादा जरूरी है या फिर क्रिकेट के लिए सुरक्षा देना ज्यादा जरूरी है। और वो भी एक ऐसे क्रिकेट के आयोजन के लिए जो तीन घंटे के सी क्लास के सिनेमा से ज्यादा कुछ नहीं है। अगर यहां पर कोई विश्व कप की बात होती को एक बात समझ आती की विश्व कप तो पहले से तय था ऐसे में उसके लिए सुरक्षा के इंतजाम जरूरी है। लेकिन आईपीएल को कोई मजबूरी नहीं है। अगर वास्तव में गंभीरता से देखा जाए तो आईपीएल के आयोजन से खेल का क्या भला हो रहा है। इस आयोजन से आयोजन करने वालों के साथ खिलाडिय़ों पर ही पैसे बरसे रहे हैं। आम जनों की तो जेबें खाली हो रही हैं। आईपीएल के पहले संस्करण में यह बात का खुलकर सामने आई कि क्रिकेट में फिल्मी सितारों की घुसपैठ के कारण क्रिकेट एक तरह से बर्बादी की तरफ जा रहा है। मैचों के आयोजन के बीच में चियर्स गल्र्स को रखकर आयोजक दर्शकों को कौन का खेल दिखाना चाहते हैं यह तो वही बता सकते हैं। ऐसे सिनेमा को अगर वास्तव में अगर गृह मंत्रालय में सुरक्षा के लिहाज से मंजूरी न देने का काम किया गया है तो इसके लिए गृह मंत्रालय साधुवाद का पात्र है। फिर यह नहीं भूलना चाहिए कि अब गृहमंत्री ने इस बात का भी खुलासा कर दिया है कि आईपीएल के बाहर जाने के पीछे सुरक्षा से ज्यादा ललित मोदी का रूख रहा है।
वैसे इसमें कोई दो मत नहीं कि किसी भी देश के लिए चुनाव ज्यादा जरूरी होते हैं न की क्रिकेट जैसा कोई आयोजन। क्रिकेट को साल भर चलते रहता है और चलता रहेगा, लेकिन चुनाव तो पांच साल में एक बार होने हैं और जनता को अपना मत देना है। आईपीएल के भारत में न होने से जरूर दर्शकों में निराशा है लेकिन अब दर्शक इस बात को जान गए हैं कि आईपीएल सरकार की बेरूखी के कारण नहीं बल्कि आयोजकों की मनमर्जी के कारण बाहर गया है। ऐसे में भारतीय दर्शक कभी मोदी को माफ नहीं करेंगे।
2 टिप्पणियाँ:
आजकल ललित मोदी रिंग मास्टर है...इस सर्कस का...देखो शेर कब तक इसके हाथे यूं ही चढ़े रहते हैं...ये बात अलग है कि राजस्थान में धूल चाटनी पड़ी.
Koi farq nahi padta hai ipl kahi bhi ho hum toh tv par hi dekhenge
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